छत्तीसगढ़ के किसानों को धान बेचने के लिए प्रदेश सरकार ने टेक्नोलॉजी की सुविधा दी है। नया सिस्टम किसानों को धान बेचने के लिए जद्दोजहद वाला साबित हो रहा है। किसानों को धान बेचने के लिए केबीसी की तरह फास्टेस्ट फिंगर्स जवाब देना पड़ रहा है। किसानों को धान बेचने के लिए ऑनलाइन टोकन मिलने की सुविधा दी गई है लेकिन, यह सुविधा किसानों के लिए मुसीबत बन गई है। इस ऑनलाइन सुविधा का उपयोग किसान सरकार द्वारा जारी किए गए ऐप के जरिए कर रहे हैं।
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ऐप चलाने में किसानों को हो रही परेशानी
धान बेचने के लिए टोकन तुंहर हाथ एप के माध्यम से किसान स्वयं टोकन काट कर धान बेचने खरीदी केंद्र में अपने उपज को लेकर जाते हैं। लेकिन टोकन तुंहर हाथ एप में टोकन काटने में किसानों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है जिसके चलते किसान धान नहीं बेच पा रहे हैं। इस वजह से किसानों को नुकसान का सामना करना पड़ रहा है।
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केबीसी के फास्टेस्ट फिंगर्स की तरह काम कर रहा ऐप
टोकन तुंहर हाथ एप में किसानों के लिए कौन बनेगा करोड़पति के सवालों जैसा साबित हो रहा है। जिस तरह केबीसी में सवाल का जवाब देने के लिए कुछ सेकंड का समय दिया जाता है, उसी तरह यह ऐप भी काम कर रहा है। टोकन लेने के लिए दस्तावेजों का सत्यापन करना पड़ता है। दस्तावेज वेरीफाई होने के बाद ही किसानों को टोकन मिलता है। लेकिन, ऐप के सिस्टम की वजह से दस्तावेज वेरीफाई करने में किसानों को परेशानी हो रही है। दरअसल, दस्तावेज अपलोड करने के दौरान सत्यापन के लिए कुछ सेकंड का ही समय दिया जाता है, जिससे दस्तावेजों का सत्यापन नहीं हो पाता।
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ग्रामीण इलाकों में नेटवर्क भी कर रहा परेशान
ऐप के सिस्टम के साथ ही नेटवर्क की परेशानी का सामना भी किसानों को करना पड़ रहा है। ग्रामीण इलाकों में मोबाइल नेटवर्क तेजी से काम नहीं करता जिस वजह से सत्यापन का टाइमआउट समाप्त हो जाता है। इस वजह से किसानों को नुकसान का सामना करना पड़ रहा है।
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