EWS आरक्षण मामले में सुप्रीम कोर्ट ऑर्डर के बाद भी क्या हाई कोर्ट में होगी सुनवाई

जबलपुर हाईकोर्ट में EWS आरक्षण मामले पर सुनवाई हुई। यह मामला दो महीने पहले जारी कोर्ट के आदेश से संबंधित है, जिसमें सरकार को सुप्रीम कोर्ट द्वारा पांच जजों की खंडपीठ के निर्णय को पुनः विश्लेषण कर जवाब देने के लिए कहा गया था।

Advertisment
author-image
Neel Tiwari
New Update
ews reservation jabalpur high court hearing madhya pradesh
Listen to this article
0.75x 1x 1.5x
00:00 / 00:00

जबलपुर हाईकोर्ट में EWS आरक्षण मामलों से संबंधित 5 याचिकाओं पर सुनवाई की गई। जिसमें 2 महीने पूर्व में जारी कोर्ट के आदेश के अनुसार मध्य प्रदेश सरकार को जवाब पेश करना था। जिसमें सरकार के द्वारा सुप्रीम कोर्ट में पांच जजों की खंडपीठ के द्वारा आरक्षण मामले में दिए गए आदेश को पुनः विश्लेषण कर जवाब दिए जाने के लिए कोर्ट से समय मांगा है।

ईडब्ल्यूएस आरक्षण का मामला

जबलपुर हाईकोर्ट में यूनियन फॉर डेमोक्रेसी एंड सोशल जस्टिस नाम की संस्था की और से ईडब्ल्यूएस आरक्षण (आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए आरक्षण) मामले याचिका दायर की गई थी, जिसमें याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया था कि 2 जुलाई 2019 को जारी मध्य प्रदेश सरकार की ईडब्ल्यूएस नीति संविधान के अनुच्छेद 15(6) और 16 (6) के प्रावधानों के खिलाफ है, साथ ही याचिका में कहा गया है कि संविधान के अनुच्छेद 15(6) और 16(6) के तहत ईडब्ल्यूएस प्रमाणपत्र ईच कैटिगरी (सभी वर्गों) के गरीबों को दिया जाना चाहिए लेकिन सरकार ने  इसमें एससी ,एसटी और ओबीसी वर्ग को शामिल नहीं किया है।

जिला बदर करना पड़ा भारी, HC ने कलेक्टर पर लगाया 50 हजार का जुर्माना, जानें पूरा मामला

हाई कोर्ट ने सरकार से मांगा जवाब

ईडब्ल्यूएस आरक्षण मामले में पूर्व में हुई सुनवाई के दौरान कोर्ट के द्वारा सरकार से इस बात पर जवाब मांगा गया था कि गरीब तो सभी वर्गों में होते हैं, लेकिन फिर भी एससी, एसटी और ओबीसी कैटेगरी के व्यक्तियों को ईडब्ल्यूएस प्रमाण पत्र क्यों नहीं दे रहे हैं।  जिसके लिए सरकार ने जवाब देने के लिए समय की मांग की थी जिस पर कोर्ट के द्वारा 30 दिनों के अंदर जवाब पेश करने का आदेश दिया गया था।

ईडब्ल्यूएस आरक्षण को किया जा रहा वर्टिकल

इस मामले में सुनवाई के दौरान अधिवक्ता रामेश्वर ठाकुर ने बताया कि जो संविधान में संशोधन हुआ है उसके अनुसार 10% आरक्षण होरिजेंटल होना चाहिए जिसके आधार पर हर वर्ग के गरीब तबके को 10% आरक्षण मिलेगा लेकिन मध्य प्रदेश में इसका इंप्लीमेंटेशन वर्टिकल किया जा रहा है और पूरी भर्तियों में 10% आरक्षण ईडब्ल्यूएस कैटेगरी में दिया जा रहा है। जिस पर हाई कोर्ट ने सरकार से पूछा है कि क्या सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने जनहित अभियान बनाम भारत संघ के मामले में जो फैसला सुनाया है उसमें इस मुद्दे पर भी विचार किया गया है या नहीं जिस पर बताया गया कि इस आरक्षण को लागू करने पर सुप्रीम कोर्ट के द्वारा ना ही विचार किया गया है और ना ही इस पर कोई निर्णय दिया गया है। इसमें प्रश्न तो बना है लेकिन उसका जवाब प्रॉपर आर्टिकल के अनुसार नहीं दिया गया है।

सात साल से एमपी में स्थायी परमिट बंद, बारात–टूरिस्ट परमिट पर दौड़ रही बसें

फैसले को मानने के लिए बाध्य नहीं कोर्ट

अधिवक्ता रामेश्वर ठाकुर ने बताया कि हाई कोर्ट ने यह भी पूछा है कि सुप्रीम कोर्ट के द्वारा दिए गए फैसले के बाद क्या हाई कोर्ट इस में कोई फैसला सुना सकती है। जिस पर हाईकोर्ट के सामने यह भी तथ्य लाया गया कि सुप्रीम कोर्ट के द्वारा दिया गया फैसला  per incuriam है। आपको बता दें कि per incuriam ऑर्डर वह फैसला होता है जो संविधान और समुचित नियमों को ध्यान में रखे बिना दिया गया हो और इस तरह के फैसले को मानने के लिए अन्य कोर्ट बाध्य ही नहीं होती। तो यदि सुप्रीम कोर्ट के संज्ञान में इस मुद्दे को लिए बिना यह फैसला दिया गया है तो यह मान्य नहीं होगा। जिस पर कोर्ट को बताया गया कि वह इस मामले में निर्णय ले सकती है इसमें सुप्रीम कोर्ट के कई जजमेंट मौजूद है।

शिफा-अजेंद्र की शादी को लेकर परिवार ने दी धमकी, हाईकोर्ट ने दिया सुरक्षा का आदेश

शासन ने जवाब पेश करने के लिए मांगा समय

ईडब्ल्यूएस आरक्षण मामले में हुई सुनवाई के दौरान कोर्ट के द्वारा शासन से इस मामले में जवाब मांगा गया जिस पर हाईकोर्ट के सवालों का जवाब देने के लिए सरकार ने एक हफ्ते का वक्त मांगा है। जिसके बाद विश्लेषण करके शासकीय अधिवक्ता कोर्ट को बताएंगे कि इस बिंदु को सुप्रीम कोर्ट के फैसले में संज्ञान में लिया गया है या नहीं। इसके बाद कोर्ट के द्वारा शासन को दो हफ्तों का समय दिया गया जिसके बाद वह इस मामले में जवाब देंगे कि एससी, एसटी और ओबीसी कैटिगरी के लोगों को प्रमाण पत्र जारी क्यों नहीं किए गए साथ ही इस मुद्दे को सुप्रीम कोर्ट ने कंसीडर किया है या नहीं।

नर्सिंग काउंसिल दफ्तर से गायब सीसीटीवी फ़ुटेज, सायबर सेल को सौंपी जांच