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BHOPAL.मध्यप्रदेश के शहरों में PWD की छोटी सड़कों को नगरीय निकायों को सौंपने की प्रक्रिया एक बार फिर ठंडे बस्ते में चली गई है। चार महीने पहले PWD मंत्री राकेश सिंह ने इन सड़कों को स्थानीय निकायों को ट्रांसफर करने के निर्देश दिए थे।
एमपी में करीब 350 सड़कें ऐसी हैं, जिनके दोनों ओर पहले से ही नगरीय निकायों की सड़कें मौजूद हैं। समस्या तब बढ़ जाती है जब बारिश में इन सड़कों का रखरखाव समय पर नहीं हो पाता, क्योंकि सड़क PWD की होती है और नालियां नगर निगम की।
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राजधानी भोपाल से होनी थी शुरुआत
इस योजना की शुरुआत भोपाल से करने का प्रस्ताव था, क्योंकि 350 में से 150 सड़कें राजधानी की हैं, जिनकी कुल लंबाई लगभग 572 किलोमीटर है। फिलहाल, इनके रखरखाव पर पीडब्ल्यूडी हर साल करीब एक करोड़ रुपए खर्च करता है। विभाग ने इन सभी सड़कों की सूची बनाकर नगर निगम को भेज दी थी, ताकि ट्रांसफर की प्रक्रिया राजधानी से शुरू हो सके। इसके बाद इसे ग्वालियर, जबलपुर, विदिशा और मंडीदीप जैसे अन्य शहरों में लागू करने की योजना थी।
आधा किलोमीटर से भी छोटी सड़कें शामिल
सूची में ऐसी कई सड़कें शामिल हैं जो आधा किलोमीटर से भी छोटी हैं।
जैसे...
- हाथीखाना पहुंच मार्ग (0.19 किमी)
- गांधी नगर एयरपोर्ट से एनएच-12 लिंक रोड (0.64 किमी)
- अंबेडकरनगर पहुंच मार्ग (0.39 किमी)
- डिपो चौराहे से झरनेश्वर तक की सड़क (0.35 किमी)
डिपो चौराहे से झरनेश्वर तक की सड़क (0.35 किमी) इन सड़कों के दोनों ओर पहले से ही नगर निगम की सड़कें हैं। लेकिन जिम्मेदारी बंटी होने से हर बारिश में मेंटनेंस में देरी होती है। भोपाल ही नहीं, बल्कि 40 से अधिक नगरीय निकायों में ऐसी सड़कें हैं जिनके ट्रांसफर पर फिलहाल परिषद की मंजूरी का इंतजार है।
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निगम परिषद में अटका प्रस्ताव
भोपाल नगर निगम में यह प्रस्ताव फिलहाल अटका हुआ है। निगम प्रशासन ने अब तक कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया है। जानकारी के मुताबिक, इस प्रस्ताव को अब नगर निगम परिषद की बैठक में लाने की तैयारी है। निगम सड़कों के साथ बजट की मांग भी करने वाला है। नगर निगम अध्यक्ष किशन सूर्यवंशी ने बताया कि यह नीतिगत मामला है, इसलिए परिषद में चर्चा के बाद ही आगे बढ़ाया जाएगा।
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यूनिफाइड ज्यूरिसडिक्शन मैप भी अधर में
सीएम मोहन यादव ने पहले ही शहरी सड़कों का यूनिफाइड ज्यूरिसडिक्शन मैप तैयार करने के निर्देश दिए थे, ताकि सभी एजेंसियों की सड़कों को एक ही योजना के तहत लाया जा सके। इसकी शुरुआत भी भोपाल से होनी थी, जहां करीब 4700 किलोमीटर लंबी सड़कें हैं।
इनमें पीडब्ल्यूडी, नगर निगम, बीडीए और हाउसिंग बोर्ड की सड़कें शामिल हैं। विभिन्न एजेंसियों के कारण प्लानिंग और मेंटनेंस की प्रक्रिया जटिल हो जाती है, इसलिए पीडब्ल्यूडी ने पहले चरण में अपनी सड़कों की सूची तैयार की थी।
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हर साल मेंटनेंस पर सवाल उठते हैं
राजधानी सहित प्रदेश के शहरों में छोटी सड़कों के रखरखाव का जिम्मा तय न होने से हर साल मेंटनेंस पर सवाल उठते हैं। अब देखना होगा कि परिषद में प्रस्ताव पारित होने के बाद यह योजना आगे बढ़ती है या फिर एक बार फिर कागजों में ही सीमित रह जाती है।
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