इंदौर में स्थापित होगी स्वामी विवेकानंद की विश्व में सबसे ऊंची प्रतिमा, जानिए क्या हैं खासियत

इंदौर के सिरपुर में स्वामी विवेकानंद की 52 फीट ऊंची प्रतिमा स्थापित की जाएगी। यह मूर्ति नरेश कुमावत बनाएंगे, जो अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त मूर्तिकार हैं। इसकी लागत 9 करोड़ रुपए आएगी, जिसमें गैलरी और प्रतिमा दोनों शामिल हैं।

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Jitendra Shrivastava
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Photograph: (THESOOTR)

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BHOPAL. मध्यप्रदेश में इंदौर के सिरपुर स्थित देवी अहिल्या सरोवर उद्यान में स्वामी विवेकानंद की 52 फीट ऊंची भव्य प्रतिमा स्थापित की जाएगी। यह प्रतिमा पंचधातु से बनेगी और अंतरराष्ट्रीय मूर्तिकार नरेश कुमावत इसे तैयार करेंगे।

इस मूर्ति का निर्माण गुरुग्राम स्थित ‘माटूराम कला केंद्र’ में हो रहा है। इसके अलावा, विवेकानंद के जीवन और योगदान को प्रदर्शित करने के लिए एक विशेष गैलरी भी बनाई जाएगी। इस परियोजना पर लगभग 9 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे।

देवी अहिल्या सरोवर उद्यान में होगी स्थापित

इंदौर शहर में स्वामी विवेकानंद की 52 फीट ऊंची प्रतिमा स्थापित की जाएगी, जो न केवल इस शहर के लिए बल्कि पूरे देश के लिए गर्व की बात होगी। यह प्रतिमा सिरपुर स्थित देवी अहिल्या सरोवर उद्यान में स्थापित की जाएगी। इस भव्य मूर्ति का निर्माण अंतरराष्ट्रीय मूर्तिकार नरेश कुमावत कर रहे हैं, जो इस समय गुरुग्राम स्थित अपने स्टूडियो में काम कर रहे हैं।

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प्रतिमा और गैलरी निर्माण की लागत

स्वामी विवेकानंद प्रतिमा 52 फीट ऊंची पंचधातु (five metals) से निर्मित की जाएगी, जो मूर्तिकला के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण तकनीकी दृष्टिकोण होगा। इस पूरे प्रोजेक्ट की लागत लगभग 9 करोड़ रुपए होगी, जिसमें प्रतिमा के निर्माण के अलावा एक गैलरी भी बनाई जाएगी। 

इस गैलरी में स्वामी विवेकानंद के जीवन, उनके विचारों और योगदान को चित्रों, दस्तावेजों और डिजिटल माध्यमों के माध्यम से प्रदर्शित किया जाएगा। इस गैलरी का उद्देश्य न केवल स्वामी विवेकानंद के जीवन को सम्मानित करना है, बल्कि उनके द्वारा किए गए सामाजिक और धार्मिक योगदान को भी उजागर करना है।

मूर्तिकार नरेश कुमावत ने बताया कि स्वामी विवेकानंद की यह भव्य प्रतिमा जल्द ही पूरी तरह तैयार हो जाएगी। यह मूर्ति 14 टन वजन की होगी और पंचधातु से निर्मित की जाएगी। इस पंचधातु प्रतिमा में लगभग 85 प्रतिशत तांबा (कॉपर) होगा, जबकि बाकी 15 प्रतिशत हिस्से में जिंक, लेड और अन्य धातुएं शामिल की जाएंगी। तांबे के उपयोग के कारण इस मूर्ति की उम्र हजारों वर्षों तक बनी रहेगी।

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स्वामी विवेकानंद का योगदान

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स्वामी विवेकानंद न केवल भारतीय समाज के महान संत थे, बल्कि उन्होंने भारतीय संस्कृति और धर्म को दुनिया के सामने प्रस्तुत किया। उनका विश्वास था कि भारतीय समाज को अपनी पुरानी परंपराओं से जुड़कर आधुनिकता की दिशा में आगे बढ़ना चाहिए। स्वामी विवेकानंद ने विशेष रूप से युवाओं को जागरूक करने का कार्य किया और उनका आदर्श आज भी प्रेरणा का स्रोत बना हुआ है।

गैलरी में विवेकानंद की जीवन यात्रा

प्रतिमा स्थल पर बनने वाली गैलरी में स्वामी विवेकानंद के जीवन के महत्वपूर्ण पल, उनके विचार और उनके योगदान को प्रदर्शित किया जाएगा। गैलरी में स्वामी विवेकानंद के उद्धरण, उनके द्वारा दिए गए भाषण और उनके जीवन से जुड़े ऐतिहासिक दस्तावेज होंगे। स्वामी विवेकानंद गैलरी न केवल उनके बारे में जानकारी देने का एक प्रमुख केंद्र बनेगी, बल्कि आने वाली पीढ़ियों को उनके विचारों से प्रेरित भी करेगी।

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इंदौर की सांस्कृतिक धरोहर में योगदान

यह प्रतिमा न केवल इंदौर की सांस्कृतिक धरोहर का हिस्सा बनेगी, बल्कि यह एक पर्यटन स्थल के रूप में भी विकसित होगी। स्वामी विवेकानंद की मूर्ति के साथ बनी गैलरी में विश्वभर के लोग उनके विचारों को जान सकेंगे। यह स्थल न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण होगा, बल्कि इसके माध्यम से भारत के सांस्कृतिक योगदान को भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रदर्शित किया जाएगा।

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मूर्तिकार नरेश कुमावत का योगदान

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नरेश कुमावत एक अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त मूर्तिकार हैं, जिन्होंने अब तक 80 देशों में 600 से अधिक मूर्तियां बनाई हैं। उनकी कृतियां भारतीय संसद भवन में डॉ. भीमराव अंबेडकर और सरदार वल्लभ भाई पटेल की मूर्तियों के रूप में देखी जा सकती हैं। इसके अलावा, न्यूयॉर्क में महात्मा गांधी और मेक्सिको में स्वामी विवेकानंद की प्रतिमाएं भी उनकी प्रमुख कृतियां हैं।

नरेश कुमावत का योगदान केवल भारत तक सीमित नहीं रहा है, बल्कि उन्होंने विदेशों में भी भारतीय संस्कृति और नेताओं की प्रतिमाओं के जरिए भारत को गौरव प्रदान किया है।

मूर्तिकार नरेश कुमावत की उपलब्धियां...

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कार्यविवरण
महात्मा गांधी की प्रतिमान्यूयॉर्क में स्थित
स्वामी विवेकानंद की प्रतिमामेक्सिको में स्थित
संसद भवन में मूर्तियांडॉ. भीमराव अंबेडकर और सरदार पटेल की मूर्तियां
शिव प्रतिमाराजस्थान के नाथद्वारा में 369 फीट ऊंची मूर्ति

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