बेटे को MBBS डॉक्टर बनाने फर्जी NRI रिश्तेदार बनाए ,एडमिशन होगा निरस्त

MBBS NRI quota fraud : बेटा-बेटी को एमबीबीएस डॉक्टर बनाने के लिए NRI कोटे में फर्जीवाड़े का मामला सामने आया है। फिलहाल यह स्कैम छत्तीसगढ़ में ही खुला है, लेकिन जानकार बताते हैं कि पूरे देश में इस तरह का घालमेल पकड़ा जा सकता है।

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Marut raj
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MBBS NRI quota fraud : अपने बेटा - बेटी को डॉक्टर बनाने की चाह में माता - पिता किसी भी हद तक जा रहे हैं। यहां तक की वे फर्जीवाड़ा करने से भी गुरेज नहीं कर रहे हैं। ताजा मामला छत्तीसगढ़ का है।

यहां पर अपने बेटा-बेटी को MBBS डॉक्टर बनाने के लिए फर्जी NRI रिश्तेदार तक बना लिए गए। जब यह मामला खुल गया तो सरकार को भी मजबूरी में कदम उठाने पड़े। सरकार ने आनन-फानन में सभी संबंधिताें से NRI से संबंधित दस्तावेज मांगे।

 नतीजा ये हुआ कि ऐसे सभी 45 स्टूडेंट्स NRI कोटे के लिए आवश्यक दस्तावेज प्रस्तुत नहीं कर सके। अब ऐसे स्टूडेंट्स के एडमिशन निरस्त करने की बात राज्य के राज्य से चिकित्सा शिक्षा मंत्री ने कही है। क्या है, ये पूरा मामला... आइए आपको बताते हैं विस्तार से।

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इस तरह समझिए कैसे उजागर हुआ फर्जीवाड़ा

पंजाब सरकार ने 20 अगस्त को मेडिकल कॉलेज में एडमिशन के लिए NRI के 15% कोटे के दायरे को बढ़ा दिया था।

इसके तहत विदेश में बसे दूर के रिश्तेदारों जैसे मामा, ताऊ-ताई, चाचा-चाची, दादा-दादी बुआ, नाना-नानी को भी NRI कोटे में शामिल कर लिया था।

 यह मामला सुनवाई के लिए सामने आने पर सुप्रीम कोर्ट ने दूर के NRI रिश्तेदारों को मेडिकल एडमिशन में कोटा देने से रोक दिया है।

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छत्तीसगढ़ में ये हो रही थी गड़बड़ी

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी छत्तीसगढ़ में पुरानी व्यवस्था के तहत एडमिशन दिए जा रहे थे। मतलब कि दूर के रिश्तेदारों जैसे मामा, ताऊ-ताई, चाचा-चाची, दादा-दादी बुआ, नाना-नानी को NRI कोटे में मानकर एडमिशन दिए जा रहे थे। 

इस मामले को राज्य हॉस्पिटल बोर्ड के अध्यक्ष डॉ. राकेश गुप्ता ने उठाया था। इसमें बताया गया था कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद भी दूर के रिश्तेदारों के नाम पर NRI कोटे में एडमिशन दिए जा रहे हैं।

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45 स्टूडेंट्स के माता-पिता NRI हैं ही नहीं

छत्तीसगढ़ के निजी मेडिकल कॉलेजों की MBBS NRI कोटा सीट पर दूसरे राउंड की काउंसिलिंग में सभी 45 दाखिले स्पॉन्सर्ड हैं। यानी इनमें से एक भी छात्र या इनके माता-पिता वास्तविक एनआरआई नहीं हैं।

इस संबंध में चिकित्सा शिक्षा संचालनालय ने दस्तावेज सत्यापन के लिए 19, 20 और 21 अक्टूबर तक का समय दिया था। इन तीन दिनों में कोई भी स्टूडेंट दस्तावेज सत्यापन के लिए नहीं आया। राज्य से चिकित्सा शिक्षा मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल के अनुसार इन स्टूडेंट्स का एडमिशन निरस्त करने की कार्रवाई की जाएगी।

पूरे देश में हो सकते हैं ऐसे केस :

जानकारों का कहना है कि यह मामला सिर्फ छत्तीसगढ़ तक ही सीमित नहीं है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी दूर के रिश्तेदारों को NRI मानकर बड़े पैमाने पर एडमिशन देशभर के प्राइवेट कॉलेज दे रहे हैं। यदि सही तरीके से इस मामले की जांच कराई जाए तो सभी राज्यों में बड़ा घोटाला सामने आ सकता है। 

प्राइवेट मेडिकल कॉलेज NRI कोटे के एडमिशन पर मोटी फीस वसूलते हैं। NRI कोटे में एडमिशन के लिए मेरिट लिस्ट भी नहीं लगती है। इसलिए सरकार और कॉलेजों के बीच सांठगांठ से इस तरह का फर्जीवाड़ा चलता है।

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छत्तीसगढ़ में 110 सीटें

 ज्ञात हो कि छत्तीसगढ़ में 5 प्राइवेट मेडिकल कॉलेज हैं। प्रत्येक कॉलेज में NRI कोटा के स्टूडेंट के लिए 22 सीटें हैं यानी कि 110 सीटें अप्रवासी भारतीय के आरक्षित की गई हैं। डॉ. राकेश गुप्ता का कहना है कि अगर एडमिशन के लिए NRI स्टूडेंट नहीं मिल रहे हैं, तो NRI कोटा की सीट को ओपन में लाया जाए।

 

FAQ

एनआरआई का फुल फॉर्म क्या है ?
NRI का फुल फॉर्म होता है नॉन-रेजिडेंट इंडियन है। Non Resident Indian यानी एनआरआई भारत में जन्मा नागरिक होता है, जो किसी दूसरे देश में जाकर बस गया हो।
MBBS NRI कोटा केस क्या है ?
पंजाब सरकार ने 20 अगस्त को मेडिकल कॉलेज में एडमिशन के लिए NRI के 15% कोटे के दायरे को बढ़ा दिया था। इसके तहत विदेश में बसे दूर के रिश्तेदारों जैसे मामा, ताऊ-ताई, चाचा-चाची, दादा-दादी बुआ, नाना-नानी को भी NRI कोटे में शामिल कर लिया था। सुप्रीम कोर्ट ने दूर के NRI रिश्तेदारों को मेडिकल एडमिशन में कोटा देने से रोक दिया है। इसके बाद भी छत्तीसगढ़ में दूर के रिश्तेदारों को NRI कोटा में शामिल किया जा रहा था।
सुप्रीम कोर्ट के फैसला का पिछले साल MBBS NRI कोटे में एडमिशन लेने वालों पर भी असर पड़ेगा ?
जानकारों का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला 2024 में आया है। इसका पिछले सालों में एडमिशन लेने वालों पर असर नहीं पड़ेगा।

 

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