विवादों के साए में डेली कॉलेज, चुनाव नहीं कराना चाहते बोर्ड मेंबर्स, स्टे लाने की तैयारी

डेली कॉलेज के बोर्ड मेंबर्स चुनाव कराने से बच रहे हैं, जबकि 4,000 से ज्यादा सदस्य लोकतांत्रिक प्रक्रिया के हकदार हैं। रजिस्ट्रार ने सख्त नियम दिए, लेकिन बोर्ड उनका पालन नहीं कर रहा।

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Jitendra Shrivastava
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Photograph: (THESOOTR)

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डेली कॉलेज विवाद: देश के सबसे प्रतिष्ठित स्कूलों में गिना जाने वाला  मध्यप्रदेश के इंदौर का डेली कॉलेज ( Daily College Indore ) आरोपों और विवादों के दलदल में धंसता जा रहा है। यहां का बोर्ड खुलेआम मनमानी और आदेशों की अवमानना करता दिख रहा है।

आरोप हैं कि फैसले सिर्फ 9 लोगों का बोर्ड ले रहा है। 4 हजार से ज्यादा सदस्य हाशिए पर हैं। बोर्ड मेंबर्स चुनाव कराने के पक्ष में नहीं हैं। वे प्रभावशाली लोगों को अपने साथ लाकर स्टे लाने की तैयारी कर रहे हैं।

गौरतलब है कि ओल्ड डेलियन संदीप पारेख ने सितंबर 2024 में आवाज उठाई थी कि कॉलेज में सालाना आमसभा (AGM) तक नहीं होती। उनका आरोप था कि यह सोसायटी रजिस्ट्रेशन एक्ट का सीधा उल्लंघन है। शिकायत पर कार्रवाई नहीं होने पर मामला हाईकोर्ट पहुंचा।

29 नवंबर 2024 को हाईकोर्ट ने रजिस्ट्रार को छह हफ्ते में मामला निपटाने का आदेश दिया। कई बार सुनवाई टलने के बाद 2 अप्रैल 2025 को पारेख और उनके वकील ने पक्ष रखा। पिछले दिनों रजिस्ट्रार ने अंततः माना कि कॉलेज का बोर्ड मनमानी कर रहा है और नियम बदलने का आदेश दिया।

नए नियम: बड़ा झटका बोर्ड को

रजिस्ट्रार, फर्म्स और सोसायटीज इंदौर ने डेली कॉलेज सोसायटी को लोकतांत्रिक बनाने के लिए सख्त गाइडलाइन दी। 

  • सदस्यता: पूर्व छात्र, नए व पुराने दानदाता सभी सदस्य माने जाएंगे।
  • AGM अनिवार्य: हर साल बैठक, सूचना 15 दिन पहले, कोरम 3/5।
  • विशेष बैठक (EGM): 150 सदस्य मांग करें तो बुलाना होगा।
  • बजट-ऑडिट: सभी सदस्यों के बीच वेबसाइट और ईमेल से पब्लिक होगी।
  • नियम बदलना: विशेष बैठक में 2/3 बहुमत से गुप्त वोटिंग।
  • सुप्रीम बॉडी का दावा खत्म: अब बोर्ड खुद को सर्वोच्च नहीं कह सकेगा।

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आदेशों की खुली धज्जियां

आरोप है कि इतने कड़े आदेश के बावजूद बोर्ड ने हालिया बैठक में नियम बदलने का एजेंडा ही शामिल नहीं किया। न ही बोर्ड मेंबर इलेक्शन कराना चाहते हैं। सूत्रों के अनुसार, बोर्ड के सदस्य अब सरकार और आरएसएस की पृष्ठभूमि वाले प्रभावशाली लोगों से मिलकर अफसरों पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहे हैं, ताकि आदेश पलट सकें।
ओल्ड डेलियंस का कहना है कि बोर्ड समय पर चुनाव नहीं कराना चाहता। मकसद साफ है कि सिर्फ 9 लोगों की बंद दुनिया में फैसले लिए जाएं, चाहे वह छात्रों और स्कूल के हित में हों या नहीं। लंबे समय से चुनाव की मांग की जा रही है, लेकिन कुछ नहीं हो रहा है। इसी सिलसिले में अब वे मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव से मुलाकात करने का प्रयास कर रहे हैं। 

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दून स्कूल, मेयो कॉलेज और राजकुमार कॉलेज जैसे देश के बड़े स्कूलों में जनरल काउंसिल जैसी लोकतांत्रिक व्यवस्था है। वहां बोर्ड अकेले तानाशाही नहीं कर सकता, लेकिन डेली कॉलेज में बोर्ड अपनी मर्जी का संविधान थोपे बैठा है। नतीजा साफ है कि डेली कॉलेज की साख अब दांव पर है। सवाल यह है कि 4 हजार से ज्यादा सदस्यों की आवाज सुनी जाएगी या 9 लोगों की मनमानी ही हावी रहेगी?

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