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Photograph: (thesootr)
JABALPUR. जबलपुरn हाईकोर्ट ने प्रदेश के लाखों दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों के लिए एक बड़ा और राहतभरा फैसला सुनाया है। जस्टिस विवेक जैन की सिंगल बेंच ने स्पष्ट किया कि जो कर्मचारी नियमित होने से पहले मासिक भुगतान पर दैनिक वेतनभोगी के रूप में काम कर चुके हैं, उनकी सेवा को पेंशन के लिए मान्य किया जाएगा।
अदालत ने यह निर्देश दिया कि यह सेवा 15 साल की मासिक भुगतान वाली सेवा पूरी होने के ठीक बाद पेंशन योग्य सेवा में शामिल की जाएगी। इसका मतलब यह है कि कर्मचारियों की लंबे समय तक की मेहनत को अब नजरअंदाज नहीं किया जाएगा और उन्हें पेंशन में सही हक मिलेगा।
मासिक भुगतान पर काम करने वाले कर्मचारियों का दर्जा
हाईकोर्ट ने यह भी साफ किया कि भले ही कर्मचारियों को राज्य सरकार द्वारा दैनिक वेतनभोगी के रूप में नियुक्त किया गया हो, लेकिन अगर वे मासिक भुगतान पर काम कर रहे थे, तो उनकी सेवाओं को अस्थायी आकस्मिकता भुगतान वाली सेवा के रूप में मान्यता दी जाएगी।
यह सेवा केवल पेंशन योग्य सेवा के लिए गिनी जाएगी। अदालत ने कहा कि 15 साल की मासिक भुगतान वाली सेवा पूरी होने के बाद इसे स्थायी आकस्मिकता भुगतान वाले कर्मचारी के रूप में दर्ज किया जाएगा। इससे यह सुनिश्चित होगा कि कर्मचारियों को उनके वास्तविक कार्यकाल के लिए पेंशन का पूरा लाभ मिले।
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15 साल से अधिक की सेवा के नियम भी तय
हाईकोर्ट ने यह भी तय किया कि 15 साल से अधिक की सेवा केवल पेंशन की गणना के उद्देश्य से ही मान्य होगी। इसका अर्थ यह है कि इस सेवा को वेतन, भत्ते, ग्रेड पे या किसी अन्य लाभ के लिए स्थायी आकस्मिकता भुगतान वाली सेवा के रूप में नहीं माना जाएगा।
अदालत ने यह कदम इसलिए उठाया क्योंकि कुछ मामलों में भर्ती नियमों का पालन नहीं हुआ था। इस तरह से कोर्ट ने यह संतुलन बनाए रखा कि कर्मचारियों को पेंशन में लाभ मिले, लेकिन नियमों का उल्लंघन अन्य लाभों के लिए असर न डाले। यानी आम भाषा में यदि इसे समझे तो नियमितीकरण के पहले की सेवाओं का लाभ सिर्फ पेंशन के लिए मिलेगा अन्य भत्तों के लिए नहीं।
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संशोधन को चुनौती देने का अधिकार
अदालत ने यह भी कहा कि कर्मचारियों को 27 फरवरी 2023 के संशोधन की वैधता को चुनौती देने का अधिकार रहेगा। अगर भविष्य में किसी याचिका में कोर्ट यह संशोधन अल्ट्रा-वायर्स (अधिकार से बाहर) घोषित करती है, तो याचिकाकर्ता अपनी अस्थायी आकस्मिकता भुगतान वाली सेवा की गणना पेंशन के उद्देश्य से मांग सकते हैं। इस प्रावधान से कर्मचारियों को भविष्य में किसी भी प्रशासनिक या कानूनी बदलाव से अपने अधिकार खोने का डर नहीं रहेगा।
6 महीने के भीतर होगा आदेश का पालन
हाईकोर्ट ने मध्यप्रदेश सरकार को यह आदेश छह महीने के भीतर लागू करने का निर्देश दिया है। इसका मतलब यह है कि छह महीने के अंदर कर्मचारियों की नियमितीकरण से पहले की सेवाओं को पेंशन में शामिल कर दिया जाएगा।
अदालत ने समय-सीमा तय करने का उद्देश्य यह रखा कि सरकारी मशीनरी की धीमी प्रक्रिया से कर्मचारियों को राहत मिलने में देरी न हो। यह आदेश न केवल कर्मचारियों के अधिकारों को सुरक्षित करता है, बल्कि उन्हें वित्तीय स्थिरता भी सुनिश्चित करता है।
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मील का पत्थर साबित होगा आदेश
हाईकोर्ट का फैसला आने के बाद यह तय हो गया कि यह आदेश उन सभी कर्मचारियों के लिए मील का पत्थर साबित होगा जिन्होंने लंबे समय तक दैनिक वेतनभोगी के रूप में सेवा दी और बाद में नियमित हुए। अब उनकी मेहनत और वर्षों की सेवा को पेंशन में मान्यता मिलेगी, जिससे उनकी वित्तीय सुरक्षा मजबूत होगी।
अदालत के इस आदेश से यह स्पष्ट संदेश गया है कि कर्मचारियों की दी गई सेवा की पूरी कद्र की जाएगी और उन्हें उनके हक के अनुसार उसका लाभ भी दिया जाएगा।
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दैनिक वेतन कर्मियों को मिली बड़ी राहत
इस मामले की सुनवाई 21 अगस्त 2025 को पूरी हो चुकी थी और आदेश को "हार्ड एंड रिजर्व" रखा गया था। अब 27 सितंबर 2025 को इसे घोषित किया गया।
याचिकाकर्ताओं ने राज्य सरकार की 1990 और 2007 की नीतियों का हवाला देते हुए मांग की थी कि नियमितीकरण से पहले की उनकी सेवाओं को पेंशन में शामिल किया जाए। हाईकोर्ट ने इस मांग को स्वीकार कर लिया और कर्मचारियों को बड़ी राहत दी है।