डिंडौरी में वाटर शेड योजना के 2 करोड़ के खर्च पर विवाद, जनपद प्रशासन सख्त

डिंडौरी में वाटर शेड योजना के तहत मिले 2 करोड़ रुपए के खर्च को लेकर जनपद और आजीविका परियोजना अधिकारियों के बीच विवाद खड़ा हो गया है। अधूरी जानकारी देने पर जनपद सीईओ ने आजीविका परियोजना अधिकारी को अंतिम चेतावनी पत्र जारी किया।

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डिंडौरी में वाटर शेड योजना के तहत मिले 2 करोड़ रुपए के खर्च को लेकर जनपद और आजीविका परियोजना अधिकारियों के बीच विवाद गहराता जा रहा है। जनपद सीईओ निखिलेश कटारे ने योजना के तहत हुए खर्च पर अधूरी जानकारी प्रस्तुत करने पर आजीविका परियोजना अधिकारी टीके दास को अंतिम चेतावनी पत्र जारी किया है। अधिकारियों के मुताबिक, इस राशि का उपयोग महिला स्व सहायता समूहों और सीएलएफ (क्लस्टर लेवल फेडरेशन) के माध्यम से विभिन्न आजीविका गतिविधियों में किया गया था।

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अधूरी जानकारी पर जनपद प्रशासन ने लिया सख्त रुख

जनपद सीईओ निखिलेश कटारे ने बताया कि वर्ष 2024-25 में वाटर शेड योजना की 15 प्रतिशत राशि आजीविका परियोजना को आवंटित की गई थी। इस राशि को विभिन्न समूहों और आजीविका परियोजनाओं में खर्च किया जाना था। लेकिन परियोजना अधिकारियों द्वारा प्रस्तुत की गई जानकारी अधूरी और अस्पष्ट पाई गई। इस पर सीईओ ने सख्त रुख अपनाते हुए अंतिम चेतावनी पत्र जारी किया।  

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पत्र मिलने के बाद रिपोर्ट प्रस्तुत  

आजीविका परियोजना अधिकारी टीके दास ने बताया कि पत्र मिलने के बाद उन्होंने तुरंत योजना के अंतर्गत खर्च का पूरा ब्योरा प्रस्तुत कर दिया है। उन्होंने जानकारी दी कि शाहपुर, बटोधा, विक्रमपुर और डिंडौरी में महिला स्व सहायता समूहों के माध्यम से कई आजीविका परियोजनाएं शुरू की गई हैं। इनमें ग्रीन हाउस, आजीविका एक्सप्रेस वाहन, दूध डेयरी, टेंट हाउस, सुअर पालन और दीदी कैफे जैसी योजनाएं शामिल हैं।  

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अधूरी परियोजनाएं बनीं विवाद का कारण

हालांकि, कई महत्वपूर्ण योजनाएं अभी भी अपूर्ण स्थिति में हैं, जिनमें वनोपज प्रसंस्करण, आचार यूनिट, लांड्री एवं ड्राई क्लिनिंग, ग्रीन हाउस मलचिंग और ड्रिप सिंचाई जैसी परियोजनाएं प्रमुख हैं। जनपद प्रशासन इन अधूरी परियोजनाओं को लेकर परियोजना अधिकारियों से स्पष्ट विवरण मांग रहा है। अधिकारियों का कहना है कि पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए इन परियोजनाओं की स्थिति का सही आकलन जरूरी है।  

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परियोजनाओं में सुधार के लिए कदम

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प्रशासन ने इन अधूरी योजनाओं को प्राथमिकता से पूरा करने के निर्देश दिए हैं। इसके लिए समय-सीमा तय करने और नियमित निरीक्षण करने की योजना बनाई जा रही है। जनपद सीईओ ने सभी संबंधित विभागों को समन्वय बनाकर कार्य करने का निर्देश दिया है ताकि योजनाओं का सही क्रियान्वयन हो सके और विकास कार्यों में पारदर्शिता बनी रहे।  

महिला स्व सहायता समूहों को मिला सहयोग

इस योजना का मुख्य उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाना है। स्व सहायता समूहों को विभिन्न आजीविका गतिविधियों में प्रशिक्षित कर उनके लिए रोजगार के अवसर प्रदान किए जा रहे हैं। प्रशासन का मानना है कि यदि इन योजनाओं का सही तरीके से क्रियान्वयन होता है, तो ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी।  

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FAQ

वाटर शेड योजना के तहत विवाद क्यों हुआ?
विवाद अधूरी जानकारी प्रस्तुत करने को लेकर हुआ। आजीविका परियोजना अधिकारियों ने योजना के खर्च का पूरा विवरण नहीं दिया था।
प्रशासन ने क्या कदम उठाए हैं?
जनपद सीईओ ने परियोजना अधिकारियों को अंतिम चेतावनी पत्र जारी किया और अधूरी योजनाओं का पूरा विवरण प्रस्तुत करने को कहा।
आजीविका परियोजना के तहत कौन-कौन सी गतिविधियां शामिल हैं?
परियोजना के तहत ग्रीन हाउस, आजीविका एक्सप्रेस, दूध डेयरी, टेंट हाउस, सुअर पालन और दीदी कैफे जैसी गतिविधियां शुरू की गई हैं।
अधूरी योजनाओं में कौन-कौन सी परियोजनाएं शामिल हैं?
अधूरी योजनाओं में वनोपज प्रसंस्करण, आचार यूनिट, लांड्री एवं ड्राई क्लिनिंग, ग्रीन हाउस मलचिंग और ड्रिप सिंचाई प्रमुख हैं।
प्रशासन का इस विवाद पर क्या रुख है?
प्रशासन ने पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए योजनाओं का सही विवरण और स्थिति की जानकारी मांगी है।

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