संजय गुप्ता, INDORE. बावड़ी हादसा ( बावड़ी हादसा ) में 30 मार्च 2023 रामनवमी के दिन 36 लोगों की जान गई, लेकिन इस मामले में पुलिस द्वारा शुक्रवार को की गई दिखावटी कार्रवाई ने हाईकोर्ट के आदेशों की धज्जियां उड़ाकर रख दी। पुलिस ने आरोपी मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष सेवाराम गलानी और सचिव मुरली सबनानी की पुलिस रिमांड तक नहीं मांगी, चार घंटे में गिरफ्तारी से लेकर जेल भेजने तक का काम हो गया। डीसीपी ऋषिकेश मीणा ने दोनों गिरफ्तार आरोपियों की जमकर तारीफ की और कहा कि दोनों व्यक्ति बहुत ही कॉपरेटिव है, पूरी प्रक्रिया में साथ दिया, शांतिप्रिया तरीके से पुलिस कार्रवाई में बहुत ही सहयोग किया।
पहले देखते हैं हाईकोर्ट इंदौर ने 10 जनवरी को क्या कहा था?
हाईकोर्ट इंदौर की डबल बैंच की सख्ती के बाद 11 जुलाई 2023 को पूरी हुई मजिस्ट्रियल जांच रिपोर्ट 6 जनवरी को जाकर पेश हुई। इसके बाद 10 जनवरी को इस रिपोर्ट पर सुनवाई हुई। इस तरह हुई थी बहस...
- याचिकाकर्ता अधिवक्ता मनीष यादव- 11 जुलाई 2023 की मजिस्ट्रियल रिपोर्ट है और अभी तक कुछ नहीं किया।
हाईकोर्ट- एक्शन कब होगा, क्यों रखे हुए हो रिपोर्ट 11 जुलाई से। - शासकीय अधिवक्ता- पुलिस जांच चल रही है
हाईकोर्ट- मजिस्ट्रियल जांच हो गई और पुलिस की अभी तक जांच ही चल रही है। एफआईआर में भी कोई कार्रवाई नहीं हुई - शासकीय अधिवक्ता- बावड़ी पर स्लैब कब ढंकी यह पता करना है, पुलिस सभी जगह पत्राचार कर रही है
हाईकोर्ट- जब तक पदाधिकारियों को पकड़ेंगे नहीं पूछेंगे नहीं तो कैसे पता चलेगा? उन्हें बुला नहीं रहे, आरोपी नहीं बना रहे हैं? पुलिस की जांच क्या कर रही है? डायरी कहां है? आरोपी को पकड़कर पूछेंगे नहीं तो कैसे पता चलेगा? - शासकीय अधिवक्ता- हम सभी बिंदुओं पर जांच कर रहे हैं
हाईकोर्ट- ऐसे तो दस साल तक जांच चलती रहेगी, मजिस्ट्रियल जांच के ही भरोसे हो, पुलिस की खुद की जांच क्या कह रही है। आपने बुलाकर किसी से पूछा ट्रस्ट वालों से। क्या पुलिस चिट्ठी लिखते हुए कार्रवाई करती है क्या। सारे सबूत खत्म हो जाएंगे फिर क्या करेंगे? कैसे पता चलेगा स्लैब कब डली थी। - हाईकोर्ट ने एक साल यानि 30 मार्च तक कार्रवाई के आदेश दिए-
इस पूरे मामले में हाईकोर्ट ने लिखित आदेश जारी किया और इसमें पूरी जांच घटना से एक साल में यानि 30 मार्च 2024 तक पूरी करने के आदेश दिए।
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अब देखिए पुलिस ने शुक्रवार को किया क्या...
हाईकोर्ट के आदेश से 30 मार्च को एक साल पूरा हो रहा है, तब तक पुलिस को दिखाना था कि हमने आदेशों का पालन किया है। इसके लिए पुलिस ने समाज के लोगों और मंदिर ट्रस्ट के लोगों से बातचीत शुरू की। सुलह बनी और सुबह सेवाराम गलानी और सबनानी थाने खुद पहुंच गए। पुलिस ने खानापूर्ति तेज की, मेडिकल कराया और कोर्ट में पेश कर दिया और वहां से पुलिस रिमांड की कोई जरूरत नहीं होना बताया गया यानी पुलिस के उनसे किसी तरह की पूछताछ, जब्ती नहीं करना है। इसके बाद कोर्ट ने अगली सुनवाई तक दोनों को जेल भेजने के आदेश दे दिए और डीसीपी साहब ये बोल रहे हैं...
- सवाल- किनकी गिरफ्तारी हुई है।
डीसीपी ऋषिकेश मीणा- मंदिर ट्रस्ट अध्यक्ष और सचिव की। - सवाल- आगे क्या करेंगे।
डीसीपी- उनसे अब किसी तरह की जब्ती नहीं करना है, हम कोर्ट में पेश कर ज्यूडिशियल रिमांड (यानी जेल) भेजने की अपील करेंगे।
सवाल- दोनों आरोपियों की क्या स्थिति।डीसीपी- दोनों ही व्यक्ति बहुत ही कॉपरेटिव है, प्रक्रिया में पूरा साथ दिया किसी तरह का बवाल नहीं किया, शांति प्रिय तरीके से पुलिस को सहयोग किया है। - सवाल- स्लैब डालने की मंजूरी किसने दी थी।
डीसीपी- यही सारे बिंदु है जिसकी जांच करना है और गहराई में जाना है।
( अब सवाल यही उठता है कि जब आरोपियों की रिमांड ही नहीं ली तो फिर जांच कैसे करेंगे बावड़ी तो भर दी गई है और गहराई में पुलिस जाएगी कैसे?) - सवाल- निगम के अधिकारी-कर्मचारियों के भी नाम थे।
डीसीपी- जांच चल रही है जो भी आगे जांच में आएगा फिर करेंगे। - सवाल- गिरफ्तारी में 11 माह का समय क्यों लगा।
डीसीपी- गिरफ्तारी हो गई है ना यह मायने रखता है।