प्रदेश के सबसे अमीर के बड़े भाई पुरूषोत्तम अग्रवाल अपने स्कूल में RTE में गरीब बच्चों को नहीं दे रहे एडमीशन

मध्यप्रदेश में निजी स्कूल शासकीय योजनाओं का पालन करने से बचते नजर आ रहे हैं। इसकी एक बानगी इंदौर के एक बड़े निजी स्कूल में देखने को मिली, जहां गरीब बच्चों को एडमिशन न देना पड़े इसके लिए अलग ही नियम बना डाले। आइए आपको बताते हैं इन्होंने क्या किया... 

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Jitendra Shrivastava
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संजय गुप्ता, INDORE. मप्र के सबसे अमीर व्यक्ति विनोद अग्रवाल के बड़े भाई और करोड़पति पुरूषोत्तम अग्रवाल गरीब बच्चों का हक मांग रहे हैं। कलेक्टर आशीष सिंह के पास शिकायत पहुंची कि अग्रवाल के स्कूल चमेली देवी का प्रबंधन RTE ( शिक्षा के अधिकार ) के तहत गरीब बच्चों को एडमीशन नहीं दे रहे हैं। इसके बाद कलेक्टर ने एसडीएम की टीम मौके पर पहुंची, जिसने स्कूल सील करने की कार्रवाई शुरू कर दी। इस पर फिर घबराकर एसडीएम से कहा कि आप कार्रवाई मत कीजिए हम आज रात तक ही सभी को एडमीशन देंगे। 

40 को देना था, चालाकी कर नर्सरी में सीट ही घटा दी

आरटीई के तहत स्कूल को नर्सरी, केजी, क्लास वन नियमों के तहत तय कक्षाओं की कुल सीट के औसत का 25 फीसदी संख्या गरीब बच्चों के लिए आरटीई में रखना होती है। लेकिन इन्होंने चालाकी की और नर्सरी की कक्षा के आधार पर ही एडमीशन दे रहे थे। कम बच्चों को एडमीशन देना पड़े इसके लिए एक और चालाकी प्रबंधन ने करते हुए नर्सरी की सीट ही कम कर दी। जिससे उन्हें केवल 8 बच्चों को ही एडमीशन देना पड़े। जबकि सभी क्लास का मिलाकर औसत 40 बच्चों का था।

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ताला लगने लगा तो आया फोन हम देंगे एडमीशन

कलेक्टर के आदेश से मौके पर एसडीएम विनोद राठौर पहुंचे। साथ ही स्कूल विभाग के अधिकारी भी थे। उन्होंने स्कूल का दौरा किया और सीटों की जानकारी ली और इसके बाद सील करने की तैयारी करते हुए दफ्तर पर ताला लगा दिया। इसके बाद फोन आया कि रात तक हम सभी को एडमीशन देंगे कृपया स्कूल को सील नहीं किया जाए। इसके बाद प्रशासन उनके आश्वासन के अमल में होने का इंतजार कर रहा है, नहीं तो सख्त कार्रवाई करते हुए स्कूल सील किया जाएगा। 

खुद की लिखी किताब चलाते हैं अग्रवाल

अग्रवाल अपनी खुद की लिखी लर्न बाय फर्न को अपने स्कूल में चलाते हैं। चमेली देवी ग्रुप के नाम से उनके कई शैषणिक संस्थान है। लंबे समय से आरटीई को लेकर शिकायतें हो रही थी। पहली बार उन पर इस तरह की सख्ती प्रशासन ने की है, जिसके बाद गरीब बच्चों को हक मिल रहा है।

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