भोपाल के गरबा पंडाल में एंट्री के लिए गंगाजल और गोमूत्र का छिड़काव

भोपाल में गरबा आयोजनों के लिए धार्मिक शुद्धिकरण की नई व्यवस्था लागू की गई है। इसके तहत गैर-हिंदुओं के प्रवेश को रोकने के लिए नई शर्त लागू किया गया है।

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Sandeep Kumar
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BHOPAL.मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल के अवधपुरी इलाके में स्थित श्री कृष्ण सेवा समिति गरबा मंडल ने इस वर्ष गरबा आयोजन में धार्मिक शुद्धिकरण की नई व्यवस्था लागू की है। इस व्यवस्था के तहत, पंडाल में प्रवेश से पहले हर व्यक्ति को तिलक लगवाना, 'जय श्री राम' का जयघोष करना और गंगाजल तथा गोमूत्र का छिड़काव कराना अनिवार्य किया गया है। आयोजकों का मानना है कि इस प्रक्रिया से गैर-हिंदू आयोजन में शामिल होने से पीछे हट जाएंगे क्योंकि वे इस धार्मिक प्रक्रिया में शामिल नहीं होंगे।

धार्मिक शुद्धिकरण प्रक्रिया का उद्देश्य

आयोजकों ने बताया कि यह प्रक्रिया धार्मिक मर्यादा और पवित्रता बनाए रखने के लिए की जा रही है। इसका किसी विशेष धर्म के खिलाफ कोई उद्देश्य नहीं है। उनका कहना है कि नवरात्रि का पर्व सनातन धर्म के अनुयायियों के लिए सुरक्षित होना चाहिए।

आयोजन में आने वाले हर व्यक्ति को पहले गंगाजल का आचमन करना होता है। फिर आम के पत्तों से छिड़काव और तांबे के लोटे से गोमूत्र का प्रयोग किया जाता है। इसके बाद ही व्यक्ति को पंडाल में प्रवेश की अनुमति दी जाती है।

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पहचान के लिए ये तरीके अपनाए जा रहे

इस प्रक्रिया के तहत आयोजक यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि केवल सनातन धर्म के अनुयायी ही पंडाल में शामिल हों। पहचान के लिए आधार कार्ड दिखाना, तिलक लगवाना और हाथ में कलावा बांधना जैसे तरीके अपनाए जा रहे हैं। आयोजकोंन ने स्पष्ट किया कि इन धार्मिक शुद्धिकरण प्रक्रियाओं के बिना किसी भी व्यक्ति को पंडाल में प्रवेश नहीं मिलेगा।

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भोपाल के सांसद आलोक शर्मा का समर्थन

भोपाल के बीजेपी सांसद आलोक शर्मा ने इस नई व्यवस्था का समर्थन किया है। उन्होंने कहा कि कुछ लोग हिंदू प्रतीकों का उपयोग कर गरबा आयोजनों में घुसपैठ करने की कोशिश करते हैं और फिर धार्मिक भावनाओं को आहत करते हैं। सांसद ने यह भी कहा कि राज्य सरकार इन गतिविधियों पर नजर रखे हुए है, और नवरात्रि का पर्व केवल हिंदू और सनातन धर्म के अनुयायियों के लिए है।

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गरबा की धार्मिक और सांस्कृतिक पृष्ठभूमि

नवरात्रि उत्सव में देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। यह पर्व न केवल धार्मिक, बल्कि सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। इस दौरान गरबा, जो कि गुजरात का पारंपरिक नृत्य है, पूरे देश में धूमधाम से मनाया जाता है। गरबा का आयोजन इस समय के दौरान खुशी और उल्लास के साथ होता है, और यह विभिन्न समुदायों को एकत्र करने का एक अवसर है।

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