Bhopal AIIMS: 3डी प्रिंटिंग से बच्चों की जटिल हार्ट सर्जरी अब होगी आसान

पॉलीजेट डिजिटल एनाटॉमी प्रिंटर का उपयोग करते हुए, अब डॉक्टर सटीक और कम समय में ऑपरेशन कर सकते हैं। डॉ. आदित्य सिरोही ने बताया कि इस तकनीक के कारण कार्डियोथोरेसिक विभाग में सर्जरी की प्रक्रिया और भी सटीक हो गई है। 

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Sandeep Kumar
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MP NEWS: मध्य प्रदेश के भोपाल की एम्स (Bhopal AIIMS ) ने 3डी प्रिंटिंग तकनीक का उपयोग कर बच्चों की जटिल हार्ट सर्जरी को आसान बना दिया है। इस तकनीक के तहत, मरीज के दिल का आर्टिफिशियल मॉडल 3डी प्रिंटर की मदद से तैयार किया जाता है। इससे सर्जरी से पहले डॉक्टर को ऑपरेशन की प्रैक्टिस करने का अवसर मिलता है। 

आर्टिफिशियल हार्ट का उपयोग

पॉलीजेट डिजिटल एनाटॉमी प्रिंटर का उपयोग करते हुए, अब डॉक्टर सटीक और कम समय में ऑपरेशन कर सकते हैं। डॉ. आदित्य सिरोही ने बताया कि इस तकनीक के कारण कार्डियोथोरेसिक विभाग में सर्जरी की प्रक्रिया और भी सटीक हो गई है। इस मॉडल से दिल की नसों, आकार और स्थान की जानकारी मिल जाती है, जो ऑपरेशन को आसान बनाती है।

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3डी प्रिंटर तैयार करता है सिलिकॉन का मॉडल

दिल्ली एम्स के साइंटिस्ट डॉ. रमनदीप सिंह ने बताया कि इस तकनीक में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल होता है। इससे 3डी प्रिंटर मरीज के दिल जैसा मॉडल तैयार करता है। इस प्रिंटर से सिलिकॉन के अंग जैसे दिल, फेफड़े, दिमाग आदि बनाए जा सकते हैं, और डॉक्टर की जरूरत के अनुसार इन अंगों का रंग और कठोरता भी तय किया जा सकता है।

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3डी प्रिंटिंग तकनीक ऐसे करती है काम

इस प्रक्रिया में, मरीज की सिटी स्कैन, MRI रिपोर्ट, और अन्य रिपोर्ट की डिटेल को 3डी प्रिंटर में फीड किया जाता है। फिर यह मशीन मरीज के जैसे अंग तैयार कर देती है। इससे डॉक्टर को ऑपरेशन से पहले उन अंगों पर प्रैक्टिस करने का मौका मिलता है, जिससे सर्जरी का समय कम हो जाता है और मरीज को भी कम खतरा होता है।

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एम्स भोपाल में 16 सफल सर्जरी

भोपाल में अब तक 16 बच्चों की जटिल हार्ट सर्जरी की प्री-प्लानिंग की गई है, जिसमें 3डी प्रिंटिंग तकनीक का इस्तेमाल हुआ है। सभी सर्जरी सफल रही हैं, और बच्चों को नया जीवन मिला है। यह तकनीक सर्जरी के समय को कम करने और सटीकता बढ़ाने में महत्वपूर्ण साबित हो रही है।

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