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रवि अवस्थी,भोपाल।
बुरहानपुर स्वशासी आयुर्वेद कॉलेज में कलेक्टर द्वारा गिनाई गई कमियां दूर नहीं होने से भविष्य में भी कॉलेज मान्यता प्रभावित होने की संभावना बनी रहेगी। इस तर्क के सहारे कॉलेज प्राचार्य डॉ रश्मि रेखा मिश्रा को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया।
एक शिक्षिका के साथ घटित यह वाकया करीब 9 माह पुराना है। अकारण निलंबित हुईं प्राचार्य अब बहाल भी हो चुकी हैं,लेकिन शिक्षण के मूल काम से हटाकर उन्हें अब विभाग मुख्यालय में ओएसडी व स्टोर प्रभारी का दायित्व सौंपा गया है।
दरअसल,विधानसभा के पांचवे सत्र में गत 17 दिसंबर को बुरहानपुर विधायक अर्चना चिटनिस ने 9 लाइन की एक ध्यानाकर्षण सूचना पेश की। इसमें उन्होंने सिर्फ इतना जिक्र किया कि बुरहानुपर आयुर्वेद कॉलेज में व्याप्त गंभीर अव्यवस्था व अनयिमितता है। इसे लेकर उन्होंने चार पत्र लिखे लेकिन इनका जवाब नहीं मिला। छात्रहित में फैसला नहीं होने से नागरिकों में रोष है।
अव्यवस्था और अनियमितताएं क्या ?
अव्यवस्था और अनियमितताएं क्या? विधानसभा की कार्यवाही में यह न तो विधायक ने बताया, न विभाग के मंत्री इंदर सिंह परमार ने। अलबत्ता उन्होंने अपने लिखित जवाब में इस तर्क के साथ कि कलेक्टर की रिपोर्ट में कॉलेज में जो कमियां गिनाई गईं,इनके दूर नहीं होने पर भविष्य में भी कॉलेज की मान्यता प्रभावित होने की संभावना बनी रहेगी। इसे आधार पर कॉलेज की प्राचार्य डॉ रश्मि रेखा मिश्रा को तत्काल प्रभाव से निलंबित किया जाता है।
न निलंबन की मांग, न ही हुआ पूरक प्रश्न
हैरानी की बात यह कि विधायक अर्चना चिटनिस ने मंत्री के जवाब पर न तो कोई पूरक प्रश्न किया और न ही निलंबन की मांग रखी। बाद में उन्होंने आभार जरूर जताया। इससे एक दिन पहले ही यानी 16 दिसंबर को कांग्रेस के जयवर्धन सिंह के एक सवाल के गलत जवाब पर मंत्री परमार को गल्ती स्वीकार करनी पड़ी थी। अगले दिन पुनरावृत्ति से बचने का जतन हुआ।
कमियां शासन की, ठीकरा प्राचार्य पर
इससे भी हैरत की बात यह कि कॉलेज मान्यता के भविष्य की खातिर जिन कमियों को आधार बनाया गया,वे प्राचार्य की नहीं,सरकार के स्तर की हैं। मंत्री परमार ने अपने इसी जवाब में कहा कि अन्य कॉलेजों व विभागों में कार्यरत बुरहानपुर कॉलेज के चार शिक्षकों की प्रतिनियुक्ति खत्म कर दी गई है। वहीं,व्याख्याताओं के 13 रिक्त पदों की पूर्ति की प्रक्रिया भी जारी है। इसके आधार पर एनसीआईएसएम नईदिल्ली ने कॉलेज को 63 सीटों को मान्यता दे दी है।
अब गौर करें,उन कमियों पर जो कलेक्टर के निरीक्षण प्रतिवेदन में गिनाईं गईं। इनमें मुख्य तौर पर स्टॉफ व जरूरी अधोसंरचना की कमी से शिक्षण कार्य प्रभावित होना,अस्पताल स्टोर में एक्सपायरी डेट की कुछ दवाओं का मिलना व सफाई की कमी जैसें आरोप शामिल हैं।
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महज 9 दिन में लिख गई निलंबन की पटकथा
सूत्रों के मुताबिक, दस साल से अधिक समय कॉलेज की प्राचार्य रहते हुए कॉलेज व इसके अस्पताल का कायाकल्प करने वाली डॉ मिश्रा के निलंबन की पटकथा महज 9 दिन में लिखी गई। बीते साल 8 दिसंबर को डिप्टी कलेक्टर ने कॉलेज का औचक निरीक्षण किया। अगले दिन बुरहानपुर कलेक्टर को रिपोर्ट सौंपी।
14 दिसंबर को इंदौर संभागायुक्त की ओर से एक शोकॉज नोटिस महिला प्राचार्य को थमाया गया और वह जवाब देतीं। इससे पहले ही,17 दिसंबर को उनके निलंबन का ऐलान हो गया। इस बीच,प्राचार्य डॉ मिश्रा 9 से 12 दिसंबर तक भोपाल में विभागीय बैठक में शामिल रहीं। महज एक हफ्ते में हुए इन घटनाक्रमों से वह हैरत में पड़ गईं।
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उज्जैन प्राचार्य को बुरहानपुर का अतिरिक्त चार्ज
बड़ा सवाल यह भी वे क्या कमियां हैं जो महिला प्रभारी प्राचार्य के रहते सरकार दूर नहीं करवा सकती थीं? इसके लिए महिला प्राचार्य को विभागीय मुख्यालय भोपाल में अटैच करना पड़ा। वहीं बुरहानपुर कॉलेज का अतिरिक्त प्रभार उज्जैन आयुष कॉलेज के प्राचार्य डॉ जेपी चौरसिया को सौंपा गया। डॉ चौरसिया अपनी सुविधा अनुसार बुरहानपुर पहुंचते हैं। बाकी दिनों में कॉलेज की बागडोर यहां पदस्थ डॉ अरविंद पटेल के हाथों में होती है। डॉ पटेल विधायक के करीबी भी बताए जाते हैं।
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निलंबन पर सियासत रही हावी
करीब 21 एकड़ से अधिक रकबे में फैला बुरहानपुर का पं.शिवनाथ शास्त्री शासकीय स्वशासी आयुर्वेद महाविद्यालय देश के सबसे पुराने और प्रतिष्ठित आयुर्वेदिक महाविद्यालयों में एक है। वरिष्ठतम प्राध्यापक होने के नाते डॉ रशिम रेखा मिश्रा ने दस साल से अधिक समय तक यहां प्रभारी प्राचार्य का दायित्व संभाला। साल 2018 में मिले 12 करोड़ के बजट से नया भवन तैयार करवाने के साथ ही अस्पताल का भी कायाकल्प किया।
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वह नियमों व ईमानदारी से काम करने के लिए पहचानी जाती हैं। कॉलेज में दखलंदाजी रखने वालों को महिला प्राचार्य की यह कार्यशैली रास नहीं आई। इसके बाद ही उन्हें बाहर करने की कवायद शुरू हुई। डॉ मिश्रा कहती हैं,मैंने अपना काम पूरी ईमानदारी से किया। अब शासन का जो आदेश है,उसका पालन कर रहीं हैं। वहीं,आयुष मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि शासन के आदेश पर ही संबंधित के खिलाफ कार्यवाही की गई।