दमोह में पैर धुलवाने का मामला : हाईकोर्ट ने मांगी रिपोर्ट- सोशल मीडिया और अखबारों को जारी होंगे नोटिस

दमोह में ओबीसी युवक से पैर धुलवाने की घटना पर हाईकोर्ट ने रजिस्ट्री से रिपोर्ट तलब की है। इसमें कहा गया कि सोशल मीडिया और अखबारों को नोटिस भेजे गए या नहीं। यदि नोटिस जारी नहीं हुए हैं, तो नए नोटिस भेजकर जवाब मांगा जाए।

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Neel Tiwari
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Photograph: (THESOOTR)

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JABALPUR. दमोह में पैर धुलवाने का मामला : दमोह जिले के सतरिया गांव में ओबीसी युवक से पैर धुलवाने की घटना सामने आई थी। इस अमानवीय घटना पर स्वतः संज्ञान से शुरू हुआ मामला अब एक नए मोड़ पर पहुंच गया है।

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की जस्टिस विवेक अग्रवाल और जस्टिस अवनिन्द्र कुमार सिंह की डिविजनल बेंच ने शुक्रवार को हुई सुनवाई में हाईकोर्ट रजिस्ट्री से यह स्पष्ट रिपोर्ट मांगी है। इसमें कहा गया है कि क्या सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स और समाचार पत्रों को विधिवत नोटिस जारी किए गए हैं।

जबलपुर हाईकोर्ट ने कहा कि यदि अब तक उन्हें नोटिस नहीं भेजे गए हैं, तो तुरंत नए नोटिस जारी कर उनसे जवाब मांगा जाए। अब इस मामले की अगली सुनवाई 17 नवंबर को होगी।

अदालत ने उठाए थे प्रशासनिक कार्रवाई पर सवाल

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दमोह के ग्राम सतरिया में एक ओबीसी युवक से पैर धुलवाकर पानी पिलाने की घटना सामने आने के बाद जस्टिस अतुल श्रीधरन ने इस पर स्वतः संज्ञान लेते हुए सख्त टिप्पणी की थी और प्रशासन को निर्देश दिए थे कि दोषियों के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (NSA) के तहत कार्रवाई की जाए।

हाईकोर्ट का आदेश अपलोड होने से पहले ही दमोह पुलिस ने NSA की कार्रवाई कर दी। इसके बाद जब यह मामला जस्टिस विवेक अग्रवाल की डिविजनल बेंच के समक्ष पहुंचा, तो अदालत ने पुलिस की इस जल्दबाजी पर नाराजगी जताई थी।

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कोर्ट ने बताया था इसे न्याय का उपहास

कोर्ट में वरिष्ठ अधिवक्ता नमन नागरथ ने तर्क दिया था कि 14 अक्टूबर को कोर्ट ने केवल प्रारंभिक स्तर पर स्वतः संज्ञान लिया था, और उसी दिन शाम को पुलिस ने मौखिक आदेशों के आधार पर एनएसए लागू कर दिया, जबकि आदेश की प्रमाणित प्रति या रिट पंजीयन प्रक्रिया पूरी भी नहीं हुई थी।

इस पर अदालत ने कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा कि “यह न्याय का उपहास है”, और पूछा कि आखिर प्रशासन को 14 अक्टूबर की शाम को ही NSA का प्रतिवेदन जारी करने की क्या जल्दबाजी थी।

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घटना पर कलेक्टर-एसपी से मांगी थी रिपोर्ट

अदालत ने दमोह कलेक्टर-एसपी से पूछा कि किन तथ्यों के आधार पर पांच लोगों पर इतनी कठोर कार्रवाई की गई, और सरपंच-सचिव के खिलाफ की गई कार्रवाई का कानूनी आधार क्या था।

साथ ही, कोर्ट ने उन सोशल मीडिया चैनलों ‘सत्य हिंदी-MP’, ‘पंजाब केसरी’ और ‘लल्लनटॉप’ को भी नोटिस जारी किए थे, जिनकी रिपोर्टों के आधार पर यह मामला सामने आया था। अदालत ने पूछा था कि उनकी प्रकाशित सामग्री कितनी सत्य और प्रमाणिक है। 17 अक्टूबर को हुई पिछली सुनवाई में ‘नवभारत टाइम्स’ को भी नोटिस जारी किया गया था।

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रिपोर्ट मिलने के बाद तय होगा अगला रुख

अब 31 अक्टूबर को हुई सुनवाई में अदालत ने स्पष्ट किया कि रजिस्ट्री कार्यालय यह रिपोर्ट प्रस्तुत करे कि किन-किन मीडिया संस्थानों को नोटिस भेजे गए हैं, और यदि किसी को नहीं भेजे गए, तो दो सप्ताह के भीतर नए नोटिस जारी किए जाएं।

हाईकोर्ट ने कहा कि अगली सुनवाई 17 नवंबर को होगी, जिसमें रिपोर्ट और मीडिया प्लेटफॉर्म्स के जवाबों के आधार पर आगे की कार्रवाई तय की जाएगी।

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