अरुण तिवारी @ RAIPUR. मोदी की गारंटी ( Modi guarantee ) पूरी करने के लिए अब सरकार ने नया रास्ता तलाश लिया है। महतारी वंदन ( Mahtari salutation ) किसानों ( farmers ) को बोनस और धान खरीदी में अंतर की राशि बांटने में ही सरकार का खजाना खाली हो गया है। जिसका सीधा असर प्रदेश के विकास पर हो रहा है। अब डेवलपमेंट की राशि सरकार शराब से वसूलने जा रही है। अप्रैल से शराब पर 10 फीसदी इंफ्रास्ट्रक्चर टैक्स ( infrastructure tax ) लगाया जा रहा है। हालांकि पुराना 6 फीसदी टैक्स हटाया जा रहा है।
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टैक्स लगाने से पड़ेगा इतना असर
पुरानी सरकार ने शराब पर कोरोना, गोठान, शिक्षा और स्वास्थ्य के लिए टैक्स लगाया था। ये छह फीसदी टैक्स था। अब नई सरकार इस टैक्स को हटाकर 10 फीसदी इंफ्रास्ट्रक्चर टैक्स लगाने जा रही है। इस टैक्स से मिलने वाली राशि को प्रदेश के विकास में खर्च की जाएगी। इस टैक्स के लगने के बाद विदेशी शराब की एक बोतल पर 120 रुपये, आधा लीटर पर 80 रुपये और क्वाटर पर 40 रुपये का इजाफा हो जाएगा। इसी तरह देशी मदिरा पर बोतल में 80 रुपये, आधी बोतल पर 40 रुपये और क्वाटर पर 20 रुपये की वृध्दि होगी। ये नई दरें अप्रैल से लागू होंगी। सरकार ने पिछली साल शराब से 8 हज़ार करोड़ रुपये कमाए थे। इस साल ये टारगेट 9 हज़ार करोड़ तक रखा जा रहा है।
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ये है राज्य में शराब का समीकरण
शराब के शौकीनों में छत्तीसगढ़ देश का नंबर वन राज्य माना जाता है। अब इन शौकीनों की जेब से ही सरकार प्रदेश के विकास के लिए पैसे निकालने जा रही है। छत्तीसगढ़ आबकारी विभाग के आंकड़े बताते है कि वित्तीय वर्ष 2022 और 2023 में 13 हजार करोड़ रुपए कमाए हैं। 461.37 लाख प्रूफ लीटर सिर्फ देशी शराब साल 2022 में बिकी , जबकि 353.81 लाख प्रूफ लीटर विदेशी शराब साल 2022 में बिकी । 267.07 लाख प्रूफ लीटर विदेशी माल्ट शराब यानी बियर की खपत साल 2022 में हुई। साल 2023 के आंकड़ों पर नजर डालें तो 229.71 लाख प्रूफ लीटर सिर्फ देशी शराब साल 2023 में बिकी, जबकि 258.67 लाख प्रूफ लीटर विदेशी शराब साल 2023 में बिकी। 221.62 लाख प्रूफ लीटर बीयर की बिक्री 2023 में हुई।
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छत्तीसगढ़ में शराब प्रेमियों की संख्या अधिक
प्रदेश की तरक्की के लिए खजाने में हजारों करोड़ रुपए का सहयोग देने वाले शराबियों का मदिरा प्रेम इतना है कि वे साल भर में ही इतनी शराब गटक जाते है जो देश के किसी भी राज्य में सबसे ज्यादा है। कहने को तो छत्तीसगढ़ छोटा राज्य है लेकिन शराब प्रेमियों की संख्या देश के किसी भी राज्य से ज्यादा छत्तीसगढ़ में ही है। अलग-अलग सालों में शराब बिक्री के आंकड़े बदलते रहते है लेकिन शराब पीने बालो की संख्या प्रदेश के खजाने में जो सहयोग करती है उससे सरकार प्रदेश के अलग अलग विकास के काम करती है। महज दो सालों के शराब बिक्री के आंकड़े और उससे प्राप्त राजस्व इतना है कि कुछ छोटे राज्यों का कुल बजट भी इतना नहीं है। छत्तीसगढ़ में सबसे ज्यादा सबसे ज्यादा शराब की खपत राजधानी रायपुर सहित पूरे जिले में होती है।