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छत्तीसगढ़ में साइबर अपराध की एक नई और खतरनाक लहर फैल रही है। अब शिकार आम लोग नहीं, बल्कि सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर और यूट्यूबर्स बन रहे हैं। जिनके हजारों-लाखों फॉलोवर्स हैं, वे अब हैकर्स के 'प्राइम टारगेट' बन चुके हैं। इन कंटेंट क्रिएटर्स को मैलवेयर के ज़रिए निशाना बनाया जा रहा है और उनके अकाउंट्स हैक कर, साइबर गिरोह मोटी कमाई कर रहे हैं।
ऐसे हो रहा हमला
साइबर एक्सपर्ट्स के अनुसार, इन्फ्लुएंसर्स और यूट्यूबर्स को ब्रांड कोलैबोरेशन, प्रमोशन या स्पॉन्सरशिप के नाम पर एक फर्जी मेल या इंस्टेंट मैसेज भेजा जाता है। उसमें एक लिंक या फाइल होती है जो असल में मैलवेयर होता है। जैसे ही पीड़ित उस लिंक पर क्लिक करता है या फाइल डाउनलोड करता हैउनका सोशल मीडिया लॉगिन एक्सेस हो जाता है। ऑटोमेटिकली पासवर्ड्स हैक हो जाते हैं। अकाउंट पर हैकर्स का कब्जा हो जाता है।
मोटी कमाई का तरीका
हैक किए गए अकाउंट्स को डार्क वेब पर बेचना: वेरिफाइड अकाउंट्स, जिनके हजारों-लाखों फॉलोवर्स हैं, उन्हें ₹5,000 से ₹1 लाख तक में बेचा जा रहा है।
फिरौती वसूली (रैनसम डिमांड): कई मामलों में हैकर्स खुद पीड़ित से संपर्क करते हैं और कहते हैं 'अकाउंट चाहिए तो पैसे भेजो।' फिरौती की रकम ₹10,000 से लेकर ₹1 लाख तक मांगी जा रही है।
ब्रांड्स और फॉलोअर्स को धोखा देना: हैकर्स अकाउंट से फर्जी प्रमोशन, स्कैम लिंक्स या क्रिप्टो फ्रॉड चला रहे हैं जिससे वे और पैसे कमा रहे हैं।
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अब तक के मामले
साइबर सेल रिपोर्ट अनुसार जनवरी 2025 से मई 2025 तक 75 से ज्यादा इन्फ्लुएंसर्स/यूट्यूबर्स के अकाउंट हैक हुए। 30 से ज्यादा केस में फिरौती मांगी गई। सबसे ज्यादा टारगेट इंस्टाग्राम, यूट्यूब और फेसबुक क्रिएटर्स हुए।
केस स्टडी
रायपुर की यूट्यूबर निधि सेन, जिनके 2.3 लाख सब्सक्राइबर हैं, को एक म्यूजिक प्रमोशन कंपनी के नाम पर मेल आया। उन्होंने लिंक ओपन किया, और दो घंटे में उनका पूरा चैनल गायब हो गया। हैकर्स ने $700 की फिरौती मांगी।
साइबर एक्सपर्ट्स की सलाह
अनजान मेल्स या लिंक पर क्लिक न करें
हमेशा 2-Factor Authentication ऑन रखें
पासवर्ड को नियमित रूप से बदलें
किसी संदिग्ध गतिविधि पर तुरंत अकाउंट एक्सेस बंद कराएं
सोशल मीडिया अकाउंट से बिजनेस ईमेल को अलग रखें
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सहायता के लिए
साइबर हेल्पलाइन नंबर: 1930
ईमेल: cybercell.cg@gov.in
पुलिस एप: CG-CyberSafe (जल्द लॉन्च हो रहा है)
सरकारी पहल
छत्तीसगढ़ सरकार ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए एक स्पेशल टास्क फोर्स बनाई है। कॉलेजों में "डिजिटल सिक्योरिटी ट्रेनिंग" शुरू करने का फैसला लिया है। सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स के लिए एक साइबर सुरक्षा गाइडलाइन तैयार की जा रही है। इन्फ्लुएंसर बनना आजकल का ट्रेंड है, लेकिन इसके साथ जुड़े खतरे भी अब तेजी से सामने आ रहे हैं। डिजिटल पहचान की सुरक्षा अब केवल विकल्प नहीं, आवश्यकता है। सावधानी ही सुरक्षा है।
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