ED का शिकंजा : भोपाल जेल के पूर्व DIG की 4.68 करोड़ की संपत्ति जब्त

भोपाल जेल के पूर्व डीआईजी दिवंगत उमेश कुमार गांधी के खिलाफ ईडी की बड़ी कार्रवाई। मनी लॉन्ड्रिंग मामले में 4.68 करोड़ रुपये की संपत्ति अटैच की गई। जानिए पूरी खबर... 

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Jitendra Shrivastava
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4.68 crore property attached Photograph: (thesootr)

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BHOPAL. प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने भोपाल जेल के पूर्व डीआईजी दिवंगत उमेश कुमार गांधी के खिलाफ बड़ी कार्रवाई करते हुए 4.68 करोड़ रुपए की संपत्ति अटैच की है। शनिवार को ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) के तहत अस्थायी आदेश जारी किया। यह संपत्तियां गांधी, उनके परिवार और सहयोगियों के नाम पर दर्ज हैं।  

कहां-कहां अटैच की गईं संपत्तियां?

अटैच की गई संपत्तियों में 20 अचल संपत्तियां शामिल हैं, जो मध्य प्रदेश के सागर, कटनी, सीहोर, भोपाल और इंदौर जिलों में स्थित हैं। इसके साथ ही बैंक जमा, आभूषण, बीमा पॉलिसियां, म्यूचुअल फंड्स और किसान विकास पत्र जैसी अन्य चल संपत्तियां भी जब्त की गई हैं।  

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लोकायुक्त जांच में सामने आए थे चौंकाने वाले तथ्य

यह मामला मध्य प्रदेश लोकायुक्त (विशेष पुलिस स्थापना) द्वारा दर्ज की गई प्राथमिकी और चार्जशीट से जुड़ा है। लोकायुक्त की जांच में पाया गया था कि उमेश कुमार गांधी ने 5.13 करोड़ रुपये की आय से अधिक संपत्ति जुटाई थी। इस जांच में उनकी पत्नी अर्चना गांधी और सीहोर जेल के पूर्व गार्ड अजय कुमार गांधी का भी नाम शामिल है।  

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क्या है मनी लॉन्ड्रिंग का पूरा मामला?

गांधी और उनके सहयोगियों पर आरोप है कि उन्होंने भ्रष्टाचार के जरिए अवैध तरीके से संपत्ति जुटाई और इसे सफेद धन में बदलने के लिए विभिन्न माध्यमों का इस्तेमाल किया। इन संपत्तियों में भूमि, बैंक डिपॉजिट, और अन्य वित्तीय निवेश शामिल हैं। ईडी की इस कार्रवाई से सरकारी अधिकारियों के बीच भ्रष्टाचार के मामलों पर लगाम कसने का संदेश दिया गया है।  

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12 साल पहले लोकायुक्त ने मारा था छापा

12 साल पहले लोकायुक्त पुलिस ने भोपाल जेल के तत्कालीन डीआईजी उमेश कुमार गांधी के घर छापा मारा था। उस समय उनके पास करीब 25 करोड़ रुपए की संपत्ति मिली थी। लोकायुक्त ने उनके दो भाइयों, अजय गांधी (सीहोर) और रामगोपाल गांधी (सागर) के घरों पर भी छापेमारी की थी। अजय गांधी के घर से लगभग 8 लाख की एफडी, 35 हजार रुपए नकद और लगभग 10 तोला सोने के आभूषण जब्त किए गए थे।

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5 साल बाद पदोन्नति बने केंद्रीय जेल अधीक्षक बने

उमेश गांधी का 1987 में जिला जेल अधीक्षक के रूप में चयन हुआ था। 5 साल बाद पदोन्नति के बाद गांधी केंद्रीय जेल अधीक्षक बने। इस दौरान उन्होंने कई जिलों में रहे। दो साल पहले उन्हें डीआईजी जेल के पद पर नियुक्त किया गया था। उनका अंतिम वेतन लगभग 70,000 रुपए प्रति माह था। हालांकि, उनके खिलाफ मामला अभी चल रहा था कि उनकी मृत्यु हो गई।

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