मध्य प्रदेश में आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ (EOW) द्वारा धान खरीदी समितियों की जांच में बड़ा खुलासा हुआ है। जांच के दौरान पाया गया कि धान खरीद, भंडारण और मिलिंग के दौरान अधिकारियों और समितियों की मिलीभगत से हेराफेरी की गई है। अब तक 38 समितियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जा चुकी है और 135 व्यक्तियों को आरोपित बनाया गया है। इस घोटाले में बालाघाट, सतना, सीधी, मैहर, डिंडौरी, सागर, पन्ना और सिवनी जिले शामिल हैं।
कागजों में हो रही खरीदी
जिन खरीद केंद्रों पर गड़बड़ी सामने आई है वहां कागजी प्रक्रिया में हेराफेरी कर धान की खरीद को कागजों पर दिखाकर गोदाम तक पहुंचया जा रहा है। प्रदेश में लगभग 150 करोड़ की हेराफेरी की अबतक सामने आई है।
परिवहन खर्च में भी चोरी की जा रही। धान को गोदामों तक ले जाने का परिवहन खर्च लिया गया, लेकिन असल में धान कहीं और भेज दिया गया। कुछ राइस मिल में गड़बड़ी भी सामने आई है। सिवनी जिले की शकुंतला देवी राइस मिल के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज किया गया है, जहां से अन्य राज्यों की बोरियों में चावल बरामद हुआ। यहां से 2 हजार 297 क्विंटल चावल हरियाणा, पंजाब, महाराष्ट्र,बिहार, उत्तर प्रदेश, तेलंगाना और ओडिशा की बोरियों में मिला।
पहले भी हुआ था ऐसा घोटाला
यह पहली बार नहीं है जब धान और चावल घोटाला सामने आया हो। चार साल पहले भी 22 जिलों के गोदामों में 73,540 टन पोल्ट्री ग्रेड का चावल पाया गया था, जो प्रवासी मजदूरों और गरीबों को बांटने के लिए रखा गया था।प्रधानमंत्री कार्यालय ने भी इस अनियमितता पर नाराजगी जताई थी। इतना बड़ा घोटाला सरकारी गोदामों के कर्मचारियों, मिलर्स और अधिकारियों की मिलीभगत के बिना संभव नहीं हो सकता था।
समिति करेगी मामले की जांच
खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण मंत्री गोविंद सिंह राजपूत ने इस मामले की विस्तृत जांच के आदेश दिए हैं। इसके लिए कलेक्टर द्वारा नामांकित अपर, संयुक्त या डिप्टी कलेक्टर की अध्यक्षता में समिति बनाई जाएगी। इसमें जिला आपूर्ति नियंत्रक या खाद्य अधिकारी संयोजक होंगे। वहीं जिला सहकारी बैंक, वेयरहाउसिंग और लॉजिस्टिक्स कार्पोरेशन के अधिकारी भी समिति में होंगे।
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जांच के प्रमुख बिंदु ये होंगे
- धान उपार्जन, परिवहन और भंडारण की मात्रा की जांच।
- मिलर्स को किए गए भुगतान का सत्यापन।
- टोल नाकों और परिवहन रिकॉर्ड का विश्लेषण।
- धान उठाव और जमा मात्रा की विस्तृत जांच।
- धान परिवहन में ट्रैकिंग अनिवार्य।
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