छत्तीसगढ़ में राजस्व निरीक्षकों की हड़ताल से ऑनलाइन सेवाएं ठप, जनता परेशान

छत्तीसगढ़ में राजस्व निरीक्षक संघ ने अपनी मांगों को लेकर ऑनलाइन कामकाज का बहिष्कार शुरू कर दिया है। संघ द्वारा सरकार को बार-बार ज्ञापन देने के बाद भी कोई कार्रवाई न होने से नाराज होकर यह कदम उठाया गया है।

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Krishna Kumar Sikander
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Online services halted due to strike of revenue inspectors the sootr
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छत्तीसगढ़ में राजस्व निरीक्षकों के आंदोलन ने सरकारी कामकाज को प्रभावित कर दिया है। छत्तीसगढ़ राजस्व निरीक्षक संघ ने अपनी लंबित मांगों को लेकर ऑनलाइन कार्यों का पूर्ण बहिष्कार शुरू कर दिया है। संघ ने शासन को बार-बार ज्ञापन सौंपे, लेकिन मांगों पर कोई ठोस कार्रवाई न होने से नाराज राजस्व निरीक्षकों ने यह कड़ा कदम उठाया। इसके चलते प्रदेश में ऑनलाइन राजस्व सेवाएं पूरी तरह ठप हो गई हैं, जिसका सीधा असर आम जनता पर पड़ रहा है। हालांकि, ऑफलाइन विभागीय कार्य पहले की तरह जारी रहेंगे।

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क्यों उठा यह कदम?

संघ का कहना है कि शासन की उदासीनता और मांगों पर सकारात्मक पहल न होने के कारण उन्हें ऑनलाइन कार्यों के बहिष्कार का निर्णय लेना पड़ा। राजस्व निरीक्षक लंबे समय से कार्यस्थल पर संसाधनों की कमी, अतिरिक्त कार्यभार, और असुरक्षा की भावना से जूझ रहे हैं। कई निरीक्षकों को रिक्त पदों के कारण दो से तीन सर्कलों का अतिरिक्त प्रभार संभालना पड़ रहा है, जिससे मानसिक और शारीरिक तनाव बढ़ गया है। बार-बार पत्राचार के बावजूद शासन की ओर से कोई समाधान नहीं निकाला गया, जिसके बाद संघ ने यह कड़ा रुख अपनाया।

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क्या हैं राजस्व निरीक्षकों की प्रमुख मांगें?

छत्तीसगढ़ राजस्व निरीक्षक संघ ने शासन के समक्ष निम्नलिखित मांगें रखी हैं। 
पदोन्नति और भर्ती : नायब तहसीलदार और सहायक अधीक्षक भू-अभिलेख के रिक्त पदों पर शीघ्र पदोन्नति और 50% पदों को विभागीय भर्ती या पदोन्नति से भरने की व्यवस्था।  
संसाधनों की उपलब्धता : मोबाइल, कंप्यूटर, और इंटरनेट जैसे आवश्यक संसाधन उपलब्ध कराए जाएं।  
ऑनलाइन प्रक्रियाओं में सुधार : ऑनलाइन मानचित्र बंटाकन और अनुमोदन से जुड़ी समस्याओं का तत्काल समाधान।  
अतिरिक्त प्रभार का भत्ता : रिक्त पदों की पूर्ति और अतिरिक्त प्रभार संभालने वाले निरीक्षकों को भत्ता प्रदान करना।  

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समयावधि में बदलाव : सीमांकन और बंदोबस्त त्रुटि सुधार प्रकरणों की समयावधि को पहले की तरह बहाल करना।  
लंबित मांगों का निपटारा : सामान्य प्रशासन विभाग में लंबित मांगों का शीघ्र निस्तारण।  
न्यायालयीन कार्रवाई में बदलाव : मानवीय भूल पर न्यायालयीन कार्रवाई के बजाय विभागीय कार्रवाई की व्यवस्था।  
संवर्गों का विलय : संवर्गों के विलय और मर्जिंग से संबंधित निर्णयों को लागू करना।

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ऑनलाइन सेवाओं पर असर, जनता परेशान

ऑनलाइन कार्यों के बहिष्कार से सीमांकन, नक्शा बंटाकन, और अन्य राजस्व संबंधी ऑनलाइन सेवाएं पूरी तरह बंद हो गई हैं। इससे जमीन से जुड़े दस्तावेजों, नक्शा सुधार, और अन्य कार्यों के लिए राजस्व विभाग पर निर्भर नागरिकों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में, जहां लोग जमीन के दस्तावेजों और सीमांकन के लिए ऑनलाइन प्रणाली पर निर्भर हैं, वहां असुविधा बढ़ गई है। 

काम के दबाव और असुरक्षा की शिकायत

संघ ने बताया कि राजस्व निरीक्षक ऑनलाइन कार्यों के बढ़ते दबाव में असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। रिक्त पदों के कारण कई निरीक्षकों को एक साथ कई सर्कलों की जिम्मेदारी संभालनी पड़ रही है, जिससे कार्य की गुणवत्ता प्रभावित हो रही है। इसके अलावा, तकनीकी संसाधनों की कमी और ऑनलाइन प्रणाली में बार-बार आने वाली समस्याएं उनके काम को और जटिल बना रही हैं। संघ ने चेतावनी दी है कि यदि शासन ने उनकी मांगों पर गंभीरता से विचार नहीं किया, तो वे बड़े आंदोलन के लिए बाध्य होंगे।

शासन पर सवाल

राजस्व निरीक्षक संघ ने शासन की कार्यशैली पर सवाल उठाते हुए कहा कि बार-बार ज्ञापन और पत्राचार के बावजूद कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। संघ का आरोप है कि शासन की उदासीनता के कारण कर्मचारियों में असंतोष बढ़ रहा है, और इसका असर अब जनता को भी भुगतना पड़ रहा है। 

FAQ

राजस्व निरीक्षकों ने ऑनलाइन सेवाओं का बहिष्कार क्यों किया?
राजस्व निरीक्षकों ने शासन की उदासीनता और लंबित मांगों पर कोई ठोस कार्रवाई न होने के कारण ऑनलाइन सेवाओं का बहिष्कार किया है। वे लंबे समय से संसाधनों की कमी, अतिरिक्त कार्यभार और असुरक्षा की भावना जैसी समस्याओं से जूझ रहे हैं। बार-बार ज्ञापन देने के बावजूद समाधान न मिलने पर संघ ने यह कदम उठाया।
राजस्व निरीक्षकों की प्रमुख मांगें क्या हैं?
राजस्व निरीक्षकों की प्रमुख मांगों में शामिल हैं: नायब तहसीलदार और अन्य पदों पर शीघ्र पदोन्नति, आवश्यक संसाधनों जैसे मोबाइल, कंप्यूटर और इंटरनेट की उपलब्धता, ऑनलाइन प्रणाली में सुधार, अतिरिक्त प्रभार का भत्ता, सीमांकन और त्रुटि सुधार प्रकरणों की समयसीमा में बदलाव, लंबित मांगों का शीघ्र निपटारा, और न्यायालयीन कार्रवाई की जगह विभागीय कार्रवाई की व्यवस्था।
हड़ताल का आम जनता पर क्या असर पड़ा है?
ऑनलाइन कार्यों के बहिष्कार से सीमांकन, नक्शा बंटवारा, और अन्य राजस्व सेवाएं पूरी तरह ठप हो गई हैं। खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में लोग जमीन से जुड़े दस्तावेजों और सेवाओं के लिए ऑनलाइन प्रणाली पर निर्भर हैं, जिससे उन्हें भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

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