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छत्तीसगढ़ के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल का हाल इन दिनों सबसे है। यहां न तो समय पर दवाइयां मिल रही है और न ही स्वास्थ्य की जांच ही हो पा रही है। ऐसा नहीं है कि स्वास्थ्य मंत्री से लेकर स्वास्थ्य विभाग के बड़े अधिकारियों को इसकी जानकारी नहीं है, लेकिन सरकार की तरफ से उन्हें राज्य के भीतर और बाहर के बड़े निजी अस्पतालों में मुक्त इलाज की सुविधा मिलती है। इसलिए सरकारी अस्पताल में इलाज करना तो दूर उसकी सुध तक नहीं लेने जाते और ऐसे में प्रदेश की जनता परेशान हो रही है।
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रायपुर सांसद बृजमोहन अग्रवाल ने सरकार को लिखी थी चिट्ठी
रायपुर के डॉ भीमराव अंबेडकर अस्पताल सहित तमाम अस्पतालों में यही दुर्दशा है। जिस पर रायपुर सांसद और पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने सरकार को चिट्ठी लिखकर विस्तृत जानकारी दी थी। जिसमें कहा गया था कि अधिकारियों की लापरवाही के कारण से गरीबों को सरकार की योजना का लाभ नहीं मिल रहा है और ऐसे में गरीबों को अपनी जमीन बेचकर निजी अस्पतालों में इलाज करवाना पड़ रहा है। लेकिन उनकी चिट्ठी के बाद भी स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय में कोई असर नहीं नहीं दिख रहा।
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अस्पतालों में रीजेंट तक नहीं
छत्तीसगढ़ के सबसे बड़े अस्पताल होने के कारण से प्रदेशभर से मरीज यहां रेफर होकर पहुंचते हैं। बड़ी जांच की सुविधा तो दूर यहां पर अब सामान्य खून जांच के लिए केमिकल तक मौजूद नहीं है ECG के लिए बाहर से टेक्नीशियन को बुलाना पड़ता है।
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कोरोना के बाद अस्पताल पर नहीं है ध्यान
अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि कोविड के दौरान अस्पताल को पीपीई किट, वेंटीलेटर, ऑक्सीजन के लिए पैसे आए थे उसे दौरान वे खर्च हो गए अब मरीजों के इलाज के लिए अन्य संसाधनों की जरूरत है। कोविड के दौरान मेंटेनेंस नहीं होने के कारण से अन्य उपकरण भी खराब हो गए हैं। दर्जन से ज्यादा जांच मशीन एक्सपायरी हो चुकी हैं। अब तक इन्हें बदला नहीं गया है। साथ ही अस्पताल की क्षमता के अनुसार पर्याप्त मेडिकल स्टाफ की नियुक्ति नहीं हो पाई है। जिससे सेवाओं की गुणवत्ता पर असर पड़ रहा है।
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अधिकारियों को निजी अस्पताल में मिलता है मुक्त इलाज
अस्पताल की गुणवत्ता बेहतर हो जिसके लिए पहले राज्यपाल और मुख्यमंत्री डॉ भीमराव अंबेडकर अस्पताल में इलाज करते थे। सरकार के निर्देश पर मंत्री विधायक आईएएस, आईपीएस अधिकारी भी नियमित इलाज करने के लिए पहुंचते थे।लेकिन अब इनमें से अधिकांश अधिकारियों ने निजी अस्पताल का रुख कर लिया है। सरकार इनके लिए सीजीएचएस स्कीम चल रही है जिसके तहत सरकारी अधिकारी और कर्मचारियों को प्रदेश में 134 निजी अस्पताल और राज्य के बाहर 64 निजी अस्पतालों में मुक्त ओपीडी और आईपीडी की सुविधा देती है। मंत्री भी केवल अपने क्षेत्र के लोगों को ही इलाज के लिए मेंकाहारा भेजते हैं जबकि खुद निजी अस्पताल में इलाज करते है।
वर्षवार आंकड़े
2019- 520
2020-428
2021-366
2022-287
2023-102
2024- 84
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