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अपनी पत्नी को चांद पर 10 एकड़ जमीन गिफ्ट करने वाले मध्यप्रदेश NRI उद्योगपति सेम वर्मा करीब दो साल पहले चर्चा में रहे थे। हालांकि, अब वह एक बार फिर चर्चा में आ गए हैं। इसकी पीछे की वजह यह है कि उनका परिवार बैंक का 10.78 करोड़ का कर्ज भी नहीं चुका पाया है। साथ ही, उन्होंने बैंक में बंधक रखी प्रॉपर्टी भी बेच दी है।
एक समाचार पत्र में छपी रिपोर्ट के मुताबिक, करीब 30 साल पहले बैतूल के बालाजीपुरम के संस्थापक सेम वर्मा के भाई रामेश्वर वर्मा के नाम पर लोन लिया गया था। अब बैंक की टीम बैतूल में बंधक रखी जमीनों की तलाश कर रही है। आरोप तो यहां तक है कि वर्मा परिवार ने बैंक में बंधक रखी प्रॉपर्टी को भी बहुत पहले ही बेच दिया है। बैंक अब बैतूल में बंधक रखी जमीनों को ढूंढ रहा है, क्योंकि कर्ज की किश्तें नहीं चुकाई गई हैं।
ये है वर्मा परिवार पर आरोप
आरोप है कि वर्मा परिवार ने बंधक रखी प्रॉपर्टी को बहुत पहले ही बेच दिया था। ऋण वसूली अधिकरण (डीआरटी) जबलपुर ने पहले ही रामेश्वर वर्मा को यूएसए वाले एड्रेस पर भी नोटिस गया था। जब रिकवरी की उम्मीद नहीं रही तो अब बैंक ने उनकी प्रॉपर्टी की कुर्की की कार्रवाई शुरू कर दी है। हालांकि, सेम वर्मा ने कहा है कि उनके नाम पर कोई व्यक्तिगत कर्ज नहीं है।
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1995-96 में कंपनी ने लिया था बैंक लोन
1987 में मिशिगन रबर लिमिटेड कंपनी की शुरुआत हुई। इसका ऑफिस इंदौर में था। इस कंपनी में अमेरिकी कंपनी ने इसमें निवेश किया था। सेम वर्मा ने इस कंपनी को कंसल्टेंसी सेवाएं दीं। इस कारण सेम के भाई रामेश्वर वर्मा कंपनी के नॉमिनी डायरेक्टर बने।
1995-96 में कंपनी ने स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) इंदौर से करोड़ों रुपए का लोन लिया। इस लोन के बदले बैतूल के सुभाषनगर और सोहागपुर गांव की जमीन बंधक रखी गई। लेकिन 15 जनवरी 2017 तक बैंक को 10.78 करोड़ रुपए नहीं मिले, जिसके बाद बैंक ने कुर्की की प्रक्रिया शुरू की। लोन की राशि पर 12% ब्याज भी लगाया गया है, जिससे अब यह राशि लगभग 17.23 करोड़ रुपए हो गई है।
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11-12 सितंबर को बैंक की टीम गई थी बैतूल
ऋण वसूली अधिकरण (डीआरटी) के आदेश पर 11-12 सितंबर को बैंक की एक टीम बैतूल गई थी ताकि बंधक रखी गई जमीन का पता लगाया जा सके। टीम ने जांच के दौरान पाया कि सुभाष नगर वार्ड, बदनूरढाना के सर्वे नंबर 484/2 की 0.708 हेक्टेयर जमीन 2009 में किसी सोनी नामक व्यक्ति ने खरीद ली थी। वहीं, बदनूरढाना के सर्वे नंबर 475/3 की 0.22 हेक्टेयर जमीन टीम को नहीं मिली और अब उसे ढूंढने की कोशिश की जा रही है।
बैंक के पास बंधक रखी जमीन को बेचा
सेम ने बैंक में बंधक रखी गई अपनी प्रॉपर्टी को 1994 और 1995 में बेचा था। उस समय दस्तावेज हाथ से लिखे जाते थे, इसलिए कुछ शब्द पूरी तरह से साफ नहीं दिख रहे हैं। फिर भी सर्वे नंबर 475/3 के दस्तावेज में यह दिख रहा है कि 11 नवंबर 1994 को सेम ने अपनी जमीन अपने भाई रामेश्वर को बेच दी। वहीं, सर्वे नंबर 484/2 की जमीन के दस्तावेज में यह साफ लिखा हुआ है कि सेम ने 27 मार्च 1995 को अपनी जमीन 48 हजार रुपए में बेची थी। यह वही जमीन थी, जिसे बैंक के पास बंधक के रूप में रखा गया था।
कोई व्यक्तिगत कर्ज नहीं- सेम वर्मा
एनआरआई और बालाजीपुरम के संस्थापक सेम वर्मा ने कहा कि मुझ पर कोई व्यक्तिगत कर्ज नहीं है और न ही मेरी कोई संपत्ति गिरवी रखी गई है। मेरे भाई रामेश्वर भी नॉमिनी डायरेक्टर के रूप में कंपनी से जुड़े थे। उनकी जमीन भी बंधक नहीं रखी जानी चाहिए, लेकिन अगर ऐसा हुआ है तो मैं इस बारे में कुछ नहीं कह सकता।
डीआरटी द्वारा नियुक्त किए गए कोर्ट कमिश्नर दीपक पचौरी ने कहा कि सेम वर्मा के परिवार की प्रॉपर्टी को बंधक रखकर बैंक ने लोन दिया था। जब लोन चुकाया नहीं गया, तो अब बैंक ने कुर्की की कार्रवाई शुरू कर दी है। जो जमीन नहीं मिल रही है, उसकी तलाश के लिए नगर पालिका और तहसीलदार को नोटिस दिए गए हैं।