भोपाल में आधार कार्ड चोरी कर बैंक खाते खुलवाने वाले एक अंतरराज्यीय गिरोह का पर्दाफाश हुआ है। इस गिरोह ने बच्चों के आधार कार्डों का भी इस्तेमाल किया। पुलिस जांच में सामने आया है कि 400 से अधिक बच्चों के आधार कार्ड से 500 से ज्यादा फर्जी खाते खोले गए। इन खातों का उपयोग साइबर धोखाधड़ी और सट्टा एप्स के लिए किया गया। गिरोह के सात सदस्यों को भोपाल के हनुमानगंज पुलिस ने गिरफ्तार किया है।
केवल 7 चेहरों से खुले 500 खाते
थाना प्रभारी अवधेश भदौरिया के अनुसार, गिरोह का सरगना शशिकांत कुमार है। उसके अनुसार, गिरोह के सात सदस्यों के चेहरे का इस्तेमाल कर 500 से अधिक फर्जी खाते खोले गए। हालांकि, सभी खातों में आधार कार्ड अलग-अलग थे। आरोपी बैंक की शाखाओं और कियोस्क पर जाकर खाते खोलते थे ताकि पकड़ में न आ सकें। दरअसल दोनों ही जगहों पर खाते खोलने के लिए डिजिटल KYC की जरूरत नहीं पड़ती।
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अब आधार देने वाले डाकिए की तलाश
पुलिस ने गिरोह से सात डायरियां भी जब्त की हैं, जिनमें खाताधारकों के नाम दर्ज हैं। शशिकांत ने खुलासा किया कि झारखंड का एक डाकिया गलत पते पर आधार पहुंचाने के बजाय इस गिरोह को सौंप देता था। अब पुलिस डाकिए की तलाश में जुट गई है।
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दस हजार रुपए में बेचते थे खाते
शशिकांत ने पुलिस को बताया कि वह एक खाता 10 हजार में बेचता था। खाता खुलवाने में 2-3 दिन लगते थे और 15 दिन बाद एटीएम कार्ड मिलने पर खाते को तुरंत बेच दिया जाता था। गिरोह के पास से 200 और खातों के लिए तैयार दस्तावेज भी मिले हैं।
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गिरोह की गतिविधियां और जांच
गिरोह ने कई राज्यों में अपना नेटवर्क फैला रखा था। शुरुआती जांच में पता चला है कि फर्जी खातों के जरिए करोड़ों रुपये का लेन-देन हुआ है। पुलिस ने गिरोह के बैकग्राउंड की गहन जांच शुरू कर दी है।
भोपाल में आधार कार्ड चोरी कर बैंक खाते खुलवाने वाले एक अंतरराज्यीय गिरोह का पर्दाफाश हुआ है। इस गिरोह ने बच्चों के आधार कार्डों का भी इस्तेमाल किया। पुलिस जांच में सामने आया है कि 400 से अधिक बच्चों के आधार कार्ड से 500 से ज्यादा फर्जी खाते खोले गए। इन खातों का उपयोग साइबर धोखाधड़ी और सट्टा एप्स के लिए किया गया। गिरोह के सात सदस्यों को भोपाल के हनुमानगंज पुलिस ने गिरफ्तार किया है।
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केवल 7 चेहरों से खुले 500 खाते
थाना प्रभारी अवधेश भदौरिया के अनुसार, गिरोह का सरगना शशिकांत कुमार है। उसके अनुसार, गिरोह के सात सदस्यों के चेहरे का इस्तेमाल कर 500 से अधिक फर्जी खाते खोले गए। हालांकि, सभी खातों में आधार कार्ड अलग-अलग थे। आरोपी बैंक की शाखाओं और कियोस्क पर जाकर खाते खोलते थे ताकि पकड़ में न आ सकें। दरअसल दोनों ही जगहों पर खाते खोलने के लिए डिजिटल KYC की जरूरत नहीं पड़ती।
अब आधार देने वाले डाकिए की तलाश
पुलिस ने गिरोह से सात डायरियां भी जब्त की हैं, जिनमें खाताधारकों के नाम दर्ज हैं। शशिकांत ने खुलासा किया कि झारखंड का एक डाकिया गलत पते पर आधार पहुंचाने के बजाय इस गिरोह को सौंप देता था। अब पुलिस डाकिए की तलाश में जुट गई है।
दस हजार रुपए में बेचते थे खाते
शशिकांत ने पुलिस को बताया कि वह एक खाता 10 हजार में बेचता था। खाता खुलवाने में 2-3 दिन लगते थे और 15 दिन बाद एटीएम कार्ड मिलने पर खाते को तुरंत बेच दिया जाता था। गिरोह के पास से 200 और खातों के लिए तैयार दस्तावेज भी मिले हैं।
गिरोह की गतिविधियां और जांच
गिरोह ने कई राज्यों में अपना नेटवर्क फैला रखा था। शुरुआती जांच में पता चला है कि फर्जी खातों के जरिए करोड़ों रुपये का लेन-देन हुआ है। पुलिस ने गिरोह के बैकग्राउंड की गहन जांच शुरू कर दी है।
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