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आमतौर पर हम एक दिन के मुख्यमंत्री पर आधारित फिल्में और कहानियां सुनते हैं, जिसमें भ्रष्टाचारियों पर कार्रवाई की जाती है। लेकिन अब आपको एक असल जीवन की कहानी सुनाते हैं, जिसमें दो दिन के लिए भोज मुक्त विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार बने प्रवीण जैन ने नियमों का उल्लंघन करते हुए 66 अवैध नियुक्तियां कीं। यह पूरा मामला करीब 11-12 साल पुराना है, जिस पर अब आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (EOW) ने एफआईआर दर्ज की है।
भोज विश्वविद्यालय में अवैध नियुक्तियां
यह मामला भोपाल के भोज मुक्त विश्वविद्यालय से जुड़ा हुआ है, जहां वर्ष 2013-14 में 66 पदों पर अवैध नियुक्तियां की गई थीं। इन नियुक्तियों में नियमितीकरण भी किया गया था। इस मामले की शिकायत सागर जिले के सुधाकर सिंह राजपूत ने की थी। उन्होंने 25 फरवरी 2020 को ईओडब्ल्यू भोपाल में इस संबंध में शिकायत की थी, जिसके बाद छह साल बाद जांच शुरू हुई और एफआईआर दर्ज की गई।
अस्थायी कुलसचिव का दुरुपयोग
अर्थव्यवस्था में अवैध नियुक्तियों का मामला सामने आने के बाद यह तथ्य सामने आया कि प्रवीण जैन को उस समय केवल दो दिन के लिए कुलसचिव का अस्थायी प्रभार दिया गया था। इस अस्थायी प्रभार का दुरुपयोग करते हुए उन्होंने बिना किसी वैधानिक प्रक्रिया के 66 कर्मचारियों की नियुक्तियां कर डालीं। इन नियुक्तियों में कोई चयन प्रक्रिया, आवेदन, मूल्यांकन या रोस्टर पालन नहीं किया गया था।
5 पॉइंट्स में समझें पूरी खबर👉 भोज मुक्त विश्वविद्यालय में प्रवीण जैन ने 2013-14 में बिना किसी चयन प्रक्रिया के 66 अवैध नियुक्तियां कीं। इसमें विभिन्न पदों पर नियुक्तियां की गई थीं, जैसे कि कंप्यूटर ऑपरेटर, लिपिक, वाहन चालक, सहायक प्राध्यापक आदि। 👉 प्रवीण जैन को केवल दो दिन के लिए कुल सचिव का अस्थायी प्रभार दिया गया था, और इस प्रभार का दुरुपयोग करते हुए उन्होंने नियुक्तियां कीं, बिना कोई वैधानिक प्रक्रिया अपनाए। 👉 इन नियुक्तियों में कोई चयन प्रक्रिया, आवेदन, मूल्यांकन या आरक्षण नीति का पालन नहीं किया गया था, जिससे सरकारी स्वीकृति, पद सृजन, और आरक्षण नीति का उल्लंघन हुआ। 👉 इस मामले की शिकायत सागर जिले के सुधाकर सिंह राजपूत ने 2020 में की थी, जिसके बाद आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (ईओडब्ल्यू) ने 6 साल बाद एफआईआर दर्ज की। 👉 एफआईआर दर्ज करने के बाद ईओडब्ल्यू ने प्रवीण जैन और अन्य संबंधित अधिकारियों के खिलाफ जांच शुरू कर दी है, और इस मामले में भ्रष्टाचार और धोखाधड़ी के आरोप लगाए गए हैं। |
नियुक्तियों में नियमों की धज्जियां
प्रवीण जैन ने उन कर्मचारियों की नियुक्तियां कीं, जो बिना किसी नियमित चयन प्रक्रिया के थे। इन कर्मचारियों में कंप्यूटर ऑपरेटर, लिपिक, भृत्य, वाहन चालक, तकनीकी स्टाफ, सहायक प्राध्यापक और स्टेनोग्राफर आदि शामिल थे। नियुक्तियां सरकारी स्वीकृति, पद सृजन और आरक्षण नीति की धज्जियां उड़ाते हुए की गई थीं। इसके साथ ही, इन नियुक्तियों की वैधता को लेकर सवाल उठ रहे हैं, क्योंकि इनमें कोई आवेदन प्रक्रिया, मूल्यांकन, या अन्य आवश्यक कदम नहीं उठाए गए थे।
एफआईआर के बाद जांच
यह मामला अब राजनीतिक और प्रशासनिक स्तर पर जांच का विषय बन चुका है। ईओडब्ल्यू ने एफआईआर दर्ज की है और अब इस मामले में प्रवीण जैन और अन्य अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई शुरू कर दी गई है। यह मामला भ्रष्टाचार और धोखाधड़ी के गंभीर आरोपों के साथ जुड़ा हुआ है और इसकी जांच के बाद ही सच्चाई सामने आ सकेगी।
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