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Photograph: (THESOOTR)
BHOPAL. मध्यप्रदेश में कफ सिरफ से मौत की दुर्भाग्यपूर्ण घटना के बाद मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने तमिलनाडु सरकार पर गंभीर आरोप लगाए। कफ सिरप से पीड़ित बच्चों को देखने मुख्यमंत्री मोहन यादव नागपुर पहुंचे थे। इस दौरान उन्होंने सवाल किया कि वह कौन लोग थे जिन्होंने इस कंपनी को बिना उचित जांच के ड्रग लाइसेंस दिया और क्यों बिना किसी मूल्यांकन के ड्रग लाइसेंस रिन्युअल किया गया। मोहन यादव ने यह भी कहा कि कांग्रेस के नेताओं को इस मामले को लेकर तमिलनाडु सरकार के खिलाफ आवाज उठानी चाहिए।
बच्चों की मौत का कारण DEG
इस घटना का प्रमुख कारण कोल्ड्रिफ कफ सीरप ( Coldrif Cough Syrup) में डायएथिलीन ग्लाइकॉल और एथिलीन ग्लाइकॉल (डीईजी और ईजी ) की मौजूदगी थी। सीएम मोहन यादव ने बताया कि यह पहली बार नहीं था जब बच्चों की मौत डीईजी के कारण हुई हो। 1972 में तमिलनाडु में बच्चों की मौत का पहला मामला सामने आया था, और पिछले कई वर्षों में यह समस्या कई बार उठ चुकी है। 2019-20 में जम्मू कश्मीर में भी इसी तरह की घटनाएं सामने आई थीं।
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सीएम ने किया अस्पतालों का दौरा
दरअसल, पीड़ित बच्चे नागपुर के विभिन्न अस्पतालों में इलाज करा रहे हैं। मुख्यमंत्री ने इन सभी अस्पतालों में जाकर बच्चों के परिजनों से मुलाकात की। उन्होंने वहां भर्ती बच्चों के परिजनों से बातचीत करते हुए सभी बच्चों की शीघ्र स्वस्थ होने की कामना की। इसके साथ ही उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि मध्यप्रदेश सरकार इस मुश्किल समय में उनके साथ है। सीएम ने प्रशासनिक अधिकारियों को निर्देश दिए कि बच्चों के उपचार में कोई कमी न हो और उन्हें हर संभव चिकित्सा सुविधा तत्काल उपलब्ध कराई जाए।
दोषियों के खिलाफ कार्रवाई और जांच
मध्य प्रदेश पुलिस ने निर्माता कंपनी के मालिक को गिरफ्तार कर लिया है, लेकिन मोहन यादव ने आरोप लगाया कि तमिलनाडु सरकार ने पूरी तरह से सहयोग नहीं किया। उन्होंने कहा कि तमिलनाडु के ड्रग कंट्रोलर को श्रीसन फार्मास्युटिकल के खिलाफ तत्काल कार्रवाई करनी चाहिए थी। उन्होंने यह भी बताया कि इस मामले में तमिलनाडु सरकार की तरफ से कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।
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डॉक्टरों का काली पट्टी बांधकर विरोध
कोल्ड्रिफ से बच्चों की मौत के मामले में छिंदवाड़ा में बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. प्रवीण सोनी की गिरफ्तारी के विरोध में भोपाल में डॉक्टरों ने काली पट्टी बांधकर विरोध प्रदर्शन किया। प्रदेश मेडिकल टीचर्स एसोसिएशन ने इसे सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का उल्लंघन बताया। डॉक्टरों का कहना था कि दवा की गुणवत्ता की जिम्मेदारी चिकित्सक की नहीं, बल्कि निर्माता और नियामक संस्थाओं की होती है।
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तमिलनाडु सरकार की कार्रवाई में देरी
तमिलनाडु सरकार ने गुरुवार को श्रीसन फार्मास्युटिकल का लाइसेंस अस्थायी रूप से निलंबित कर दिया। स्वास्थ्य मंत्री एमए सुब्रमण्यम ने कहा कि विस्तृत जांच के बाद कंपनी का लाइसेंस स्थायी रूप से रद्द कर दिया जाएगा। यह कदम आवश्यक था, क्योंकि कंपनी के खिलाफ पहले भी शिकायतें आ चुकी थीं। हालांकि, तमिलनाडु सरकार की ओर से यह कदम बहुत देरी से उठाया गया।
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भारत के ड्रग लाइसेंस से जुड़ी समस्याएं
भारत में दवा लाइसेंस रिन्यूअल प्रक्रिया में कई बार त्रुटियाँ सामने आई हैं। यह मामला बताता है कि किस तरह दवा निर्माता कंपनियों को बिना पर्याप्त जांच के लाइसेंस प्रदान किए जाते हैं, जिससे उपभोक्ताओं के लिए खतरनाक परिस्थितियाँ उत्पन्न होती हैं। सरकारी संस्थाओं और नियामक निकायों को इस तरह के मामलों की गंभीरता को समझकर कार्रवाई करनी चाहिए ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं से बचा जा सके।