हाईकोर्ट में हिस्ट्रीशीटर अब्दुल रज्जाक ने लगाया नेताओं पर आरोप, HC ने उन्हें पक्षकार बनाने पूछा सवाल

मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में हिस्ट्रीशीटर अब्दुल रज्जाक के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई हुई। इसमें आरोप लगाया गया कि एक विधायक और खनन कारोबारी राजनीतिक दबाव में रज्जाक के खिलाफ कार्रवाई करवा रहे हैं।

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Neel Tiwari
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Photograph: (THESOOTR)

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JABALPUR. मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में बुधवार को चर्चित हिस्ट्रीशीटर अब्दुल रज्जाक के मामले की सुनवाई जस्टिस विवेक अग्रवाल और जस्टिस एके सिंह की डिवीजन बेंच में हुई।

इस दौरान उसके द्वारा लगाए गए आरोपों के बाद कोर्ट ने याचिकाकर्ता के वकील से पूछा कि क्या वे इस मौजूदा विधायक और खनन कारोबारी को इस मामले में पक्षकार बनाना चाहते हैं। अदालत ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि “आप ही बताएं, क्या इन्हें पक्षकार बनाया जाना चाहिए?”

वकील ने इस पर जवाब देते हुए कहा कि उन्हें याचिकाकर्ता से निर्देश प्राप्त करने के लिए कुछ समय चाहिए। कोर्ट ने यह अनुरोध स्वीकार करते हुए अगली सुनवाई 31 अक्टूबर के लिए तय कर दी है।

कोर्ट में याचिका में लगाए आरोप

याचिका में कहा गया है कि अब्दुल रज्जाक के खिलाफ लगातार नए प्रकरण दर्ज किए जा रहे हैं, जबकि पहले से दर्ज मामलों में पुलिस द्वारा अंतिम रिपोर्ट तक दाखिल नहीं की गई है। जमानत मिलने के तुरंत बाद नए मुकदमों का दर्ज होना, याचिकाकर्ता के अनुसार, न्यायिक प्रक्रिया को प्रभावित करता है। 

याचिका में यह भी आरोप लगाया गया है कि रज्जाक पर की जा रही कार्रवाई व्यावसायिक प्रतिद्वंद्विता और राजनीतिक दबाव का परिणाम है। याचिकाकर्ता की ओर से पैरवी वरिष्ठ अधिवक्ता मोहम्मद अली कर रहे हैं। 

इस मामले में यह साफ आरोप लगाए गए हैं कि एक मौजूदा विधायक और एक खनन माफिया उन्हें लगातार परेशान कर रहा है और उनके ही आदेश पर उसके विरुद्ध लगातार मामले दर्ज किए जा रहे हैं। हालांकि, सुनवाई के दौरान किसी राजनीतिक व्यक्ति का नाम सार्वजनिक नहीं हुआ, लेकिन अगली तारीख पर इस दिशा में नए खुलासे की संभावना जताई जा रही है। 

इस मामले में जब हमने कुछ अधिवक्ताओं से बात की तो हमें यह जानकारी मिली कि जिस विधायक का नाम लिया जा रहा है वह कांग्रेस के विधायक हैं और जिस खनन कारोबारी का नाम लिया जा रहा है वह भाजपा के है। अब यहां पर कांग्रेस और भाजपा के दो नेताओं के ऊपर ऐसे आरोप लग रहे हैं जहां पर वह मिलकर किसी के विरुद्ध कार्य कर रहे हैं, तो आगे चलकर यह मामला और भी रोचक होने वाला है।

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हाईकोर्ट में संवेदनशील हो रहा मामला

हाईकोर्ट ने इस याचिका को गंभीर माना है, क्योंकि इसमें न्यायिक प्रक्रिया में संभावित हस्तक्षेप और पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए गए हैं। अदालत यह भी देखना चाहती है कि क्या वास्तव में रज्जाक के खिलाफ दर्ज मामलों का संबंध खनन कारोबार या किसी राजनैतिक उद्देश्य से जुड़ा हुआ है।

दूध बेचने से लेकर जबलपुर के डॉन तक

अब्दुल रज्जाक का नाम जबलपुर के अपराध जगत में 1990 के दशक से कुख्यात रहा है। ओमती थाना क्षेत्र के नए मोहल्ले का निवासी रज्जाक शुरू में डेयरी व्यवसाय से जुड़ा था, लेकिन जल्द ही उसका नाम खनन, अवैध वसूली, जमीन कब्जा, और हथियारबंदी जैसे मामलों में सामने आने लगा।

पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार, रज्जाक के खिलाफ हत्या के प्रयास, लूट, धमकी, जबरन वसूली और अवैध हथियार रखने के कई केस दर्ज हैं। उसके बेटों सरफराज और सरताज पर भी गंभीर आरोप हैं। वर्ष 2022 में दर्ज एक मामले में आईपीसी की धारा 308, 365, 386, 452, 342, 506, 120-B और आर्म्स एक्ट की धाराएँ लगाई गई थीं।

जुलाई 2025 में जबलपुर पुलिस ने उसके गिरोह के चार सदस्यों को सीनी क्षेत्र के एक रिसॉर्ट से गिरफ्तार किया था। यहां से पिस्टल, दो लग्जरी गाड़ियां और नकदी बरामद हुई थी।

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अगली सुनवाई में होगा फैसला

अब सबकी निगाहें अगली तारीख पर हैं, जब यह तय होगा कि क्या किसी विधायक और खनन कारोबारी को इस प्रकरण में औपचारिक रूप से पक्षकार बनाया जाएगा। यदि ऐसा हुआ, तो यह केस न केवल कानूनी बल्कि राजनीतिक दृष्टि से भी बेहद संवेदनशील हो जाएगा।

यह मामला जबलपुर में अपराध, राजनीति और खनन कारोबार के गठजोड़ पर एक बार फिर सवाल खड़े कर रहा है। 31 अक्टूबर की सुनवाई से यह स्पष्ट होगा कि कोर्ट इस मामले की दिशा किस ओर मोड़ता है।

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