/sootr/media/media_files/2025/05/23/LLndGtkeTvDRDQlvHBz0.jpg)
छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में स्थित पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय, जो प्रदेश का सबसे पुराना और प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय है, के प्रभारी कुलसचिव शैलेन्द्र पटेल के मामले में छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने गुरुवार, 22 मई 2025 को एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया। हाईकोर्ट ने अपने 23 पेज के विस्तृत आदेश में स्पष्ट किया कि शैलेन्द्र पटेल कुलसचिव पद के लिए निर्धारित योग्यता को पूरा नहीं करते और इस पद पर उनकी नियुक्ति अवैध है। इस फैसले के साथ ही कोर्ट ने पटेल की याचिका को खारिज कर दिया।
ये खबर भी पढ़ें... अपेक्स बैंक में 10 करोड़ के गबन का खुलासा, ब्रांच मैनेजर समेत तीन गिरफ्तार
कानूनी लड़ाई तीन साल चली
यह मामला वर्ष 2022 से चल रहा था, जब शैलेन्द्र पटेल की कुलसचिव पद पर नियुक्ति को लेकर विवाद शुरू हुआ। राहुल गिरी गोस्वामी ने इस नियुक्ति के खिलाफ शिकायत दर्ज की थी, जिसमें उन्होंने पटेल की योग्यता और नियुक्ति प्रक्रिया की वैधता पर सवाल उठाए थे। इस शिकायत के आधार पर एक प्राथमिकी (FIR) भी दर्ज की गई थी, जिसका उल्लेख हाईकोर्ट के आदेश में किया गया है। तीन साल तक चली कानूनी लड़ाई के बाद, इस मामले की अंतिम सुनवाई 6 मार्च 2025 को हाईकोर्ट में हुई, और 22 मई 2025 को फैसला सुनाया गया।
ये खबर भी पढ़ें... DRG के खौफ से नक्सलियों की नींद हराम, बसव राजू की डायरी खोलती है राज
हाईकोर्ट का आदेश
हाईकोर्ट ने अपने आदेश में साफ तौर पर कहा कि शैलेन्द्र पटेल कुलसचिव पद के लिए आवश्यक शैक्षणिक और प्रशासनिक योग्यता को पूरा नहीं करते। कोर्ट ने अपने 23 पेज के आदेश में इस बात पर जोर दिया कि विश्वविद्यालय जैसे महत्वपूर्ण संस्थान में कुलसचिव जैसे जिम्मेदार पद के लिए योग्यता और पारदर्शिता का पालन अनिवार्य है। आदेश में कहा गया, "शैलेन्द्र पटेल निर्धारित मापदंडों को पूरा नहीं करते, इसलिए उन्हें कुलसचिव पद पर नियुक्त नहीं किया जा सकता।" इसके साथ ही कोर्ट ने याचिका को खारिज करते हुए मामले को समाप्त कर दिया।
ये खबर भी पढ़ें... बैडमिंटन कोर्ट में ही खिलाड़ी जमीन पर गिर पड़ा और सांसें थम गईं
राहुल गिरी गोस्वामी की शिकायत और FIR
हाईकोर्ट के आदेश में राहुल गिरी गोस्वामी की शिकायत को विशेष रूप से उल्लेखित किया गया है। गोस्वामी ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया था कि शैलेन्द्र पटेल की नियुक्ति नियमों के विपरीत और गैर-कानूनी ढंग से की गई थी। इस शिकायत के बाद दर्ज FIR ने मामले को और गंभीर बना दिया। कोर्ट ने अपने आदेश में इस शिकायत और FIR को आधार बनाते हुए पटेल की नियुक्ति को अवैध ठहराया।
ये खबर भी पढ़ें... आंगनबाड़ी सहायिका भर्ती में घोटाला, 13 नियुक्तियों में गड़बड़ी, चयन समिति को नोटिस
विश्वविद्यालय और समाज पर प्रभाव
पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय छत्तीसगढ़ का एक प्रमुख शैक्षणिक संस्थान है, और इस तरह के विवाद इसकी प्रतिष्ठा पर सवाल उठाते हैं। कुलसचिव का पद विश्वविद्यालय के प्रशासनिक ढांचे का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो संस्थान के सुचारू संचालन और नीतिगत निर्णयों में अहम भूमिका निभाता है। हाईकोर्ट का यह फैसला न केवल विश्वविद्यालय प्रशासन के लिए एक सबक है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि शैक्षणिक संस्थानों में नियुक्तियों में पारदर्शिता और योग्यता का पालन कितना जरूरी है।
नियुक्तियों की पारदर्शिता, जवाबदेही को सुनिश्चित हो
हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद अब विश्वविद्यालय प्रशासन को नए सिरे से कुलसचिव की नियुक्ति प्रक्रिया शुरू करनी होगी। यह भी संभव है कि शैलेन्द्र पटेल इस फैसले के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में अपील करें, लेकिन फिलहाल हाईकोर्ट का आदेश अंतिम है। इस मामले ने विश्वविद्यालय के कर्मचारियों, छात्रों और शैक्षणिक समुदाय के बीच व्यापक चर्चा को जन्म दिया है।
नियुक्तियों में पारदर्शिता और निष्पक्षता जरूरी
छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट का यह फैसला शैक्षणिक संस्थानों में नियुक्तियों की पारदर्शिता और जवाबदेही को सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। शैलेन्द्र पटेल की अयोग्यता पर कोर्ट की मुहर ने यह स्पष्ट कर दिया है कि नियमों और योग्यता के मापदंडों का पालन हर हाल में जरूरी है। यह मामला न केवल रविशंकर विश्वविद्यालय के लिए, बल्कि पूरे देश के शैक्षणिक संस्थानों के लिए एक उदाहरण बन सकता है, जहां प्रशासनिक नियुक्तियों में पारदर्शिता और निष्पक्षता को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।
Ravishankar Shukla University | Ravishankar Shukla University Raipur | Registrar | post | remove | रविशंकर विश्वविद्यालय रायपुर