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Photograph: (the sootr)
फर्जी प्रॉफिट के आंकड़े दिखाकर स्टेट बैंक ऑफ इंडिया से 1266 करोड़ रुपए का लोन लेकर खुद को एनपीए (Non-Performing Asset) घोषित करने वाली एडवांटेज ओवरसीज प्राइवेट लिमिटेड के विरुद्ध ईडी भोपाल की टीम ने कार्रवाई की है।
जानकारी के अनुसार, प्रवर्तन निदेशालय(Enforcement Directorate) ने इस मामले की जांच में कंपनी की 300 सौ करोड़ से अधिक की संपत्ति को सीज कर लिया है। इस मामले की गहन जांच की जा रही है।
100 गुना टर्नओवर बढ़ाकर लोन प्राप्त किया
ED की जांच में यह पाया गया कि एडवांटेज ओवरसीज ने अपनी टर्नओवर रिपोर्ट को 100 गुना बढ़ाकर SBI को धोखा दिया। इससे उन्हें असुरक्षित ऋण (Unsecured Loan) प्राप्त हुआ। कंपनी ने 73 अलग-अलग संस्थाओं का उपयोग किया, जिससे ये सभी संस्थाएं कंपनी के लोन में सहायक बनीं। यह धोखाधड़ी साबित करता है कि एडवांटेज ओवरसीज ने बैंक से अवैध रूप से लोन प्राप्त करने के लिए कई तरीके अपनाए।
ED, Bhopal has conducted search operations in the case of M/s Advantage Overseas Pvt. Ltd. (AOPL) under the provisions of PMLA, 2002 in a matter related to criminal conspiracy for the purpose of cheating, forgery of valuable security, etc. and causing loss to the tune of Rs.…
— ED (@dir_ed) August 5, 2025
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लोन लिया और कंपनी को घोषित कर दिया एनपीए
एओपीएल द्वारा बैंकों से लिए गए लोन का दुरुपयोग किया गया और बाद में उन्होंने खुद को एनपीए (Non-Performing Asset) घोषित कर दिया। जब बैंक को यह सब जानकारी मिली, तो SBI ने नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) में आवेदन दायर किया। जिसके बाद इस मामले की जांच प्रारंभ की गई,जो अब ED और CBI के हाथ में है।
बैंक से धोखाधड़ी से जुडे़ इस मामले को ऐसे समझेंधोखाधड़ी और लोन दुरुपयोग: मेसर्स एडवांटेज ओवरसीज ने SBI से 1266 करोड़ रुपये का लोन लिया और अपने टर्नओवर को 100 गुना बढ़ाकर धोखाधड़ी की। ED द्वारा सर्चिंग: प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने कंपनी के ठिकानों पर सर्चिंग की और 300 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्तियां और नकदी जब्त की। बेनामी कंपनियों का इस्तेमाल: कंपनी ने बेनामी कंपनियों का सहारा लेकर महंगी संपत्तियों को अपने कर्मचारियों और अन्य संदिग्धों के नाम पर दर्ज किया। नॉन परफॉर्मिंग एसेट (NPA) का दावा: लोन के दुरुपयोग के बाद कंपनी ने खुद को NPA घोषित कर दिया, जिससे SBI को नुकसान हुआ। सीबीआई और ED की संयुक्त कार्रवाई: CBI ने एफआईआर दर्ज कर जांच शुरू की, और ED ने जांच के दौरान महत्वपूर्ण दस्तावेजों और सबूतों को जब्त किया। |
ED द्वारा की सर्चिंग और जब्त संपत्तियां
SBI लोन धोखाधड़ी मामले में ED की जांच ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाया, और सर्चिंग के दौरान उन्होंने मेसर्स एडवांटेज ओवरसीज प्राइवेट लिमिटेड के ठिकानों से 300 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्तियां जब्त की।
यह संपत्तियां और नकदी संदिग्ध लेन-देन और बेनामी कंपनियों के माध्यम से अर्जित की गईं। इन दस्तावेजों से पता चला है कि कंपनी और उसके कर्मचारियों ने बड़े पैमाने पर अपराधी तरीके से संपत्ति अर्जित की थी, जो अब ED के कब्जे में है।
प्रवर्तन निदेशालय और सीबीआई की कार्रवाई
प्रवर्तन निदेशालय (ED) और केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) इस मामले में मिलकर काम कर रहे हैं। ED की जांच के आधार पर ही सीबीआई ने एफआईआर दर्ज की थी, जो अब इस पूरे मामले की गहराई से जांच कर रही है। ED की सर्चिंग के दौरान कई महत्वपूर्ण दस्तावेज और सबूत मिले हैं, जो कंपनी की धोखाधड़ी को साबित करते हैं।
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बेनामी कंपनियों का उपयोग
जांच में यह भी पाया गया कि इस धोखाधड़ी में बेनामी कंपनियों का भी इस्तेमाल किया गया। इन कंपनियों के नाम पर महंगी संपत्तियों को दर्ज किया गया, जो कर्मचारियों और अन्य संदिग्धों के नाम पर थीं। ये संपत्तियां न केवल भारत में बल्कि विदेशों में भी पाई गईं, और अब ED इन संपत्तियों का परीक्षण कर रहा है।
क्या होता है नॉन परफॉर्मिंग एसेट (NPA)
निर्धारित समय सीमा के भीतर ब्याज या मूलधन का भुगतान नहीं किया गया होता। जब लोन की किश्तें लगातार 90 दिनों तक चुकता नहीं होती हैं, तो उसे NPA माना जाता है।
NPA के प्रकार:
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Sub-standard Asset (उप-मानक संपत्ति):
यह वह लोन होता है, जो 90 दिन से अधिक समय तक भुगतान में चूक के कारण NPA बन जाता है, लेकिन अभी भी इसे रिकवर किया जा सकता है। -
Doubtful Asset (संदिग्ध संपत्ति):
जब एक NPA को 12 महीने या उससे अधिक समय तक पुनर्प्राप्ति में कोई सफलता नहीं मिलती, तो उसे "संदिग्ध संपत्ति" माना जाता है। -
Loss Asset (नुकसान संपत्ति):
यह वह संपत्ति होती है जिसे पूरी तरह से नष्ट समझा जाता है और जिसका कोई पुनर्प्राप्ति कोई संभावना नहीं होती।
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