मुश्ताक मंसूरी @ KHANDWA.
मध्यप्रदेश के खंडवा जिले के ओंकारेश्वर में आयोजित पांच दिवसीय "एकात्म पर्व" का समापन आचार्य शंकर के प्रकटोत्सव के रूप में हुआ। इस आयोजन में संतों और धर्माचार्यों की उपस्थिति रही, जिन्होंने भारतीय संस्कृति और सनातन परंपराओं को जीवंत किया। यह पर्व विशेष रूप से आचार्य शंकर की गुरु भूमि और संन्यास भूमि पर मनाया गया, जो भारतीय धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर का महत्वपूर्ण हिस्सा है।
आचार्य शंकर ने अद्वैत वेदांत के सिद्धांत को प्रबल किया, उनके विचारों और शिक्षाओं को जीवित रखने के लिए यह आयोजन बहुत महत्वपूर्ण था। इस अवसर पर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव, जूना अखाड़ा के पीठाधीश्वर अवधेशानंद जी महाराज और अन्य धार्मिक नेताओं ने उपस्थित होकर आयोजन को सफल बनाया।
आचार्य शंकर के योगदान और एकात्म पर्व की विशेषताएं
आचार्य शंकर का योगदान भारतीय दर्शन और संस्कृति में अत्यधिक महत्वपूर्ण है। वे भारतीय समाज को अद्वैत वेदांत के सिद्धांतों से परिचित कराकर जीवन के गूढ़ रहस्यों को सरल तरीके से समझाते थे। उनके शिक्षाओं का प्रभाव आज भी भारतीय समाज में गहरे रूप से विद्यमान है।
"एकात्म पर्व" का आयोजन उन सिद्धांतों की पुनः स्मृति दिलाने के लिए था, जिनका प्रभाव न केवल भारतीय समाज बल्कि वैश्विक समुदाय पर भी पड़ा। इस पर्व के दौरान आचार्य शंकर के स्तोत्रों का गायन, शोभायात्रा, वैदिक अनुष्ठान और अद्वैत वेदांत पर आधारित चर्चाएँ आयोजित की गईं। इस दौरान 500 शंकरदूतों का दीक्षा संस्कार भी संपन्न हुआ, जिससे इस आयोजन की धार्मिक महत्ता और बढ़ गई।
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एकात्म धाम और सांस्कृतिक धरोहर का संरक्षण
ओंकारेश्वर में स्थित एकात्म धाम का उद्देश्य भारत की सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित रखना है। 108 फीट ऊँची “एकात्मता की मूर्ति” का निर्माण इस धाम में किया गया है, जो भारतीय संस्कृति के अद्वैत सिद्धांत का प्रतीक है। इस धाम में अद्वैत वेदांत और भारतीय धार्मिक संस्कृति की एकता को दर्शाने के लिए कई महत्वपूर्ण निर्माण कार्य चल रहे हैं, जैसे कि अद्वैत लोक संग्रहालय और अंतरराष्ट्रीय अद्वैत वेदांत संस्थान।
यह स्थल देश-विदेश से आने वाले तीर्थयात्रियों और श्रद्धालुओं के लिए एक प्रमुख केंद्र बन चुका है, जहां वे अपनी धार्मिक यात्रा को आगे बढ़ाते हैं।
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भारत पूरी दुनिया में आत्मविश्वास के साथ खड़ा है
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने आयोजन के समापन पर कहा कि भारत ने सनातन संस्कृति की ध्वजा उठाई है और इस ध्वजा के साथ भारत पूरी दुनिया में आत्मविश्वास के साथ खड़ा है। उन्होंने कहा कि यह आयोजन आचार्य शंकर के अद्वैत वेदांत के सिद्धांतों का पालन करते हुए भारत को एक नया दिशा देने की कोशिश है।
उन्होंने यह भी बताया कि सरकार और प्रधानमंत्री के नेतृत्व में "सबका साथ, सबका विकास, सबका प्रयास" के सिद्धांतों पर काम किया जाएगा, और यह धार्मिक एवं सांस्कृतिक आयोजन इस उद्देश्य की पूर्ति में सहायक होगा।
सीएम मोहन यादव | आचार्य शंकर प्रकटोत्सव | खंडवा न्यूज