शनिवार को जबलपुर के राइट टाउन क्षेत्र में कांग्रेस कमेटी ने भारतीय सेना और उसकी महिला अधिकारियों के विरुद्ध दिए गए अपमानजनक बयानों के विरोध में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) कार्यालय की ओर मार्च निकाला। इस मार्च के माध्यम से कांग्रेस ने सरकार के उन मंत्रियों पर सीधा हमला बोला जिनके कथनों ने सेना की गरिमा और निष्पक्षता पर सवाल खड़े किए।
विरोध का मुख्य उद्देश्य था कि सेना को राजनीतिक सत्ता के प्रचार तंत्र में परिवर्तित करने की कोशिशों के खिलाफ एक स्पष्ट और प्रभावशाली संदेश दिया जाए।
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कांग्रेस का सवाल, क्या यही है आज का ‘राष्ट्रवाद’?
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राज्य के उपमुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा द्वारा दिया गया यह बयान “भारतीय सेना प्रधानमंत्री मोदी के चरणों में नतमस्तक है,” कांग्रेस सहित कई राजनीतिक व सामाजिक हलकों में गहरी नाराजगी का कारण बना। कांग्रेस का कहना है कि यह कथन न केवल सेना की प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचाने वाला है, बल्कि इससे यह भी झलकता है कि सरकार किस तरह सेना जैसी संस्था को अपनी राजनीतिक छवि चमकाने के लिए इस्तेमाल करना चाहती है।
वहीं दूसरी ओर, मंत्री विजय शाह द्वारा सेना की वरिष्ठ महिला अधिकारी कर्नल सोफिया कुरैशी पर लगाए गए आरोप की “वे पाकिस्तान के भेजे गए आतंकियों की बहन हैं” को कांग्रेस ने न सिर्फ शर्मनाक कहा, बल्कि इसे भारत की बहादुर बेटियों का घोर अपमान करार दिया। इन दोनों बयानों ने एक साथ न केवल सेना की संस्था को बल्कि उसमें कार्यरत महिला अधिकारियों के आत्मसम्मान को भी कठघरे में खड़ा कर दिया है।
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गौ माता चौक से ‘केशव कुटी’ तक विरोध यात्रा
कार्यक्रम की शुरुआत राइट टाउन स्थित गौ माता चौक से हुई, जहां कांग्रेस कार्यकर्ता बड़ी संख्या में तिरंगे, बैनर और नारे-पत्रों के साथ इकट्ठा हुए। उपस्थित कांग्रेस नेताओं और कार्यकर्ताओं ने ‘सेना का अपमान नहीं सहेगा हिंदुस्तान’, ‘बेटी का सम्मान देश का अभिमान’, और ‘चुप है RSS, क्यों?’ जैसे नारों से विरोध की शुरुआत की। इसके बाद कार्यकर्ताओं का काफिला पैदल मार्च करता हुआ 'केशव कुटी' RSS के स्थानीय कार्यालय की ओर रवाना हुआ। मार्च शांतिपूर्ण किंतु दृढ़ स्वरूप में आयोजित किया गया, जिसमें महिला कार्यकर्ताओं की भी विशेष उपस्थिति रही। मार्च में शामिल लोगों के चेहरों पर आक्रोश और राष्ट्रहित की चिंता स्पष्ट झलक रही थी।
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RSS की चुप्पी पर उठाए सवाल
विरोध मार्च के समापन पर शहर कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष सौरभ नाटी शर्मा ने मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि यह अत्यंत चिंताजनक है कि जब सेना और उसकी महिला अधिकारी का सार्वजनिक रूप से अपमान किया जा रहा है, तब स्वयं को राष्ट्रवादी बताने वाले संगठन RSS ने एक शब्द तक नहीं कहा। उन्होंने कहा कि “RSS को यह स्पष्ट करना चाहिए कि क्या वह अब राष्ट्रवाद के नाम पर केवल सत्ता की रक्षा करेगा? या वह वास्तव में भारतीय सेना, उसकी परंपरा और उसके अनुशासन के साथ खड़ा है?” सौरभ शर्मा ने यह भी जोड़ा कि यह चुप्पी देश की जनता को गुमराह करने वाली है और इसे चुनौती देना ज़रूरी है।
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प्रार्थना पत्र में यह की गई मांग
‘केशव कुटी’ पहुंचने के बाद कांग्रेस प्रतिनिधिमंडल ने संघ के स्थानीय प्रमुख को एक विस्तृत प्रार्थना पत्र सौंपा। इस पत्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से यह मांग की गई कि जिन मंत्रियों ने सेना के सम्मान के विरुद्ध बयान दिए हैं, उन्हें न केवल तुरंत मंत्रिपद से बर्खास्त किया जाए, बल्कि उनके खिलाफ राष्ट्रद्रोह जैसी धाराओं में मुकदमा दर्ज कर सख्त कानूनी कार्यवाही की जाए। पत्र में यह भी उल्लेख किया गया कि यदि RSS वास्तव में राष्ट्रवादी संगठन है, तो उसे ऐसे मामलों में अपनी चुप्पी तोड़नी होगी और सरकार पर उचित कदम उठाने का दबाव बनाना होगा।
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सेना और सत्ता में दूरी जरूरी
यह पूरा घटनाक्रम एक महत्वपूर्ण बहस को जन्म देता है कि क्या लोकतंत्र में सेना जैसी संवेदनशील संस्था को सत्ता पक्ष के प्रचार औजार में तब्दील किया जा सकता है? कांग्रेस ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि सेना को हमेशा निष्पक्ष, निर्लिप्त और देशहित में कार्य करने वाली संस्था के रूप में देखा जाना चाहिए न कि किसी नेता या सरकार के प्रति समर्पित संस्था के रूप में। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अगर सरकारें सेना की गरिमा को अपने राजनीतिक लाभ के लिए इस्तेमाल करने लगेंगी, तो वह देश की लोकतांत्रिक नींव को कमजोर करने वाला खतरनाक संकेत होगा।