मध्यप्रदेश की ग्वालियर हाईकोर्ट ने सरकारी जमीनों की सुरक्षा से जुड़े एक मामले में विधि और राजस्व विभाग के प्रमुख सचिवों को तलब किया है। याचिकाकर्ता दीपक कुमार ने मुरार क्षेत्र की सरकारी जमीन के रिकॉर्ड में हेराफेरी का आरोप लगाया है, जिसके बाद कोर्ट ने इन अधिकारियों को 11 अगस्त को न्यायालय में उपस्थित होकर जवाब देने का आदेश दिया है।
इस मामले में उच्च न्यायालय ने पहले भी सवाल उठाए थे कि सरकार सरकारी जमीनों की सुरक्षा में पूरी तरह से विफल रही है। इस मामले में सीबीआई जांच की भी मांग की गई है।
सरकारी जमीन मामले में अहम सुनवाई
ग्वालियर हाईकोर्ट की युगल पीठ ने सरकारी जमीनों को खुर्दबुर्द किए जाने के मामले में विधि और राजस्व विभाग के प्रमुख सचिवों को तलब किया है। मुरार की सरकारी जमीन मामला उस वक्त चर्चा में आया जब दीपक कुमार नामक याचिकाकर्ता ने मुरार क्षेत्र की सरकारी जमीन में हुए कथित हेराफेरी का मामला उठाया।
याचिकाकर्ता का कहना है कि ग्राम मुरार के सर्वे क्रमांक 703, 705, 706, 707, 708 की कुल 4 बीघा 1 बिस्वा सरकारी जमीन के रिकॉर्ड में हेराफेरी कर कुछ व्यक्तियों ने अपने नाम नामांतरण करवा लिए हैं।
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मुख्य सचिवों से तलब किया गया जवाब
ग्वालियर हाईकोर्ट ने पहले 6 अगस्त को वर्चुअल सुनवाई की उम्मीद जताई थी, लेकिन विधानसभा सत्र के कारण दोनों सचिवों की उपस्थिती नहीं हो पाई। अब कोर्ट ने उन्हें 11 अगस्त को व्यक्तिगत रूप से कोर्ट में उपस्थित होकर इस मामले में उठाए गए सवालों का जवाब देने का आदेश दिया है।
अदालत ने पूछा है कि सरकारी जमीनों की सुरक्षा को लेकर सरकार ने क्या ठोस कदम उठाए हैं। कोर्ट की इस सख्त कार्रवाई से यह साफ हो गया है कि वह इस मामले को लेकर गंभीर है।
जनहित याचिका और सीबीआई जांच की मांग
यह मामला दीपक कुमार द्वारा दायर जनहित याचिका से जुड़ा है, जिसमें उन्होंने मुरार क्षेत्र की सरकारी जमीन के रिकॉर्ड में हेराफेरी का आरोप लगाया है। याचिकाकर्ता ने सीबीआई से इस मामले की जांच की मांग की है। दीपक कुमार का कहना है कि सरकारी जमीनों का हेराफेरी कर निजी व्यक्तियों के नाम पर जमीनों का नामांतरण किया गया है, जिससे सरकारी संपत्ति का नुकसान हो रहा है।
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कोर्ट की टिप्पणी और प्रमुख सचिव का शपथ पत्र
ग्वालियर हाईकोर्ट ने 9 अप्रैल 2025 को इस मामले पर टिप्पणी करते हुए कहा था कि सरकारी जमीनों की सुरक्षा में सरकार का प्रदर्शन चिंताजनक है।
अदालत ने इस मुद्दे पर राजस्व विभाग के प्रमुख सचिव से पूछा था कि उन्होंने जमीनों की सुरक्षा के लिए क्या उपाय किए हैं। प्रमुख सचिव ने शपथ पत्र पेश किया, लेकिन कोर्ट ने इसे अस्वीकार कर दिया। कोर्ट ने श्योपुर कलेक्टर के 7 फरवरी 2024 के पत्र को लेकर चिंता व्यक्त की थी, जिसमें आदिवासी जमीनों के फर्जीवाड़े का खुलासा किया गया था।
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मुरार की सरकारी जमीन का मामला
मुरार क्षेत्र की सरकारी जमीन के बारे में याचिकाकर्ता दीपक कुमार का आरोप है कि कई व्यक्तियों ने सरकारी रिकॉर्ड में हेराफेरी कर अपनी जमीन के रूप में नामांतरण करा लिया है। इन जमीनों में कुल 4 बीघा 1 बिस्वा जमीन शामिल है, जो मुरार क्षेत्र के सर्वे क्रमांक 703, 705, 706, 707, और 708 के तहत आती है। याचिकाकर्ता ने इस मामले को लेकर सीबीआई से जांच की मांग की है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि सरकारी संपत्तियों के साथ कोई धोखाधड़ी न हो रही हो।
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जमीनों की सुरक्षा को लेकर सरकार के कदम
इस पूरे मामले में एक बड़ा सवाल यह उठता है कि सरकारी जमीनों की सुरक्षा को लेकर सरकार ने क्या ठोस कदम उठाए हैं। ग्वालियर हाईकोर्ट ने इस पर कई बार अपनी चिंता व्यक्त की है।
अब, प्रमुख सचिवों से इस बात का जवाब मांगा गया है कि सरकारी संपत्तियों को बचाने के लिए क्या रणनीतियां तैयार की गई हैं। कोर्ट की सख्ती से यह स्पष्ट है कि सरकार को इस मुद्दे पर तुरंत और गंभीर कदम उठाने होंगे।
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