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राजधानी भोपाल के सार्वजनिक स्थानों पर महिलाओं की सुरक्षा, पहुंच और सुविधाओं को लेकर किए गए हालिया सर्वे ने एक गंभीर तस्वीर पेश की है। सर्वे में सामने आया कि बोट क्लब को छोड़कर बाकी प्रमुख स्थानों जैसे गौहर महल, जॉगर्स पार्क, शीतलदास की बगिया और कमला पार्क महिलाओं के लिए पूरी तरह सुरक्षित नहीं हैं।
यहां न केवल बेसिक फैसिलिटीज की कमी है, बल्कि माहौल भी ऐसा नहीं है जिसमें महिलाएं सहज महसूस करें। ऐसे में यह स्थिति दर्शाती है कि, शहर की सार्वजनिक संरचनाएं (public structures) अब भी महिलाओं की जरूरतों और सेफ्टी स्टैंडर्ड्स से कोसों दूर हैं।
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सार्वजनिक स्थानों की सुरक्षा पर अहम सर्वे
भोपाल के प्रमुख सार्वजनिक स्थलों पर महिलाओं की सुरक्षा, पहुंच और सुविधा को लेकर एक डिटेल्ड सर्वे किया गया। इस सर्वे को भोपाल के शैक्षणिक संस्थान मैनिट ने किया। सर्वे मैनिट के आर्किटेक्चर और प्लानिंग विभाग के छात्रों ने किया, जिसमें कमला पार्क, शीतलदास की बगिया, जॉगर्स पार्क, गौहर महल और बोट क्लब को शामिल किया गया।
सर्वे में पार्किंग, रोशनी, शौचालय, बैठने की व्यवस्था, पहुंचने के रास्ते, खान-पान की उपलब्धता, गतिविधियों में महिलाओं की भागीदारी और व्हीलचेयर एक्सेस जैसी जरूरतों के आधार पर स्थानों का एनालिसिस किया गया।
बोट क्लब: महिलाओं के लिए सबसे सुरक्षित
इस सर्वे में बोट क्लब को महिलाओं के लिए सबसे सुरक्षित माना गया। यहां का लेक व्यू और प्राकृतिक वातावरण महिलाओं और परिवारों को आकर्षित करता है। दोपहर के समय यहां महिलाओं की अच्छी-खासी उपस्थिति देखी गई, जो वहां एकजुट होकर समय बिताती हैं। हालांकि, महिलाओं के लिए स्वच्छ और अलग शौचालय जैसी मूलभूत सुविधा की कमी यहां भी महसूस की गई। इसके बावजूद, सुरक्षा, बैठने की सुविधा और वातावरण के लिहाज से यह जगह बाकी स्थानों से बेहतर मानी गई।
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गौहर महल: पुरुषों का अड्डा, महिलाएं दूर
गौहर महल का परी घाट एक समय में केवल महिलाओं के लिए रिजर्व्ड स्पेस माना जाता था, लेकिन वर्तमान में यहां पर पुरुषों का दबदबा है। ताश खेलते पुरुषों की भीड़ और महिलाओं की बहुत कम उपस्थिति यह दर्शाती है कि यहां महिलाएं सहज महसूस नहीं करतीं।
जॉगर्स पार्क: युवतियों के लिए असुरक्षित
वहीं, तालाब किनारे स्थित यह पार्क फिटनेस प्रेमियों के लिए जाना जाता है। यहां लोग सुबह-शाम जॉगिंग और एरोबिक्स करते हैं, लेकिन महिलाओं की उपस्थिति कम है। चाय टपरी पर लड़कों की भीड़, पर्याप्त रोशनी की कमी और बैठने की सीमित व्यवस्था के कारण महिलाएं यहां औसतन 15 मिनट से ज्यादा नहीं रुकतीं। शाम के बाद यह स्थान और भी असुरक्षित माना जाता है। इस जगह पर सुरक्षा व्यवस्था की कमी, सफाई का अभाव और बुनियादी सुविधाओं की कमी ने इसे महिलाओं के लिए असुविधाजनक बना दिया है।
शीतलदास की बगिया: सुंदरता के बीच असुविधा
शीतलदास की बगिया, बड़ा तालाब के किनारे स्थित होने के बावजूद महिलाओं के लिए आकर्षक नहीं बन सकी। यहां का गंदा और टूटा-फूटा पहुंच मार्ग मुख्य समस्या है। इन कारणों से महिलाएं इस स्थान पर खुद को सुरक्षित या सहज महसूस नहीं करतीं। मंदिर और प्राकृतिक सौंदर्य के बावजूद महिलाएं यहां जाने से कतराती हैं।
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कमला पार्क: बेसिक फैसिलिटीज की कमी
भोपाल के इस ऐतिहासिक स्थान पर शहर के सबसे पुराने पेड़ हैं और सुबह-शाम लोगों की भीड़ रहती है। लेकिन पार्क में रेलिंग्स की अव्यवस्थित स्थिति और व्हीलचेयर के प्रवेश में बाधा महिलाओं के लिए परेशानी का कारण बन रही है। ऐसे में विशेष रूप से दिव्यांग महिलाओं के लिए यह स्थान पूरी तरह अनुकूल नहीं है।
क्यों जरूरी है सुधार
यह साफ है कि महिलाएं सिर्फ वहीं जाती हैं, जहां उन्हें सुरक्षा, स्वच्छता और सुविधा मिलती है। जब शहर के प्रमुख सार्वजनिक स्थान महिलाओं के अनुकूल नहीं होंगे, तो उनका सामाजिक दायरा सीमित होता चला जाएगा। ऐसे में जरूरी है कि इन स्थानों पर बुनियादी सुविधाएं बढ़ाई जाएं, महिला शौचालय, सुरक्षा गार्ड, सीसीटीवी कैमरे और नियमित सफाई सुनिश्चित की जाए, ताकि महिलाएं भी निर्भय होकर सार्वजनिक जीवन का हिस्सा बन सकें।
यह सर्वे बताता है कि महिलाएं किसी भी स्थान पर जाने से पहले वहां की सुरक्षा, सफाई, गतिविधियों में भागीदारी, सार्वजनिक सुविधाएं और पहुंच की सरलता जैसे कारकों को गंभीरता से देखती हैं। महिलाओं के लिए शहर में फीडिंग एरिया, साफ शौचालय, रोशनी और शांत माहौल जैसी बुनियादी चीजें उपलब्ध कराना जरूरी है। जब तक इन सार्वजनिक स्थानों में जेंडर-सेंसिटिव सुधार नहीं किए जाएंगे, तब तक महिलाएं इन जगहों पर खुद को सहज नहीं महसूस करेंगी।
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