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छत्तीसगढ़ में आपातकालीन सहायता प्रदान करने वाली डॉयल-112 सेवा को ही आपातकालीन सेवा की आवश्यकता है। दरअसल, पुलिस की आपातकालीन सेवा देने वाली गाड़ियां 2.5 लाख किलोमीटर से अधिक का सफर कर चुकी है। अब ये खस्ताहाल में आ गई हैं।
पुरानी और जर्जर गाड़ियों के कारण कई बार इमरजेंसी कॉल पर निकली गाड़ियां रास्ते में खराब हो रही हैं, जिससे लोगों की जान जोखिम में पड़ रही है। नई एजेंसी नियुक्त न होने और गाड़ियों के रखरखाव में लापरवाही के चलते यह महत्वपूर्ण सेवा प्रभावित हो रही है। हाल ही में पेंड्रा में एक ग्रामीण को टक्कर मारने और भिलाई में गाड़ी का पहिया निकलने जैसी घटनाएं इस समस्या की गंभीरता को दर्शाती हैं।
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डॉयल-112 की शुरुआत और वर्तमान स्थिति
छत्तीसगढ़ में इमरजेंसी सेवा प्रदान करने के उद्देश्य वर्ष 2018 में डॉयल-112 सेवा की शुरु की गई थी। यह इमरजेंसी सेवा 11 जिलों में शुरू की गई थी। इस सेवा मकसद इमरजेंसी में पुलिस और स्वास्थ्य समेत दूसरी कई सहायता तुरंत उपलब्ध कराना था। इसके लिए टाटा ग्रुप के साथ 5 साल का अनुबंध (MoU) किया गया था, और वर्ष 2017 में 252 गाड़ियां खरीदी गई थीं।
यह अनुबंध 2023 में समाप्त हो गया, लेकिन नई एजेंसी नियुक्त न होने के कारण टाटा ग्रुप ही इस सेवा को संचालित कर रहा है। नतीजतन, गाड़ियों को बदला नहीं गया, और पुरानी गाड़ियां अब कंडम हालत में हैं। इन गाड़ियों की स्थिति बहुत खराब है। कई गाड़ियां रास्ते में खराब हो जाती हैं, जिससे इमरजेंसी सेवा बाधित होती है।
इतना ही इन वाहनों की मरम्मत और देखभाल का खर्च भी दोगुना हो चुका है। सरकार के नियमों के मुताबिक, अगर वाहन दो लाख किलोमीटर चल चुकी हो या 15 साल पुरानी हो गई हो तो कंडम मानी जाती हैं। बार-बार मरम्मत के बावजूद गाड़ियां विश्वसनीय नहीं रहीं, जिससे सेवा की गुणवत्ता प्रभावित हो रही है।
गाड़ियों की खराबी से हादसे
डॉयल-112 की जर्जर गाड़ियों के कारण हाल के महीनों में कई गंभीर घटनाएं सामने आई हैं।
पेंड्रा में हादसा : जून 2025 में पेंड्रा थाना क्षेत्र में पेट्रोलिंग पर निकली एक डॉयल-112 गाड़ी ने ग्रामीण राजेश लखरेजा को टक्कर मार दी। ब्रेक फेल होने के कारण ड्राइवर गाड़ी को नियंत्रित नहीं कर सका। राजेश, जो साप्ताहिक बाजार में मनिहारी की दुकान लगाता था, लरकेनी से लौट रहा था। इस हादसे ने गाड़ियों की खराब स्थिति को उजागर किया।
रायपुर में गाड़ी खराब : पिछले महीने सिविल लाइंस थाना क्षेत्र में देर रात पेट्रोलिंग पर निकली एक गाड़ी बीच रास्ते में बंद हो गई। कई प्रयासों के बाद भी गाड़ी चल नहीं सकी। अंतत: इसे टो करके ले जाना पड़ा।
भिलाई में पहिया निकला : फरवरी 2025 में भिलाई में एक डॉयल-112 गाड़ी का सामने का पहिया चलते-चलते निकल गया। गनीमत रही कि गाड़ी की रफ्तार कम थी, वरना बड़ा हादसा हो सकता था।
नई एजेंसी नियुक्ति में देरी
डॉयल-112 सेवा के लिए नई एजेंसी नियुक्त करने की प्रक्रिया पिछले साल शुरू हुई थी। पुलिस मुख्यालय ने जिकित्सा हेल्थ केयर लिमिटेड (ZHL) को ठेका देने की तैयारी की थी, लेकिन राजस्थान में कंपनी के खिलाफ CBI जांच और मध्य प्रदेश में 70 से अधिक केस दर्ज होने की जानकारी मिलने के बाद यह निर्णय स्थगित कर दिया गया। इसके बाद शासन स्तर पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया, जिसके कारण पुरानी गाड़ियों के साथ सेवा को चलाया जा रहा है।
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डीजीपी का दौरा, फिर भी सुधार नहीं
इस वर्ष मार्च 2025 में छत्तीसगढ़ के पुलिस महानिदेशक (DGP) अरुणदेव गौतम ने रायपुर के सिविल लाइंस स्थित डॉयल-112 कार्यालय का दौरा किया था। उन्होंने सेवा की स्थिति का जायजा लिया और सुधार के लिए दिशा-निर्देश दिए थे। हालांकि, इन निर्देशों का कोई ठोस परिणाम नहीं निकला, और सेवा की स्थिति जस की तस बनी हुई है।
सरकारी गाड़ियों का रखरखाव
सरकारी नियमों के अनुसार, किसी वाहन की अधिकतम उपयोगिता 15 वर्ष या 2 लाख किलोमीटर तक मानी जाती है। इसके बाद रखरखाव का खर्च दोगुना हो जाता है, और गाड़ियां कंडम मानी जाती हैं। निजी वाहनों की तरह सरकारी गाड़ियों का नियमित रखरखाव नहीं होता, जिसके कारण डॉयल-112 की गाड़ियां अब जोखिम का कारण बन रही हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि पुरानी गाड़ियों को तत्काल बदलने और नई तकनीक से लैस वाहनों को शामिल करने की जरूरत है।
समाधान की जरूरत
डॉयल-112 सेवा को सुचारु करने के लिए निम्नलिखित कदम जरूरी हैं:नई एजेंसी की तत्काल नियुक्ति और पारदर्शी टेंडर प्रक्रिया।
पुरानी गाड़ियों को बदलकर आधुनिक, विश्वसनीय वाहनों को शामिल करना।
गाड़ियों के नियमित रखरखाव और मरम्मत के लिए प्रभावी सिस्टम।
आपातकालीन सेवाओं के लिए ड्राइवरों और कर्मचारियों को विशेष प्रशिक्षण।
लोगों की सुरक्षा के लिए खतरा
डॉयल-112 जैसी महत्वपूर्ण आपातकालीन सेवा का जर्जर गाड़ियों पर निर्भर रहना न केवल शर्मनाक है, बल्कि लोगों की सुरक्षा के लिए खतरा भी है। सरकार और पुलिस प्रशासन को इस दिशा में तत्काल कदम उठाने होंगे, ताकि यह सेवा अपनी मूल उद्देश्य को पूरा कर सके। जनता से अपील है कि वे आपातकालीन स्थिति में डॉयल-112 पर कॉल करने से पहले स्थानीय पुलिस या अन्य सेवाओं से भी संपर्क करें, ताकि देरी से बचा जा सके।
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