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BHOPAL.ओबीसी आरक्षण का मसला पूरे साल मध्यप्रदेश की राजनीति और प्रशासनिक व्यवस्था में हलचल मचाता रहा है। वहीं सरकार भी पिछड़ा वर्ग के लिए अपनी योजनाओं को गिनाने में पीछे नहीं रही है। सरकार के इन दावों से ओबीसी के छात्रों को हमदर्दी के अलावा कुछ नहीं मिल पाया है।
ओबीसी वर्ग के छात्रों के लिए चल रही छात्रवृत्ति योजनाओं पर भी सरकारी कैंची लगातार चलती आ रही है। दिखावे के लिए बजट भरपूर दिया जा रहा है। लेकिन छात्रवृत्ति नहीं बंट पा रही। पिछड़ा वर्ग के छात्रों को बेहतर शिक्षा के लिए योजनाएं बजट के बावजूद ठप पड़ी हैं।
इसका असर ओबीसी के उन छात्रों पर नजर आ रहा है जो आर्थिक रूप से बेहद कमजोर हैं। केवल छात्रवृत्ति के दम पर दूसरे शहरों में रहकर पढ़ाई कर रहे हैं। महीनों तक छात्रवृत्ति नहीं मिलने से मेधावी छात्रों की पढ़ाई अटक रही है। कुछ छात्र स्कूल- कॉलेज छोड़ने के लिए मजबूर हो रहे हैं।
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बजट मिला फिर भी छात्रवृत्ति बांटने में पीछे
मध्यप्रदेश सरकार की ओर से पिछड़ा वर्ग के लिए अपनी योजनाओं का जमकर बखान किया गया। मंत्री कृष्णा गौर ने ओबीसी योजनाओं और छात्रवृत्ति के आंकड़े गिनाए। उन्होंने सरकार का गुणगान किया, लेकिन प्रदेश में छात्रवृत्ति योजनाओं की जमीनी हकीकत अलग है।
मध्य प्रदेश में छात्रवृत्ति योजनाओं के लिए सरकार ने भरपूर बजट दिया। फिर भी पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग छात्रवृत्ति बांटने में पीछे रहा। सरकार के आंकड़े तो अच्छे हैं, लेकिन विभाग का हाथ तंग है। ओबीसी के सैकड़ों छात्र इन योजनाओं से वंचित रह रहे हैं।
कटौती की कैंची से प्रभावित हो रहे छात्र
पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग 5 छात्रवृत्ति योजनाएं चला रहा है। इसके अलावा 4 छात्र प्रोत्साहन और पुरस्कार योजनाएं भी हैं। विभाग दो छात्रावास और दो रोजगार मूलक प्रशिक्षण स्कीम भी संचालित कर रहा है। यानी पिछड़ा वर्ग के छात्रों के लिए सरकार विभाग के माध्यम से 13 योजनाएं चला रही है।
इनके लिए हर साल डेढ़ हजार करोड़ रुपए से ज्यादा का आवंटन सरकार कर रही है। लेकिन विभाग इस पर भी कटौती की कैंची चलाता आ रहा है। बीते तीन वित्त वर्षों में सरकार से भरपूर बजट मिलने के बाद भी विभाग ने छात्रों को छात्रवृत्ति का भुगतान करने में सजगता नहीं दिखाई और इस वजह से सैकड़ों छात्र आर्थिक तंगी से जूझते रह गए।
छात्रवृत्ति योजनाओं की रफ्तार हुई धीमी
मध्य प्रदेश में पिछड़ा वर्ग के छात्रों के लिए कई छात्रवृत्ति योजनाएं संचालित हैं। इनमें पोस्टमैट्रिक छात्रवृत्ति, केंद्रीय क्षेत्रीय योजना, प्रावीण्य छात्रवृत्ति, विदेश अध्ययन छात्रवृत्ति, राज्य छात्रवृत्ति और पीएससी- यूपीएससी परीक्षा पुनर्विनियोजन छात्रवृत्ति शामिल हैं।
छात्रों के प्रोत्साहन और प्रशिक्षण के लिए कई योजनाएं चल रही हैं। इनमें रोजगार गारंटी प्रशिक्षण योजना, मुख्यमंत्री उत्कृष्टता पुरस्कार, रोजगार मूलक आर्थिक सहायता और छात्रावास योजनाएं शामिल हैं। सरकार ने छात्रवृत्ति योजनाओं के लिए पिछड़ा वर्ग विभाग को बड़ा बजट दिया है। 2023-24 में 7 लाख 35 हजार विद्यार्थियों को 978 करोड़ 43 लाख की छात्रवृत्ति दी गई। 2024-25 में 7 लाख 72 हजार विद्यार्थियों को 1 हजार 119 करोड़ की छात्रवृत्ति दी जाएगी। 2025-26 में 5 लाख 23 हजार विद्यार्थियों को 681 करोड़ 41 लाख की राशि का भुगतान किया गया है।
ढाई लाख छात्रों की संख्या भी घटी
छात्रवृत्ति योजनाओं पर बीते वित्त वर्ष यानी 2024-25 में जहां 7.72 लाख छात्रों को 1119 करोड़ रुपए आवंटित किए गए थे। वहीं इस वित्त वर्ष यानी 2025-26 में यह राशि 60 फीसदी ही बांटी गई है। इस सत्र में पिछड़ा वर्ग के 5.23 लाख विद्यार्थियों को 682 करोड़ रुपए ही छात्रवृत्ति के रूप में बांटे गए हैं।
इस साल छात्रवृत्ति पाने वाले छात्रों की संख्या बीते साल के मुकाबले 2.49 लाख कम हो गई है। वहीं राशि में 40 फीसदी की कमी आई है। 2023 में पोस्टमैट्रिक छात्रवृत्ति के लिए सरकार ने 993 करोड़ स्वीकृत किए थे।
2024 में इस मद में 93 करोड़ की कटौती की गई। प्रावीण्य छात्रवृत्ति में 2023 और 2024 में 15 लाख रुपए आवंटित किए गए थे, लेकिन केवल सवा 4 लाख रुपए की छात्रवृत्ति दी गई। राज्य छात्रवृत्ति की मद में 2024 में 288 करोड़ रुपए स्वीकृत हुए, लेकिन केवल 219 करोड़ ही खर्च किए गए।
विभाग की अनदेखी झेल रहे छात्र
छात्रों के प्रोत्साहन की योजनाओं को पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग की सबसे ज्यादा अनदेखी झेलनी पड़ी है। प्रशिक्षण गारंटी स्कीम के लिए 10 करोड़ का बजट स्वीकृत था, लेकिन केवल 1.89 करोड़ ही बांटे गए। मुख्यमंत्री उत्कृष्टता पुरस्कार पर एक धेला भी खर्च नहीं किया गया।
व्यावसायिक प्रतिभा परीक्षा पुरस्कार के लिए भी राशि नहीं दी गई। रोजगार मूलक आर्थिक सहायता की मद में 5 करोड़ उपलब्ध थे, लेकिन केवल 19 लाख रुपए वितरित किए गए। विदेश अध्ययन छात्रवृत्ति के लिए 15 करोड़ के बजट में 2 करोड़ रुपए की कटौती की गई।
उच्च शिक्षा पर बढ़ा आर्थिक संकट
यह मध्य प्रदेश में ओबीसी वर्ग के छात्रवृत्ति योजनाओं की स्थिति है। छात्रवृत्ति वितरण में अनियमितताएं और देरी की समस्या भी बड़ी है। पिछड़ा वर्ग, अनुसूचित जाति और जनजाति के छात्रों को छात्रवृत्ति के लिए महीनों तक चक्कर काटने पड़ रहे हैं। इससे आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों के छात्रों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है।
उच्च शिक्षा के लिए दूसरे शहरों में रहकर पढ़ाई करने वाले कई छात्रों को छात्रवृत्ति अटकने की वजह से पढ़ाई छोड़नी पड़ी। अब सैकड़ों छात्र स्वाध्यायी के रूप में कॉलेज की पढ़ाई पूरी करने को मजबूर हैं। छात्रवृत्ति वितरण में अनियमितताओं के साथ घोटाले भी सामने आए हैं। इंजीनियरिंग और नर्सिंग कॉलेजों में छात्रवृत्ति के भरोसे विद्यार्थियों को प्रवेश दिया गया। इन गड़बड़ियों को लेकर इंदौर, भोपाल सहित कई स्थानों पर छात्र संगठन प्रदर्शन कर चुके हैं।
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