टैक्स फ्री नहीं हुई फिल्म 'फुले' तो कांग्रेस ने रखी फ्री स्क्रीनिंग

जबलपुर में 22 मई को कांग्रेस द्वारा “फुले” फिल्म की मुफ्त स्क्रीनिंग आयोजित की जाएगी। यह फिल्म महात्मा ज्योतिराव और सावित्रीबाई फुले के जीवन पर आधारित है। कांग्रेस ने फिल्म टैक्स फ्री न होने पर भाजपा सरकार पर विरोध जताया है।

author-image
Neel Tiwari
New Update
congress-free-screening-film-phule

Photograph: (the sootr)

Listen to this article
0.75x 1x 1.5x
00:00 / 00:00

JABALPUR. जबलपुर शहर इस 22 मई को शहर (जिला) कांग्रेस कमेटी के तत्वावधान में “फुले” फ़िल्म का विशेष प्रदर्शन समदड़िया मॉल में आयोजित किया जाएगा। यह फ़िल्म आधुनिक भारत के दो महान समाज सुधारकों , महात्मा ज्योतिराव फुले और सावित्रीबाई फुले के जीवन संघर्ष और क्रांतिकारी विचारों पर आधारित है। इस आयोजन के माध्यम से कांग्रेस समाज के उन मूल विचारों को दोहराने जा रही है, जिनके आधार पर भारतीय संविधान ने समानता, शिक्षा और सामाजिक न्याय की नींव रखी।

आपको बता दें कि इसके पहले कश्मीर फाइल्स और केरला फाइल्स जैसी फिल्मों को भाजपा सरकार ने टैक्स फ्री भी किया है और उनकी मुफ्त स्क्रीनिंग भी रखी है, फिल्म फुले के टैक्स फ्री न होने पर कांग्रेस ने भाजपा पर विशेष समाज के विरोधी होने का आरोप भी लगाया है और आप इस फिल्म की मुफ्त स्क्रीनिंग आयोजित की गई है।

जनजागरण की ओर एक रचनात्मक कदम, समदड़िया मॉल में होगा विशेष शो

इस विशेष फिल्म प्रदर्शन का आयोजन 22 मई 2025 को शाम 4 बजे से 6:30 बजे तक समदड़िया मॉल, सिविक सेंटर, जबलपुर के मल्टीप्लेक्स स्क्रीन पर किया जा रहा है। आयोजन पूरी तरह से निशुल्क है और इसमें शहर के छात्र, शिक्षक, सामाजिक कार्यकर्ता, बुद्धिजीवी वर्ग और आम नागरिकों की भागीदारी की उम्मीद की जा रही है।

समदड़िया मॉल जैसी भीड़भाड़ वाली और केंद्रीय जगह को आयोजन स्थल के रूप में चुनना कांग्रेस की उस रणनीति को भी दर्शाता है, जिसके तहत वे अधिक से अधिक लोगों को इस ऐतिहासिक विषयवस्तु से जोड़ना चाहते हैं।

निःशुल्क टिकट वितरण केंद्र बना JCCC कॉलेज, युवाओं में दिखा उत्साह

फ़िल्म में भाग लेने के लिए निःशुल्क पास JCCC कॉलेज, शास्त्री ब्रिज चौक, जबलपुर से वितरित किए जा रहे हैं। आयोजन की घोषणा के बाद से ही टिकट वितरण केंद्र पर छात्र-छात्राओं और युवाओं की लंबी कतारें देखने को मिली हैं।

यह भी पढ़ें... MP में मेट्रो का काम करने वाली तुर्किए की कंपनी ने पाक को दिए थे ड्रोन! अब होगी जांच

आयोजन से जुड़े स्वयंसेवकों ने बताया कि इस आयोजन को लेकर युवाओं में गहरी उत्सुकता है क्योंकि बहुत से लोग फुले दंपति के योगदान से अब तक अनभिज्ञ थे। इच्छुक नागरिक आयोजन से संबंधित अधिक जानकारी के लिए मोबाइल नंबर 9893036746 पर संपर्क कर सकते हैं।

फिल्म “फुले”: दो आत्माओं की साझी लड़ाई, जो भारत को बदल गई

निर्देशक आनंद गांधी और लेखक ओम रंजन द्वारा निर्मित यह फ़िल्म वर्ष 2024 में रिलीज़ हुई थी और अपने गहन सामाजिक संदेश, ऐतिहासिक सत्यनिष्ठा और संवेदनशील निर्देशन के चलते इसे कई अंतरराष्ट्रीय मंचों पर सराहना मिली।

अभिनेता प्रतीक गांधी ने महात्मा फुले की भूमिका में जिस भावनात्मक गहराई और आत्मिक समर्पण का प्रदर्शन किया, उसने दर्शकों के दिलों में उनकी छवि को जीवंत कर दिया। वहीं अभिनेत्री पत्रलेखा ने सावित्रीबाई फुले की भूमिका में शिक्षा, संघर्ष और साहस की मूर्त रूप बनकर समाज में महिलाओं की स्थिति को नई परिभाषा दी।

यह भी पढ़ें... महाकाल मंदिर में श्रद्धालुओं की एंट्री का बदला रास्ता, सावन में होगा नया इंतजाम

राजनीतिक प्रचार नहीं, सामाजिक संदेश

जब देश में अक्सर फिल्मों का इस्तेमाल राजनीतिक प्रचार के लिए किया जाता है, तब कांग्रेस ने “फुले” जैसी फिल्म के प्रदर्शन का आयोजन कर यह स्पष्ट संदेश दिया है कि यह पहल राजनीतिक लाभ के लिए नहीं, बल्कि सामाजिक चेतना जगाने के उद्देश्य से की जा रही है।

कांग्रेस के स्थानीय नेताओं ने बताया कि भारत में बढ़ते सामाजिक भेदभाव, जातिगत तनाव और शिक्षा की गिरती स्थिति को देखते हुए अब फुले दंपति के विचारों को फिर से केंद्र में लाना आवश्यक हो गया है। यह फ़िल्म दर्शकों को आत्ममंथन और विचारों की पुनर्स्थापना की ओर प्रेरित करेगी।

महात्मा फुले और सावित्रीबाई फुले,भारतीय समाज के मौन क्रांतिकारी

महात्मा ज्योतिराव फुले ने 19वीं सदी में उस समय की ब्राह्मणवादी व्यवस्था और जातिगत शोषण के खिलाफ निडर होकर आवाज उठाई, जब उनके जैसे विचार रखना भी समाज में अपराध माना जाता था। उन्होंने 'सत्यशोधक समाज' की स्थापना कर सामाजिक न्याय की अलख जगाई और किसानों, महिलाओं, शूद्रों तथा दलितों के अधिकारों की मांग को लेकर आंदोलन चलाया।

यह भी पढ़ें... महिला अफसर ने काटा चालान, युवक बीच सड़क पर बैठकर करने लगा ड्रामा, दी धमकी

उनकी पत्नी सावित्रीबाई फुले भारत की पहली महिला शिक्षिका बनीं, जिन्होंने बालिकाओं को शिक्षित करने का संकल्प लिया। पुणे में 1848 में जब उन्होंने पहला बालिका विद्यालय खोला, तब उन पर कीचड़ फेंका गया, लेकिन वे रुकी नहीं।

एक फिल्म नहीं, आंदोलन की चिंगारी

फुले दंपति के जीवन पर आधारित यह फिल्म सिर्फ एक बायोपिक नहीं है, यह उस सोच की पुकार है जो आज भी समाज के कोने-कोने में न्याय और बराबरी की तलाश में भटक रही है।

फिल्म के दृश्यों में वह गूंज सुनाई देती है, जो बताती है कि शिक्षा और समानता के लिए संघर्ष केवल अतीत की कहानी नहीं, बल्कि आज की भी सच्चाई है। समदड़िया मॉल में आयोजित यह स्क्रीनिंग निश्चित रूप से जबलपुर जैसे सांस्कृतिक शहर के लिए एक महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक सांझ बनेगी।

 “फुले” फिल्म का प्रसारण सामाजिक बदलाव की ओर एक सशक्त प्रयास

22 मई को जब जबलपुर की जनता इस फिल्म को देखेगी, तो यह सिर्फ एक सिनेमाई अनुभव नहीं होगा, बल्कि यह आत्मा को झकझोर देने वाला सामाजिक आईना होगा, जिसमें हम सभी को झांकने की आवश्यकता है।

यह भी पढ़ें... एमपी में अनोखा मामला : सरपंच ने पंचायत ठेके पर दी, ढाई साल बाद FIR

कांग्रेस की यह पहल एक नई शुरुआत हो सकती है, एक ऐसा संवाद, जो भारतीय समाज में शिक्षा, समानता और सामाजिक न्याय के विचारों को फिर से स्थापित कर सके। ऐसे आयोजनों के माध्यम से राजनीतिक दल यदि सामाजिक दायित्व को निभाने की ओर अग्रसर हों, तो यह लोकतंत्र के लिए सुखद संकेत है।

कश्मीर फाइल्स भाजपा सरकार कांग्रेस जबलपुर सावित्रीबाई फुले Jabalpur