पुलिस की इमरजेंसी सेवा दे रहीं धोखा, डॉयल-112 सेवा संकट में, पुरानी गाड़ियां खस्ताहाल

छत्तीसगढ़ में आपातकालीन सहायता के लिए बनी डायल-112 सेवा इस समय खुद ही मुश्किलों में फंसी है। दरअसल, पुलिस की ये गाड़ियां 2.5 लाख किलोमीटर से ज़्यादा चल चुकी हैं और अब खस्ताहाल हो गई हैं।

author-image
Krishna Kumar Sikander
New Update
Police emergency service is cheating the sootr
Listen to this article
0.75x 1x 1.5x
00:00 / 00:00

छत्तीसगढ़ में आपातकालीन सहायता प्रदान करने वाली डॉयल-112 सेवा को ही आपातकालीन सेवा की आवश्यकता है। दरअसल, पुलिस की आपातकालीन सेवा देने वाली गाड़ियां 2.5 लाख किलोमीटर से अधिक का सफर कर चुकी है। अब ये खस्ताहाल में आ गई हैं।

पुरानी और जर्जर गाड़ियों के कारण कई बार इमरजेंसी कॉल पर निकली गाड़ियां रास्ते में खराब हो रही हैं, जिससे लोगों की जान जोखिम में पड़ रही है। नई एजेंसी नियुक्त न होने और गाड़ियों के रखरखाव में लापरवाही के चलते यह महत्वपूर्ण सेवा प्रभावित हो रही है। हाल ही में पेंड्रा में एक ग्रामीण को टक्कर मारने और भिलाई में गाड़ी का पहिया निकलने जैसी घटनाएं इस समस्या की गंभीरता को दर्शाती हैं।

ये खबर भी पढ़ें... बीजेपी सरकार में इमरजेंसी सेवा पर लगा आपातकाल, धूल खा रहीं 400 बुलेरो

डॉयल-112 की शुरुआत और वर्तमान स्थिति

छत्तीसगढ़ में इमरजेंसी सेवा प्रदान करने के उद‍्देश्य वर्ष 2018 में डॉयल-112 सेवा की शुरु की गई थी। यह इमरजेंसी सेवा 11 जिलों में शुरू की गई थी। इस सेवा मकसद इमरजेंसी में पुलिस और स्वास्थ्य समेत दूसरी कई सहायता तुरंत उपलब्ध कराना था। इसके लिए टाटा ग्रुप के साथ 5 साल का अनुबंध (MoU) किया गया था, और वर्ष 2017 में 252 गाड़ियां खरीदी गई थीं।

यह अनुबंध 2023 में समाप्त हो गया, लेकिन नई एजेंसी नियुक्त न होने के कारण टाटा ग्रुप ही इस सेवा को संचालित कर रहा है। नतीजतन, गाड़ियों को बदला नहीं गया, और पुरानी गाड़ियां अब कंडम हालत में हैं। इन गाड़ियों की स्थिति बहुत खराब है। कई गाड़ियां रास्ते में खराब हो जाती हैं, जिससे इमरजेंसी सेवा बाधित होती है।

इतना ही इन वाहनों की मरम्मत और देखभाल का खर्च भी दोगुना हो चुका है। सरकार के नियमों के मुताबिक, अगर वाहन दो लाख किलोमीटर चल चुकी हो या 15 साल पुरानी हो गई हो तो कंडम मानी जाती हैं। बार-बार मरम्मत के बावजूद गाड़ियां विश्वसनीय नहीं रहीं, जिससे सेवा की गुणवत्ता प्रभावित हो रही है।

ये खबर भी पढ़ें... छत्तीसगढ़ में जूनियर डॉक्टर की हड़ताल से इमरजेंसी सेवाएं ठप, मरीजों को हो रही परेशानी, जूडा ने चाय बेचकर किया विरोध

गाड़ियों की खराबी से हादसे

डॉयल-112 की जर्जर गाड़ियों के कारण हाल के महीनों में कई गंभीर घटनाएं सामने आई हैं। 

पेंड्रा में हादसा : जून 2025 में पेंड्रा थाना क्षेत्र में पेट्रोलिंग पर निकली एक डॉयल-112 गाड़ी ने ग्रामीण राजेश लखरेजा को टक्कर मार दी। ब्रेक फेल होने के कारण ड्राइवर गाड़ी को नियंत्रित नहीं कर सका। राजेश, जो साप्ताहिक बाजार में मनिहारी की दुकान लगाता था, लरकेनी से लौट रहा था। इस हादसे ने गाड़ियों की खराब स्थिति को उजागर किया।

रायपुर में गाड़ी खराब : पिछले महीने सिविल लाइंस थाना क्षेत्र में देर रात पेट्रोलिंग पर निकली एक गाड़ी बीच रास्ते में बंद हो गई। कई प्रयासों के बाद भी गाड़ी चल नहीं सकी। अंतत: इसे टो करके ले जाना पड़ा।

भिलाई में पहिया निकला : फरवरी 2025 में भिलाई में एक डॉयल-112 गाड़ी का सामने का पहिया चलते-चलते निकल गया। गनीमत रही कि गाड़ी की रफ्तार कम थी, वरना बड़ा हादसा हो सकता था।

ये खबर भी पढ़ें... छत्तीसगढ़ में अनिश्चितकालीन हड़ताल पर गए जूनियर डॉक्टर्स, 2 अगस्त से इमरजेंसी सेवाओं को भी करेंगे ठप

नई एजेंसी नियुक्ति में देरी

डॉयल-112 सेवा के लिए नई एजेंसी नियुक्त करने की प्रक्रिया पिछले साल शुरू हुई थी। पुलिस मुख्यालय ने जिकित्सा हेल्थ केयर लिमिटेड (ZHL) को ठेका देने की तैयारी की थी, लेकिन राजस्थान में कंपनी के खिलाफ CBI जांच और मध्य प्रदेश में 70 से अधिक केस दर्ज होने की जानकारी मिलने के बाद यह निर्णय स्थगित कर दिया गया। इसके बाद शासन स्तर पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया, जिसके कारण पुरानी गाड़ियों के साथ सेवा को चलाया जा रहा है।

ये खबर भी पढ़ें... रायपुर में दोगुनी स्कॉलरशिप की मांग को लेकर 3 हजार जूनियर डॉक्टर्स की हड़ताल, ओपीडी और इमरजेंसी सेवाएं होंगी प्रभावित

डीजीपी का दौरा, फिर भी सुधार नहीं

इस वर्ष मार्च 2025 में छत्तीसगढ़ के पुलिस महानिदेशक (DGP) अरुणदेव गौतम ने रायपुर के सिविल लाइंस स्थित डॉयल-112 कार्यालय का दौरा किया था। उन्होंने सेवा की स्थिति का जायजा लिया और सुधार के लिए दिशा-निर्देश दिए थे। हालांकि, इन निर्देशों का कोई ठोस परिणाम नहीं निकला, और सेवा की स्थिति जस की तस बनी हुई है।

सरकारी गाड़ियों का रखरखाव

सरकारी नियमों के अनुसार, किसी वाहन की अधिकतम उपयोगिता 15 वर्ष या 2 लाख किलोमीटर तक मानी जाती है। इसके बाद रखरखाव का खर्च दोगुना हो जाता है, और गाड़ियां कंडम मानी जाती हैं। निजी वाहनों की तरह सरकारी गाड़ियों का नियमित रखरखाव नहीं होता, जिसके कारण डॉयल-112 की गाड़ियां अब जोखिम का कारण बन रही हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि पुरानी गाड़ियों को तत्काल बदलने और नई तकनीक से लैस वाहनों को शामिल करने की जरूरत है।

समाधान की जरूरत

डॉयल-112 सेवा को सुचारु करने के लिए निम्नलिखित कदम जरूरी हैं:नई एजेंसी की तत्काल नियुक्ति और पारदर्शी टेंडर प्रक्रिया।
पुरानी गाड़ियों को बदलकर आधुनिक, विश्वसनीय वाहनों को शामिल करना।
गाड़ियों के नियमित रखरखाव और मरम्मत के लिए प्रभावी सिस्टम।
आपातकालीन सेवाओं के लिए ड्राइवरों और कर्मचारियों को विशेष प्रशिक्षण।

लोगों की सुरक्षा के लिए खतरा

डॉयल-112 जैसी महत्वपूर्ण आपातकालीन सेवा का जर्जर गाड़ियों पर निर्भर रहना न केवल शर्मनाक है, बल्कि लोगों की सुरक्षा के लिए खतरा भी है। सरकार और पुलिस प्रशासन को इस दिशा में तत्काल कदम उठाने होंगे, ताकि यह सेवा अपनी मूल उद्देश्य को पूरा कर सके। जनता से अपील है कि वे आपातकालीन स्थिति में डॉयल-112 पर कॉल करने से पहले स्थानीय पुलिस या अन्य सेवाओं से भी संपर्क करें, ताकि देरी से बचा जा सके।

FAQ

डॉयल-112 सेवा की वर्तमान स्थिति इतनी खराब क्यों हो गई है?
डॉयल-112 सेवा की हालत इसलिए खराब हो गई है क्योंकि इसकी गाड़ियां 2.5 लाख किलोमीटर से ज्यादा चल चुकी हैं और अब वे खस्ताहाल में हैं। नई एजेंसी की नियुक्ति नहीं हुई है और पुरानी गाड़ियों को बदला भी नहीं गया है। मरम्मत का खर्च दोगुना हो गया है, और गाड़ियां अक्सर रास्ते में खराब हो जाती हैं, जिससे सेवा बाधित होती है।
पुरानी डॉयल-112 गाड़ियों के कारण किन दुर्घटनाओं की खबरें सामने आई हैं?
पुरानी गाड़ियों के कारण कई गंभीर घटनाएं हुई हैं: पेंड्रा में एक ग्रामीण को ब्रेक फेल होने के कारण गाड़ी ने टक्कर मार दी। रायपुर में एक गाड़ी रास्ते में बंद हो गई और टो करना पड़ा। भिलाई में गाड़ी का पहिया चलते-चलते निकल गया। इन घटनाओं ने साबित कर दिया कि ये गाड़ियां अब भरोसेमंद नहीं रहीं।
डॉयल-112 सेवा को सुधारने के लिए क्या कदम उठाए जाने चाहिए?
डॉयल-112 सेवा को बेहतर बनाने के लिए निम्नलिखित कदम जरूरी हैं: नई एजेंसी की तत्काल नियुक्ति पारदर्शी प्रक्रिया से की जाए। पुरानी गाड़ियों को हटाकर नई गाड़ियां शामिल की जाएं। रखरखाव और मरम्मत का सशक्त सिस्टम लागू हो। कर्मचारियों को विशेष प्रशिक्षण दिया जाए ताकि वे आपातकालीन स्थिति में प्रभावी सेवा दे सकें।

thesootr links

द सूत्र कीt खबरें आपको कैसी लगती हैं? Google my Business पर हमें कमेंट के साथ रिव्यू दें। कमेंट करने के लिए इसी लिंक पर क्लिक करें

अगर आपको ये खबर अच्छी लगी हो तो 👉 दूसरे ग्रुप्स, 🤝दोस्तों, परिवारजनों के साथ शेयर करें📢🔃 🤝💬👩‍👦👨‍👩‍👧‍👧

 

छत्तीसगढ़ डायल 112 | डायल 112 सेवा प्रभावित | इमरजेंसी सेवा खराब छत्तीसगढ़ | पुलिस गाड़ियां जर्जर | डायल 112 रखरखाव लापरवाही | छत्तीसगढ़ आपातकालीन सेवा

छत्तीसगढ़ डायल 112 डायल 112 सेवा प्रभावित इमरजेंसी सेवा खराब छत्तीसगढ़ पुलिस गाड़ियां जर्जर डायल 112 रखरखाव लापरवाही छत्तीसगढ़ आपातकालीन सेवा