महिला स्वास्थ्य कर्मी को बिना काम किए मिला 40 लाख वेतन, जानें क्या है मामला

मध्य प्रदेश के राजगढ़ में एक महिला स्वास्थ्य कर्मी को बिना काम किए ही 40 लाख रुपए से अधिक वेतन दे दिया। जबकि महिला 2020 के बाद काम पर कभी नहीं आई, फिर भी विभाग उसे वेतन देता रहा। जानिए क्या है मामला

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Anjali Dwivedi
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पांच प्वाइंट में समझें क्या है पूरा मामला

  • महिला स्वास्थ्य कर्मी को बिना काम किए 40 लाख से अधिक वेतन दे दिया।

  • बंद लसुलिया रामनाथ उप-स्वास्थ्य केंद्र पर भी महिला कर्मी का अटैचमेंट जारी रहा।

  • 2020 में दुर्घटना के बाद महिला कर्मी ने कभी कार्यस्थल पर हाजिरी नहीं दी।

  • विभागीय गड़बड़ी का खुलासा, अधिकारी सवालों के घेरे में।

  • सीएमएचओ ने कहा, लापरवाही साबित होने पर जांच कराई जाएगी।

मध्य प्रदेश के राजगढ़ जिले के कुरावर विकासखंड में स्वास्थ्य विभाग पर गंभीर सवाल उठे हैं। यहां एक महिला स्वास्थ्य कर्मी को बिना काम किए वेतन मिल रहा था। महिला को लसुलिया रामनाथ उप स्वास्थ्य केंद्र पर अटैच दिखाकर नियमित वेतन भुगतान किया गया, जबकि यह केंद्र पहले से ही बंद था। आइए जानें क्या है महिला स्वास्थ्य कर्मी के वेतन से जुड़ा पूरा मामला...

महिला को 40 लाख का भुगतान बिना काम किए मिला

सूत्रों के मुताबिक, साल 2021 से अब तक महिला स्वास्थ्य कर्मी को 40 लाख रुपए से ज्यादा का वेतन भुगतान किया गया, जबकि वह कभी भी सेवा पर आई ही नहीं। आती भी कैसे स्वास्थ्य केंद्र ही बंद था। 2021 में स्थानीय प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में अपग्रेड कर दिया गया और लसुलिया रामनाथ उप-स्वास्थ्य केंद्र को बंद कर दिया गया।

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महिला स्वास्थ्य कर्मी का अटैचमेंट और फर्जीवाड़ा

महिला स्वास्थ्य कर्मी का अटैचमेंट पहले सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र कुरावर में किया गया, जबकि विभागीय रिकॉर्ड में उसे लसुलिया रामनाथ उप-स्वास्थ्य केंद्र पर दिखाया गया। यह सब तब हुआ जब केंद्र पहले ही बंद हो चुका था। 10 जुलाई 2023 को उसे मूल स्थान पीलूखेड़ी पर दिखाया गया, लेकिन रिकॉर्ड में वह बंद केंद्र से जुड़ी रही।

इसके बाद महिला स्वास्थ्य कर्मी को पीलूखेड़ी से हटाकर फिर से लसुलिया रामनाथ पर अटैच दिखाया गया। यह पूरी गड़बड़ी विभागीय अधिकारियों पर गंभीर सवाल खड़े कर रही है।

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महिला कर्मी क्यों नहीं आती थी काम पर 

महिला स्वास्थ्य कर्मी 2020 में एक दुर्घटना का शिकार हो गई थी, जिसके बाद वह कार्यस्थल पर कभी नहीं आईं। इसके बावजूद, स्वास्थ्य विभाग के रिकॉर्ड में वह लगातार फील्ड में कार्यरत दिखती रही और उसे हर माह वेतन मिलता रहा। इस दौरान पीलूखेड़ी, सवास, तुर्कीपुरा और शिवपुरा जैसे गांवों की लगभग 12 हजार आबादी स्वास्थ्य सेवाओं के बिना रही।

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राजगढ़ स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी क्या कह रहे हैं?

ब्लॉक मेडिकल ऑफिसर डॉ. राजेंद्र अहिरवार का कहना है कि महिला कर्मी का अटैचमेंट जिला कार्यालय स्तर से हुआ था। वहीं, राजगढ़ की सीएमएचओ डॉ. शोभा पटेल (CMHO) ने कहा कि उप-स्वास्थ्य केंद्र बंद होने की जानकारी लेकर यदि लापरवाही सामने आई तो जांच करवाई जाएगी।

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