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Indore. पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह के इंदौर सीतलामाता बाजार को लेकर किए गए आंदोलन को लेकर कांग्रेस में ही बवाल मच गया है। इस पूरे मामले में 'द सूत्र' ने ही एक्सक्लूसिव बताया था कि किस तरह से राजा को निपटाने के लिए वजीरों द्वारा खेल किया गया। अब इस मामले में शहराध्यक्ष चिंटू चौकसे ने रविवार को गांधी भवन में हुई जिला स्तरीय समन्वय समिति की बैठक में जो बोला उसने होश उड़ा दिए हैं।
चौकसे ने माइक लेकर यह सब बोला
गांधी भवन में हुई समन्वय समिति की बैठक में चौकसे ने माइक संभाला और जो बोलना शुरू किया उसने होश उड़ा दिए। चिंटू बोले- शहर में भोपाल से और बाहर से नेता आते हैं और वह बिना कोई सूचना के अपने स्तर पर आयोजन रख लेते हैं। ऐसा अब नहीं चलेगा। चाहे वह पूर्व मुख्यमंत्री हो या कोई अन्य नेता हो। यह सभी अनुशासनहीनता में आता है। शहर में किस तरह के हालात है और कैसे आयोजन करना है, यह हमे बेहतर पता होता है। इसलिए कोई भी आयोजन शहराध्यक्ष की बिना मंजूरी के नहीं होना चाहिए। इसे आगे कोई मंजूरी नहीं दी जाएगी।
बैठक में दिग्गी समर्थक चुप रहे
आश्चर्यजनक रूप से इस बैठक में दिग्विजय सिंह के समर्थक नेता एकदम चुप्पी साधे रहे। चाहे वह एकदम उनके नजदीकी रघु परमार हो या फिर जिलाध्यक्ष विपिन वानखेड़े व अन्य नेता। किसी ने भी इस विवाद में पड़ने से कदम पीछे खींच लिए। उधर पूर्व मंत्री सज्जन सिंह वर्मा भी बैठक में थे, लेकिन उन्होंने भी चिंटू की बात का समर्थन किया।
इसके पहले पटवारी और वर्मा ने यह मुदा उठाया था
दिग्विजय सिंह ने सीतलामाता बाजार में विधायक पुत्र एकलव्य गौड़ के फरमान के बाद मुस्लिम कारीगरों को हटाने को लेकर आवाज उठाई थी। इसमें सराफा थाने जाकर कार्रवाई की मांग की थी। उन्हें पुलिस ने बाजार में और सीतला माता मंदिर में दर्शन करने के लिए नहीं जाने दिया था। वहीं भीड़ ने चूड़ियां भी फेंकी थी। इसके पहले शुक्रवार शाम को प्रदेशाध्यक्ष जीतू पटवारी और सज्जन सिंह वर्मा ने आननफानन में कार्यक्रम बनाकर संभागायुक्त सुदाम खाड़े के पास जाकर एकलव्य पर कार्रवाई की मांग की थी।
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कोई भी नेता दिग्विजय सिंह के साथ नहीं गया
चौकसे द्वारा यह बताया जा रहा है कि उन्हें इस कार्यक्रम की कोई जानकारी नहीं दी गई थी। लेकिन दिग्वजिय सिंह के कार्यालय से औपचारिक तौर पर इसकी जानकारी गई थी और फोन भी गए थे। उन्हें वाट्अप पर कार्यक्रम भी भेजा गया था। इसके दस्तावेज 'द सूत्र' के पास है। लेकिन इस पूरे आयोजन को फेल करने के लिए शहर के नेताओं ने सभी को फोन किए और दिग्विजय सिंह, केके मिश्रा के साथ सीतलामाता बाजार आंदोलन में जाने से रोक दिया गया। इसके चलते चौकसे व अन्य नेता नहीं गए। हालांकि जिलाध्यक्ष विपिन वानखेड़े दोपहर बाद में सराफा थाने पर पहुंचे थे।