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छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के व्यस्ततम भाठागांव चौक पर गुरुवार शाम एक ऐसा नजारा देखने को मिला, जिसने VVIP कल्चर के कारण आम जनता को होने वाली परेशानियों को फिर से उजागर कर दिया। राज्यपाल रमेन डेका के काफिले के गुजरने के लिए ट्रैफिक को करीब 20 मिनट तक रोका गया, जिसके चलते भाठागांव ओवरब्रिज और सर्विस रोड पर वाहनों की लंबी कतारें लग गईं।
इस जाम में एक एंबुलेंस भी फंस गई, जिसका सायरन लगातार बजता रहा, लेकिन भारी ट्रैफिक के बीच इसे रास्ता देने की कोशिशें नाकाम रहीं। करीब 15 मिनट की जद्दोजहद के बाद ही एंबुलेंस को आगे बढ़ने का रास्ता मिल सका। यह घटना न केवल ट्रैफिक प्रबंधन की खामियों को दर्शाती है, बल्कि VVIP संस्कृति के प्रति लोगों की नाराजगी को भी सामने लाती है।
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यह है पूरी घटना
जानकारी के मुताबिक, राज्यपाल रमेन डेका ने गुरुवार को रायपुर के कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता विश्वविद्यालय में अचानक निरीक्षण का कार्यक्रम बनाया। उनके काफिले को सुगमता से गुजरने के लिए पुलिस ने भाठागांव चौक पर ट्रैफिक को पूरी तरह रोक दिया। यह इलाका शहर का एक प्रमुख और हमेशा व्यस्त रहने वाला क्षेत्र है। ट्रैफिक रोकने के फैसले ने न केवल आम लोगों को परेशानी में डाला, बल्कि एक एंबुलेंस को भी जाम में फंसने के लिए मजबूर कर दिया।
सायरन की आवाज के बावजूद, घने ट्रैफिक के कारण न तो वाहन चालक रास्ता दे पाए और न ही पुलिस की ओर से तत्काल कोई वैकल्पिक व्यवस्था की गई। स्थानीय लोगों ने बताया कि जाम की स्थिति इतनी गंभीर थी कि वाहन एक इंच भी आगे नहीं बढ़ पा रहे थे। एंबुलेंस में मौजूद मरीज की हालत को लेकर लोगों में चिंता थी, लेकिन हालात उनके नियंत्रण से बाहर थे। ट्रैफिक में फंसे कुछ लोगों ने अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए कहा, "हमारे VVIP को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से सीख लेनी चाहिए। उनके काफिले में हमेशा एंबुलेंस को रास्ता दिया जाता है।"
पीएम मोदी संवेदनशीलता की मिसाल
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के काफिले का जिक्र इस संदर्भ में बार-बार आना स्वाभाविक है। कई मौकों पर उनके काफिले को एंबुलेंस के लिए रास्ता बनाते देखा गया है। हाल ही में ओडिशा के पुरी में रथयात्रा के दौरान लाखों की भीड़ के बीच 1500 से अधिक कार्यकर्ताओं ने तत्परता दिखाते हुए एंबुलेंस के लिए रास्ता बनाया था। यह घटना सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुई और लोगों ने पीएम मोदी की संवेदनशीलता की तारीफ की। इसके विपरीत, रायपुर की यह घटना VVIP protocolo के दुरुपयोग और आम जनता की परेशानियों के प्रति असंवेदनशीलता को दर्शाती है।
रायपुर में ट्रैफिक की स्थिति, एक रोजमर्रा की समस्या
भाठागांव चौक और कुशालपुर चौक जैसे इलाके रायपुर में ट्रैफिक जाम के लिए कुख्यात हैं। खासकर सुबह 10 से 11 बजे के बीच और शाम के समय इन क्षेत्रों में जाम की स्थिति आम बात है। कुशालपुर चौक पर तो दो ट्रैफिक पुलिसकर्मी स्थायी रूप से तैनात रहते हैं, लेकिन इसके बावजूद हालात सुधरते नहीं दिखते। भाठागांव चौक पर ओवरब्रिज और सर्विस रोड होने के बावजूद ट्रैफिक का दबाव इतना ज्यादा है कि छोटी सी रुकावट भी लंबा जाम खड़ा कर देती है।
स्थानीय निवासियों का कहना है कि VVIP काफिलों के लिए ट्रैफिक रोकना अब एक आम प्रथा बन गई है, जिसका खामियाजा आम लोगों को भुगतना पड़ता है। एक स्थानीय दुकानदार ने कहा, "हम समझते हैं कि VVIP की सुरक्षा जरूरी है, लेकिन क्या यह जरूरी नहीं कि एक मरीज की जान बचाने वाली एंबुलेंस को प्राथमिकता दी जाए? यह हर बार की कहानी है।"
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यह है समाधान
इस घटना ने एक बार फिर ट्रैफिक प्रबंधन और VVIP काफिलों के लिए बनाए गए प्रोटोकॉल पर सवाल उठाए हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि कुछ उपायों से इस तरह की घटनाओं को रोका जा सकता है।
एंबुलेंस के लिए ग्रीन कॉरिडोर : VVIP काफिलों के दौरान एंबुलेंस के लिए विशेष ग्रीन कॉरिडोर की व्यवस्था की जानी चाहिए, ताकि आपातकालीन वाहनों को रास्ता मिल सके।
बेहतर ट्रैफिक प्लानिंग : रायपुर जैसे शहरों में ट्रैफिक के व्यस्त इलाकों में वैकल्पिक रास्तों की पहले से योजना बनाई जानी चाहिए।
प्रशिक्षण और जागरूकता : पुलिस और सुरक्षा कर्मियों को इस बात के लिए प्रशिक्षित किया जाना चाहिए कि वे VVIP काफिलों के दौरान आपातकालीन वाहनों को प्राथमिकता दें।
तकनीक का उपयोग : स्मार्ट ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम और रियल-टाइम मॉनिटरिंग से जाम की स्थिति को कम किया जा सकता है।
लोगों की नाराजगी और अपील
ट्रैफिक में फंसे लोगों ने सोशल मीडिया पर अपनी नाराजगी जाहिर की और छत्तीसगढ़ प्रशासन से अपील की कि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए ठोस कदम उठाए जाएं। एक यूजर ने लिखा, "जब पीएम मोदी जैसे नेता लाखों की भीड़ में एंबुलेंस को रास्ता दे सकते हैं, तो हमारे स्थानीय VVIP ऐसा क्यों नहीं कर सकते? यह शर्मनाक है कि एक मरीज की जान को खतरे में डाला गया।"
जान से ज्यादा कीमती कुछ भी नहीं
रायपुर की यह घटना न केवल VVIP कल्चर की खामियों को उजागर करती है, बल्कि यह भी सवाल उठाती है कि क्या हमारी प्राथमिकताएं सही दिशा में हैं? एक तरफ जहां देश के शीर्ष नेता संवेदनशीलता और मानवीयता का परिचय दे रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ स्थानीय स्तर पर ऐसी घटनाएं आम लोगों का भरोसा तोड़ रही हैं। जरूरत है कि छत्तीसगढ़ प्रशासन और VVIP प्रोटोकॉल से जुड़े अधिकारी इस घटना से सबक लें और भविष्य में ऐसी स्थिति को टालने के लिए प्रभावी कदम उठाएं। आखिरकार, किसी की जान से ज्यादा कीमती कुछ भी नहीं हो सकता।
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