नौकरी दिलाने के नाम पर फर्जी डिप्टी कलेक्टर ने ठगे 1 लाख

एमआईजी पुलिस के मुताबिक डिप्टी कलेक्टर बनकर महाराष्ट्र के ठग ने इंदौर के एक युवक से 1 लाख से अधिक रुपए ठग लिए। इस मामले में एमआईजी पुलिस ने अरोपी को पकड़ लिया है।

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Vishwanath Singh
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इंदौर की एमआईजी पुलिस ने फर्जी डिप्टी कलेक्टर को पकड़ा है। आरोप है कि उसने बीबीए के छात्रों से नौकरी दिलाने के नाम पर एक लाख रुपए ठग लिए थे। वह रौब दिखाने के लिए लाल बत्ती की गाड़ी से आता–जाता था। छात्रों से रुपए ऐंठने के बाद वह कई दिनों तक टालमटोल करता रहा। इसके बाद पुलिस ने उसे धरदबोचा। बताया जा रहा है कि वह ट्रांसजेंडर बनना चाहता था। इसके लिए उसे पैसे की जरूरत थी। इसके लिए उसने फर्जी डिप्टी कलेक्टर बनने का ख्याल आया और फिर वह फर्जी डिप्टी कलेक्टर बनकर लोगों से रुपए ठगने लगा।

नौकरी लगवाने का झांसा देता था

एमआईजी पुलिस के मुताबिक डिप्टी कलेक्टर बनकर महाराष्ट्र के ठग ने इंदौर के एक युवक से 1 लाख से अधिक रुपए ठग लिए। इस मामले में एमआईजी पुलिस ने अरोपी को पकड़ लिया है। आरोपी संकेत चव्हाण ने मंदिर में मिले बीबीए स्टूडेंट सारांश मिश्रा को स्टेनोग्राफर की नौकरी दिलाने के नाम पर रुपए लिए और फिर कई दिनों तक टालमटोल करता रहा। 

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ऐसे रौब झाड़ृता था

 

धोखाधड़ी में किया केस दर्ज

मामला दो दिन पहले सामने आया था। सोमवार को पुलिस ने आरोपी को पकड़कर पूछताछ की। टीआई सीबी सिंह ने बताया कि सारांश मिश्रा की शिकायत पर संकेत चव्हाण निवासी स्मार्ट लिंविग पुष्प विहार कॉलोनी खजराना के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया है। 

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भोपाल के राजस्व विभाग में बताया था खुद को

सारांश ने पुलिस को बताया कि आरोपी संकेत से उसकी पहचान जनवरी 2025 में महालक्ष्मी मंदिर में हुई थी। संकेत लालबत्ती कार से मंदिर आया था। बातचीत में उसने खुद को भोपाल में राजस्व डिपार्टमेंट में अपर कलेक्टर के पद पर पदस्थ होने की बात कही थी। सारांश ने कहा जब संकेत से मैंने सरकारी जॉब लगवाने का पूछा तो उसने 30 हजार रुपए में काम होने की बात कही। बाद में वह 70 हजार रूपए मांगने लगा। इसके बाद उसने 3 लाख रुपए तक मांगे।

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पिता के साथ पहुंचा मिलने

शिकायतकर्ता सारांश ने बताया कि वह अपने पिता को लेकर संकेत के बताए पते पर रुपए लेकर पहुंचा। घर के बाहर दरवाजे पर डिप्टी कलेक्टर की नेम प्लेट लगी थी। संकेत ने करीब 1 लाख 10 हजार रुपए 3-4 किश्तों में लिए। बाद में संकेत 3 लाख रुपए मांगने लगा। कुछ डॉक्यूमेंट बनवाए, लेकिन जब उसके डिपार्टमेंट में जांच कराई तो वह फर्जी निकला। शंका होने पर उसके घर पहुंचे तो वहां से नेम प्लेट हटी हुई थी। जब जानकारी निकाली तो पता चला कि संकेत नासिक महाराष्ट्र का रहने वाला है। वहां भी इस तरह की ठगी कर फरार हुआ है। उसके खिलाफ पुलिस में जाने की बात कही तो उसने करीब 40 हजार रुपए दो किश्तों में वापस कर दिए। 

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कार पर लिखवा रखा था SDM

एमआईजी पुलिस को जानकारी मिली है कि संकेत असल में जिस से आता था उस पर उसने एसडीएम लिखवा रखा था। कार को वह उज्जैन से लेकर आता था। वहां वह किसी अफसर के ड्राइवर के संपर्क में था। पुलिस अब इस मामले में उज्जैन के ड्राइवर से भी पूछताछ करेगी।

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