मध्य प्रदेश के भिंड और उत्तर प्रदेश के इटावा को जोड़ने वाली चंबल नदी पर नया तार समर्थित पुल जनवरी के अंतिम सप्ताह से निर्माण के लिए तैयार हो जाएगा। यह पुल मुंबई के बांद्रा-वर्ली सी लिंक की तरह डिजाइन किया जाएगा जिसे 24 महीने में पूरा किया जाएगा। इस पुल के निर्माण से मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के बीच यातायात सरल हो जाएगा, जिससे व्यापार में बढ़ोतरी की उम्मीद है।
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केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी की मंजूरी
बता दें कि, तीन साल पहले केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने इस पुल और फोरलेन सड़क निर्माण के लिए 296 करोड़ रुपए मंजूर किए थे। इसमें पुल बनाने का काम दिल्ली की एएससी इंफ्राटेक लिमिटेड कंपनी द्वारा किया जा रहा है। वहीं कंपनी ने अब इसकी परियोजना की तैयारी तेज कर दी है और निर्माण कार्य जनवरी के अंत में शुरू हो सकता है।
पुल का निर्माण विवरण
ये नए पुल का डिजाइन मुंबई के बांद्रा-वर्ली (सी) लिंक से प्रेरित होगा। पुल की लंबाई 594 मीटर लंबा और चौड़ाई 14 मीटर होगा। इसकी ऊंचाई पुरानी पुल से 122 मीटर ज्यादा यानी लगभग 130 मीटर होगी। इसके निर्माण में कंक्रीट, स्टील और प्रीकास्ट सेगमेंट का इस्तेमाल किया जाएगा। पुल का मुख्य स्पैन केबल से बनेगा, जो इसकी मजबूती को बढ़ाएगा। इस नए पुल के बनने से भिंड, इटावा और इससे जुड़े अन्य जिलों के व्यापार में वृद्धि होगी। साथ ही, ये मध्य प्रदेश की अटल प्रोग्रेस-वे को बुंदेलखंड एक्सप्रेस वे से जोड़ने का महत्वपूर्ण मार्ग बनेगा, जिससे दोनों राज्यों के बीच आर्थिक गतिविधियाँ और तेज होंगी।
फोरलेन सड़क का निर्माण
वहीं, यहां न केवल पुल, बल्कि यमुना नदी के पुल से चंबल पुल तक 8.1 किलोमीटर लंबी सड़क को भी फोरलेन बनाया जाएगा। इस सड़क पर डिवाइडर और स्ट्रीट लाइट्स भी लगाई जाएंगी, जिससे यात्रा और भी सुविधाजनक होगी। चंबल पुल और सड़क निर्माण के लिए कुल 296 करोड़ रुपए मंजूर किए गए हैं, जिसमें 130 करोड़ रुपए पुल और 166 करोड़ रुपए सड़क निर्माण के लिए निर्धारित किए गए हैं।
50 साल पुराना हो चुका है पुल
बता दें कि चंबल नदी पर बना पुराना पुल 1975 में स्थापित किया गया था, जो अब 50 साल पुराना हो चुका है। इस पुल को अबतक 15 बार क्षति का सामना करना पड़ा है, जिसके कारण कई बार आवागमन प्रभावित हुई है। नए पुल के बनने से ये समस्या समाप्त हो जाएगी और यात्रा सुरक्षित और सरल हो सकेगी। हालांकि, 2022 में पुल निर्माण कार्य में कुछ देरी आई थी, जब मिट्टी परीक्षण के दौरान घड़ियाल अभयारण्य ने रुकावट डाली थी। लेकिन 31 जुलाई को वन विभाग और चंबल अभयारण्य से अनुमति मिलने के बाद निर्माण कार्य की प्रक्रिया में तेजी लाई गई है।