रायपुर. अडानी मामले के बाद एक बार फिर अडानी का छत्तीसगढ़ कनेक्शन चर्चा में है। हम आपको बता रहे हैं कि आखिर हसदेव के गुनहगार कौन कौन हैं। इसकी पहली कड़ी में द सूत्र आपको उन अधिकारियों के नाम बता चुका है, जिन्होंने पेड़ों को काटने में अहम भूमिका निभाई। ( इन अफसरों ने किया अडानी के लिए लाखों पेड़ काटने का रास्ता साफ )
अब हमको सियासी चेहरे बताते हैं। हसदेव को काटने में साल दर साल रास्ता साफ किया जाता रहा, अंतर बस इतना रहा कि कुर्सी पर बैठे लोगों के चेहरे बदलते गए। यानी सरकारें बदलीं, लेकिन फैसला एक तरह का ही हुआ।
हसदेव काटने का जिस बीजेपी ने विरोध किया, अब उसी की सरकार में पेड़ों को काटा जा रहा है। अब विपक्ष में बैठी कांग्रेस इसका विरोध कर रही है, लेकिन जब भूपेश सरकार थी, तब भी पेड़ काटने को मंजूरी दी गई। अब हसदेव की कटाई रोकने के लिए बड़े आंदोलन की जमीन तैयार हो रही है। विधानसभा में एक लाख याचिकाएं भेजी जाएंगी तो दस हजार गांवों तक अनुसूचित जाति की रिपोर्ट जाएगी।
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हसदेव के सियासी गुनहगार
हसदेव को एशिया का फेंफड़ा कहा जाता है। वो इसलिए क्योंकि हसदेव के घने जंगल के पेड़ लोगों को ऑक्सीजन देकर उनकी सांस को बरकरार रखते हैं। लेकिन हसदेव पर लगातार संकट के बादल मंडरा रहे हैं। इसके पेड़ों को काटा जा रहा है। हसदेव के प्रशासनिक और सियासी गुनहगार दोनों हैं। सियासी गुनहगार भी दिल्ली से लेकर रायपुर तक हैं। सरकारें बदलीं लेकिन पेड़ों की कटाई नहीं रुकी।
प्रदेश में बीजेपी की सरकार हो या कांग्रेस की सरकार, दोनों ने ही विपक्ष में विरोध किया और सत्ता में आते ही अपने विरोध को भुला दिया। अडानी मामला सामने आने के बाद अब पूर्व मुख्यमंत्री बता रहे हैं कि अडानी पर केंद्र और राज्य की बीजेपी सरकार किस तरह मेहरबान रही है।
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झूठ बोल रहे है भूपेश : बीजेपी
वहीं सीएम के मीडिया सलाहकार पंकज झा ने कुछ दस्तावेज जारी कर कहा कि भूपेश बघेल सफेद झूठ बोल रहे हैं। उन्होंने एक्स पर पोस्ट कर कहा कि भूपेश बघेल झूठ बोल रहे हैं,हमेशा की तरह। जिस डील की बात अमेरिकन दस्तावेजों से सामने आयी है, छत्तीसगढ़ में कांग्रेस सरकार में समय ही, 2021 में ही वह डील हुई थी। यह दस्तावेज देखिए। बिल्कुल उसी दौरान भूपेश सरकार ने भी यह डील किए थे, जिसके लिये रिश्वत देने की बात की गयी है।
झा ने कहा कि भूपेश बघेल झूठ बोल रहे हैं, यह कोई बड़ी बात नहीं है। वे बोलते रहे हैं। कांग्रेस बोलती रहती है झूठ। बड़ी बात यह है कि हमेशा की तरह ही कांग्रेस चोरी और सीनाजोरी दोनों कर रही है। या तो अमेरिकन एजेंसी के तथ्य गलत हैं, अनेक ऐसे कारण हैं, जिससे यह कह सकते हैं कि उसके तथ्य गलत हैं।
झा के अनुसार हिंडनवर्ग से लेकर बाईडेन तक के मामले पर आप ध्यान दें तो यह कह सकते हैं कि यूनाइटेड स्टेट्स के कार्यवाहक राष्ट्रपति बदले की भावना से काम कर रहे हैं। वे काफी जल्दबाजी में हैं और अमेरिका को निपटाने की कसम जैसा खा चुके हैं। लेकिन अगर अमेरिकन एजेंसी के तथ्यों में दम है, तो निस्संदेह भूपेश बघेल समेत तब की अनेक कांग्रेस शासित और गैर भाजपा शासित राज्यों ने जम कर रिश्वत लिए हैं। केंद्रीय कांग्रेस के एटीएम में इस रिश्वत के पैसे भी भरे गये हैं। अभी तो तेलंगाना के सीएम ने खुले तौर पर अदानी से सौ करोड़ लिए हैं। क्या यह छत्तीसगढ़ का ही बकाया किश्त तो नहीं रहा होगा ‘जनपथ’ का? जवाब देना चाहिये कांग्रेस को। बार-बार झूठ बोलने के लिये कांग्रेस को और क्या सजा दी जाय, जनता को समझना होगा।
इस तरह चला हसदेव कटने का सिलसिला
- 6 वर्षो बाद छत्तीसगढ़ राज्य अनुसूचित जन जाति आयोग की जाँच में यह स्पष्ट हो गया कि सरगुजा जिला प्रशासन के अधिकारियों और अडानी कंपनी ने मिलकर साल 2017 - 18 में परसा कोल ब्लॉक प्रभावित गाँव की ग्राम सभाओं के फर्जी कूटरचित दस्तावेज तैयार किये थे।
- इन फर्जी ग्राम सभा प्रस्ताव की जाँच के लिए थाना से लेकर कलेक्टर तक शिकायतों के बाद हसदेव के ग्रामीण 300 किलोमीटर पदयात्रा करके रायपुर पहुंचे ।
- पदयात्रियों से मिलने के बाद तत्कालीन राज्यपाल अनसुइया उइके ने कहा कि आदिवासियों के साथ अन्याय होने नहीं दिया जायेगा वह उनकीं प्रशासक हैं । उन्होंने 23 अक्टूबर 2021 को मुख्य सचिव और मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर फर्जी ग्रामसभा प्रस्ताव की जाँच करने और तब तक सभी कार्यवाही स्थगित रखने का आदेश दिया।
- राज्यपाल के आदेश को दरकिनार करके सरकार ने इस कोल ब्लॉक को 2021 में ही वन स्वीकृति जारी कर दी।
- ग्राम सभाओं की जाँच किये बिना ही तत्कालीन भूपेश सरकार ने 7 अप्रेल 2022 को इसी कोल ब्लॉक की वन स्वीकृति के अंतिम आदेश को भी जारी कर दिया।
- बीजेपी की विष्णुदेव साय सरकार ने इसी कोल ब्लॉक के लिए भारी पुलिस बल के साथ आदिवासियों पर लाठी और पेट्रोल बम फेंकते हुए पेड़ों की कटाई करवा दी जबकि विपक्ष में रहकर बीजेपी इसका विरोध कर रही थी ।
- अभी तक अनुसूचित जनजाति आयोग की रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं किया गया है। इस रिपोर्ट पर आयोग के सचिव ने भी हस्ताक्षर नहीं किए हैं।
तैयार हो रही आंदोलन की जमीन
हसदेव बचाने के लिए प्रदेश स्तर पर एक बड़े आंदोलन की जमीन तैयार हो रही है। इसके लिए हसदेव बचाओ समिति सभी आदिवासियों को इकजुट कर रही है। पेड़ों को काटने के खिलाफ समिति अदालत का दरवाजा खटखटाएगी। इसके अलावा विधानसभा में एक लाख याचिकाएं लगाई जाएंगी।
इन याचिकाओं में प्रभावित आदिवासियों के हस्ताक्षर होंगे। अनुसूचित जनजाति आयोग की इस रिपोर्ट को लेकर समिति के सदस्य दस हजार गांवों तक जाएंगे। लोगों के साथ इस रिपोर्ट को साझा करेंगे। उनका समर्थन मांगकर उनसे हस्ताक्षर करवाएंगे। जनचौपाल लगाकर लोगों को इस रिपोर्ट में लिखे तथ्यों को बताया जाएगा। ये समिति लोगों को बताएगी कि किस तरह उनकी संस्कृति के साथ उनकी सांसों का भी सौदा किया गया है। और उनकी सुनवाई कोई नहीं कर रहा है।