केके अरोरा अपनी पत्नी के साथ मैच देखते हुए। लाल घेरे में सौरभ शर्मा Photograph: (thesootr)
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पिछले महीने चर्चा में आए सौरभ शर्मा के मामले में आज सुबह-सुबह फिर एक बार ED सक्रिय हो गई। ED ने सौरव शर्मा से जुड़े लोगों के यहां ग्वालियर और भोपाल में छापामार कर्रवाई को अंजाम दिया है। जानकारी के अनुसार ईडी कई जगहों पर पहुंची है। बड़ी बात यह है कि जिस जगह पर 52 किलो सोने से भरी हुई गाड़ी मिली थी उस जगह के मालिक के घर भी ईडी ने दबिश दी है। उम्मीद है जल्द ही सारे तार जुड़ जाएंगे। ED ने किन- किन जगहों पर छापा मारा है, यह साफ नहीं हो सका है। हालांकि ग्वालियर के मुरार में छापे की पुष्टि हो चुकी है।
ग्वालियर में इस बंगले में रहता है केके अरोरा
विनय हासवानी ही कार फार्म हाउस ले गया था
सूत्रों के मुताबिक, विनय हासवानी ही 19 दिसंबर 2024 को इनोवा कार को चार से पांच गाड़ियों के काफिले में दो बार मेंडोरी ले गया था। इसके बाद उसके लोग इस कार को लगातार वॉच कर रहे थे। जिस जगह पर गाड़ी जब्त की गई, वहां सिर्फ 3 फॉर्म हाउस हैं। उससे आगे जाने का कोई रास्ता भी नहीं है।
ग्वालियर के मुरार में मारा छापा
द सूत्र को मिली जानकारी के अनुसार ईडी ने ग्वालियर के मुरार में स्थित सीपी कॉलोनी में केके अरोरा के घर पर रेड की है। बताया जा रहा है कि पिछले महीने भोपाल में 52 किलो सोने से भरी हुई जो गाड़ी मिली थी, वह जगह कमलेश अरोरा वाइफ ऑफ केके अरोरा के नाम पर दर्ज है। केके अरोरा रिटायर रजिस्टार हैं और वर्तमान में हाई कोर्ट में वकालत कर रहे हैं।
परिवहन विभाग के पूर्व आरक्षक Saurabh Sharma के खिलाफ लोकायुक्त ने 19 दिसंबर, गुरुवार को अरेरा कॉलोनी स्थित उसके घर पर छापा मारा था। इस रेड में सौरभ के घर से 1.15 करोड़ रुपए कैश मिले थे। वहीं, आधा किलो से ज्यादा सोना मिला, जो 50 लाख रुपए से ज्यादा का है। इसके अलावा प्रॉपर्टी के कई अहम दस्तावेज भी मिले हैं। इसी के साथ उसके साथी चेतन सिंह गौर के ठिकाने से 1 करोड़ 70 लाख रुपए मिले हैं। दोनों के घर से मिले सामान और गाड़ियों की कीमत 2 करोड़ रुपए आंकी गई है।
बता दें कि सिर्फ सात साल की मामूली नौकरी में ही सौरभ शर्मा ने करोड़ों का साम्राज्य खड़ा कर लिया। उसने अनुकंपा नियुक्ति से नौकरी पाई और फिर चंद सालों में सिस्टम को अपने फायदे के लिए इस्तेमाल करते हुए रसूखदार बिल्डरों और नेताओं के साथ सांठगांठ कर ली। एक साल पहले उसने वीआरएस लेकर खुद को बचाने की कोशिश की, लेकिन उसका खेल यहीं खत्म नहीं हुआ। सौरभ ने भोपाल के शाहपुरा इलाके में एक बड़े स्कूल की फ्रेंचाइजी, एक होटल और अवैध प्रॉपर्टी डीलिंग में निवेश किया। वह अभी जहां रहता है, उस मकान को अपने साले का बताता है। हालांकि लोकायुक्त टीम सभी पहलुओं की जांच कर रही है।
Thesootr को मिले दस्तावेजों से साफ है कि सौरभ शर्मा ने फर्जी दस्तावेजों से नौकरी पाई थी। ग्वालियर के एडवोकेट अवधेश सिंह तोमर के अनुसार Saurabh Sharma के पिता स्वास्थ्य विभाग में कार्यरत थे और उसका भाई रायपुर में डिप्टी कमिश्नर फाइनेंस के पद पर पोस्टेड है। ऐसे में सौरभ शर्मा किसी भी स्थिति में नौकरी की पात्रता नहीं रखता था। बावजूद इसके उसने फर्जी दस्तावेजों के सहारे RTO में नौकरी पाई। एडवोकेट अवधेश सिंह तोमर ने इस मामले में RTI भी लगाई है, मगर अब तक उन्हें विभाग ने कोई जानकारी उपलब्ध नहीं करवाई है।