International Womens Day: बस्तर फाइटर्स की कमांडो सुनैना ने कोख में 7 महीने के बच्चे को लेकर की जंगल की गश्त

छत्तीसगढ़ में एक कमांडों के रूप में सुनैना ने गर्भावस्था के दौरान 7वें महीने तक जंगल में गश्त की। सीएम ने कहा मां तुझे सलाम। उन्हें इसकी प्रशंसा केन्द्रीय मंत्री स्मृति इरानी से भी मिली। नक्सली मुठभेड़ में भूमिका पर उन्हें आउट ऑफ टर्न पदोन्नति भी मिली है।

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Jitendra Shrivastava
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बस्तर फाइटर्स की कमांडो सुनैना।

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अरुण तिवारी, RAIPUR. अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस (International Womens Day) के मौके पर हम आपको बता रहे हैं कमांडो सुनैना की कहानी। सुनैना बस्तर फाइटर कमांडो है जो 7 महीने के बच्चे को कोख में लिए हुए जंगल में गश्त करती रही। यही नहीं दो बच्चों की मां होने के बाद भी पुलिस की परीक्षा पास की। सुनैना ने खुद ये कहानी सीएम को सुनाई। सीएम ने गदगद होकर कहा मां तुझे सलाम, मैं एक ईंट लेकर एक दिन नहीं चल सकता और आप पेट में बच्चे को लेकर गश्त करती रहीं। 

होमगार्ड से कॅरियर की शुरुआत की थी सुनैना ने

मुख्यमंत्री विष्णु देव साय दंतेवाड़ा जिले के जावंगा पहुंचे। यहां उन्होंने डीआरजी, सीआरपीएफ और नारायणपुर के बस्तर फाइटर्स की सैनिक महिलाओं से संवाद किया। संवाद के दौरान मुख्यमंत्री से बस्तर फाइटर्स की दल कमांडर सुनैना पटेल ने अपना अनुभव साझा करते हुए बताया कि उन्होंने होमगार्ड के रूप में अपने कैरियर की शुरुआत की थी। वहां से लेकर अब तक उन्हें लगातार प्रशंसा और प्रोत्साहन मिला। एक कमांडों के रूप में उन्होंने अपनी गर्भावस्था के 7वें महीने तक जंगल गश्त की। उन्हें इसकी प्रशंसा केन्द्रीय मंत्री स्मृति इरानी से भी मिली। नक्सली मुठभेड़ में उनकी भूमिका के परिणाम स्वरूप उन्हें आउट ऑफ टर्न पदोन्नति भी मिली है।

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मां गर्भावस्था को बोझ नहीं जीवन मानती हैं

मुख्यमंत्री साय ने आश्चर्य व्यक्त कर कहा कि आज बहुत ही भावुक करने वाला दिन है। बचपन में मुझसे एक बुजुर्ग पूछते थे कि क्या मैं अपने हाथ में एक ईट लेकर 9 महीने तक चल सकता हूं। मेरा जवाब था कि बिलकुल नहीं 9 महीने क्या शायद एक दिन भी मैं इतना बोझ लेकर नहीं चल सकता। तब मेरे बुजुर्ग बताते थे कि सोचो एक मां 9 महीने अपने पेट में एक बोझ लिए चलती रहती है और उसको ये बोझ भी नहीं मानती, उसको ये जीवन मानती है। इसीलिए मां को महान माना गया है। आपने अपनी गर्भावस्था के दौरान भी अपने व्यावसायिक कर्तव्य के लिए कठिन शारीरिक परिश्रम जारी रखा, जिसको लोग सामान्य समय में भी करने में आलस्य करते हैं। आज मैं कितनी ही मांओं की तस्वीर देखता हूं जो गर्भावस्था में भी कठिन नौकरी दिन-रात करती रहती हैं। आप लोगों का त्याग अतुलनीय है।

33 साल में फिजिकल परीक्षा को क्वालिफाई करना आसान नहीं

मुख्यमंत्री से संवाद के दौरान दंतेश्वरी फाइटर्स की सैलेंद्री ने उन्हें बताया कि वह 33 साल की गृहिणी थी साथ ही दो बच्चों की मां भी है। उन्हें वर्दी के आकर्षण ने सुरक्षा बल में शामिल होने के लिए प्रेरित किया। दो बार उन्होंने प्रवेश परीक्षा दिलाई जिसमें वो असफल रही। सभी बाधाओं को पार करते हुए सफल होकर आज वो जॉब कर रही है, साथ ही अपने परिवार का भरण-पोषण कर रही है। मुख्यमंत्री ने उनकी बात सुनकर आश्चर्यचकित होते हुए कहा कि 33 वर्षीय सामान्य गृहिणी साथ ही दो बच्चों की मां होने के बावजूद आपने पुलिस कॉन्सटेबल की फिजिकल परीक्षा को सरलता से क्वालिफाई किया, ये आसान बात नहीं है। उन्होंने कहा कि आप इस हॉल में बैठी इस स्कूल की बच्चियों के लिए ही नहीं बल्कि, पूरे समाज के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं। आप अपने परिवार की आर्थिक सुरक्षा के लिए फेल होने के बावजूद डटी रहीं और अंततः सफल हुईं। ये एक मां ही कर सकती है। मां तुझे सलाम।

International Women's Day कमांडो सुनैना