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एडवोकेट अमेंडमेंट एक्ट में देश भारत के अधिवक्ताओं का प्रतिकार आखिरकार रंग लाया और सरकार के द्वारा अमेंडमेंट को वापस ले लिया गया है। एडवोकेट अमेंडमेंट एक्ट 2025 में अधिवक्ताओं की स्वतंत्रता छीनने के आरोपों के साथ उसका पुरजोर विरोध अधिवक्ताओं के द्वारा किया गया था। इसके विरोध में देशभर में अधिवक्ता अदालती कामों से 21 फरवरी को विरक्त रहे थे। इस प्रतिकार के दूसरे दिन ही सरकार की ओर से अधिवक्ताओं के लिए खुशखबरी आई है।
अधिवक्ताओं ने किया था एकजुट होकर विरोध
एडवोकेट अमेंडमेंट एक्ट 2025 के प्रस्तावित संशोधनों को लेकर देशभर के वकीलों में नाराजगी थी। उनका कहना था कि यह एक्ट उनके अधिकारों को सीमित करने और उनकी स्वतंत्रता पर प्रतिबंध लगाने का प्रयास है। इस एक्ट के विरोध में कई राज्यों में अधिवक्ताओं ने हड़ताल की, अदालतों का बहिष्कार किया और सरकार से तत्काल संशोधन वापस लेने की मांग की। 21 फरवरी को अधिवक्ताओं ने सामूहिक रूप से अदालतों से दूर रहकर इस अमेंडमेंट का विरोध किया था। कई राज्यों में अधिवक्ताओं के संगठनों ने रैलियां और प्रदर्शन भी किए। सोशल मीडिया पर भी इस संशोधन के खिलाफ व्यापक अभियान चलाया गया।
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सरकार ने वापस लिया संशोधन
मध्य प्रदेश स्टेट बार काउंसिल के अध्यक्ष राधेलाल गुप्ता ने बताया की वकीलों के तीव्र विरोध और भारी संख्या में आए सुझावों के बाद सरकार को आखिरकार कदम पीछे खींचने पड़े। सरकार ने इस अमेंडमेंट को फिलहाल वापस ले लिया है और इसे नए सिरे से ड्राफ्ट किया जाएगा। हालांकि स्टेट बार काउंसिल अध्यक्ष के अनुसार अब यह मामला टल चुका है। कानून मंत्रालय की ओर से जारी पत्र में कहा गया कि अधिवक्ताओं और कानूनी विशेषज्ञों से परामर्श लेकर संशोधन का नया मसौदा तैयार किया जाएगा, जिसमें उनकी चिंताओं का विशेष ध्यान रखा जाएगा।
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नए सुझावों के लिए प्रक्रिया शुरू
सरकार अब इस संशोधन पर नए सिरे से काम करेगी और इसके लिए अधिवक्ताओं, कानूनी विशेषज्ञों और संबंधित पक्षों से सुझाव मांगे जाएंगे। अधिवक्ताओं का कहना है कि वे अपनी स्वतंत्रता और अधिकारों से कोई समझौता नहीं करेंगे और यदि भविष्य में भी कोई ऐसा कानून लाया जाता है, जो उनके हितों के खिलाफ होगा, तो वे फिर से एकजुट होकर विरोध करेंगे। सरकार ने सभी हितधारकों से परामर्श कर संतुलित समाधान निकालने की बात कही है।
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अधिवक्ताओं की हुई जीत
इस फैसले से अधिवक्ताओं में खुशी की लहर दौड़ गई है। विभिन्न बार एसोसिएशनों ने इसे अधिवक्ताओं की एकता और संघर्ष की जीत बताया है। सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन और अन्य कानूनी संस्थाओं ने सरकार के इस कदम का स्वागत किया है, लेकिन साथ ही यह भी कहा कि वे आगे के संशोधनों पर पूरी नजर बनाए रखेंगे। अधिवक्ताओं के इस संघर्ष से यह स्पष्ट हो गया है कि वे अपने अधिकारों के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं और यदि भविष्य में भी किसी तरह का अनुचित संशोधन लाया जाता है, तो वे दोबारा इसी तरह एकजुट होकर विरोध करेंगे।
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