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INDORE. इंदौर का जाना-माना हंस ट्रेवल्स ग्रुप अब रियल एस्टेट सेक्टर में भी आ गया है। ग्रुप के अरुण गुप्ता कबीटखेड़ी गांव, मल्हारगंज तहसील में हंस ग्रीन्स नाम से प्रोजेक्ट कर रहे हैं। यह प्रोजेक्ट उनकी कंपनी हंस रियलकॉन प्रा. लि. के नाम से किया जा रहा है।
वहीं, अब इस 50 करोड़ से ज्यादा कीमत वाले प्रोजेक्ट की बिक्री में समस्या आ रही है। इसके चलते वह सरकारी श्मशान घाट हटवाने पर तुले हुए हैं। हालत यह है कि एक फैसले में हाईकोर्ट को ही उनके इस मामले में तीखी टिप्पणी करनी पड़ी है।
क्या है हंस का प्रोजेक्ट
हंस रियलकॉन के जरिए कबीटखेड़ी के कुल 1.526 हेक्टेयर जमीन पर यह आवासीय प्रोजेक्ट पास कराया गया है। इस प्रोजेक्ट में सर्वे नंबर 78/2, 79/2, 80/2, 81/2, 82/1 और 83/2 शामिल है। यह प्रोजेक्ट करीब 15 हजार वर्ग मीटर में है। यहां 70 से ज्यादा आवासीय प्लॉट हैं। इसकी कीमत 50 करोड़ से ज्यादा है।
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प्रोजेक्ट के बगल में श्मशान की जमीन
इस प्रोजेक्ट के पास ही निरंजनपुर तहसील, जूनी इंदौर का सर्वे नंबर 235 आता है। यह 80-90 साल से सरकारी श्मशान घाट के रूप में इस्तेमाल हो रहा है। यहां पर कबीटखेड़ी और निरंजनपुर दोनों क्षेत्र के निवासी अंतिम संस्कार करते हैं।
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इसे हटवाने के लिए क्या तिकड़म कर रहा हंस
हंस ग्रुप ने इस श्मशान को हटवाने के लिए पहले प्रशासन, नगर निगम, कलेक्टर इंदौर, निगमायुक्त इंदौर, एसडीएम जूनी व मल्हारगंज सभी जगह शिकायतें की। इसमें बताया कि सरकारी जमीन के सर्वे नंबर 235 पर कब्जा हो रहा है।
यहां लोग कब्जा करके श्मशान घाट और अन्य निर्माण कर रहे हैं। वहीं, जब इन शिकायतों पर कुछ नहीं हुआ, तो एक नहीं, दो रिट पिटीशन दायर की थी। इसके बाद, यह खारिज होने पर रिट अपील दायर की है।
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हाईकोर्ट ने लिखा- निजी स्वार्थ के लिए ऐसा कर रहा हंस
हाईकोर्ट में पहले रिट अपील दायर हुई था। यह मार्च 2024 में खारिज हो गई थी। इसमें हाईकोर्ट ने बकायदा प्रशासन से मौके की रिपोर्ट और पंचनामा, रिकॉर्ड बुलवाए थे।
इसमें प्रशासन ने बताया कि यहां कोई कब्जा नहीं हो रहा है। इस जमीन का उपयोग 80-90 सालों से शमशान घाट के रूप में हो रहा है। ना ही यहां कोई नया निर्माण हो रहा है, केवल मुक्तिधाम उन्नयन और रिनोवेशन का काम किया जा रहा है। हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता हंस रियलकॉन पर तीखी टिप्पणी की।
उन्होंने आदेश में लिखा कि- शिकायत और रिट पिटीशन दोनों ही गलत हैं। चूंकि याचिकाकर्ता मुक्तिधाम के पास ही जमीन पर आवासीय परियोजना विकसित कर रहा है, इसलिए उसने प्रतिवादियों (कलेक्टर, कमिश्नर निगम, एसडीएम, तहसीलदार) से शिकायत शुरू कर दी। शिकायत और याचिका दोनों ही दुर्भावनापूर्ण और कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग और निजी स्वार्थ के लिए अदालत के समय की बर्बादी के सिवा और कुछ नहीं है। याचिका खारिज की जाती है।
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इसके बाद फिर लगा दी याचिका
इस याचिका के खारिज होने के बाद एक नए सिरे से फिर हंस रियलकॉन ने याचिका दायर की थी। इसे भी हाईकोर्ट ने पुरानी याचिका के आधार पर सितंबर 2025 में खारिज कर दिया था।
साथ ही कोर्ट ने साफ कहा कि इसमें कोई नया तथ्य नहीं है। पूर्व में इसे सुना जा चुका है और याचिका खारिज की जा चुकी है। इसे भी खारिज किया जाता है।
अब इसके बाद हंस ने रिट अपील दायर की है। इसमें माननीय हाईकोर्ट ने पूर्व याचिका में दिए गए आदेश और इसमें लगे सभी रिकॉर्ड बुलाए हैं।
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