MPPSC की प्री 2023 पर हाईकोर्ट का औपचारिक आर्डर जारी, प्री रिजल्ट पर कमेंट नहीं

मध्यप्रदेश PSC मामले में हाईकोर्ट ने अभी तक अन्य उम्मीदवारों को मेन्स में बैठने संबंधी आदेश जारी नहीं किया और न ही आयोग द्वारा चुने गए उत्तर को सही या गलत ठहराया है। अभी याचिकाकर्ता को ही बैठने के लिए पात्र घोषित किया है। ऐसे में मेन्स समय पर ही होगी।

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Jitendra Shrivastava
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MPPSC की प्री 2023 पर हाईकोर्ट का औपचारिक आर्डर जारी।

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संजय गुप्ता, INDORE. मप्र लोक सेवा आयोग (MPPSC) की राज्य सेवा परीक्षा 2023 को लेकर हाईकोर्ट जबलपुर में लगी याचिका पर 22 फरवरी को हुई सुनवाई के बाद औपचारिक अंतरिम आर्डर जारी हो गया है। इसमें आयोग के सचिव (प्रबल सिपाहा) को 12 मार्च को सुनवाई के दिन विशेषज्ञ कमेटी की पूरी डिटेल लेकर उपस्थित होने के निर्देश दिए गए हैं। 

MPPSC राज्य सेवा मेन्स 2023 का क्या होगा

इस कोर्ट केस के चलते सबसे ज्यादा उलझन राज्य सेवा मेन्स ( MPPSC ) 2023 की तैयारी कर रहे उम्मदीवारों के बीच है कि आखिर समय पर मेन्स होगी या नहीं, जो तारीख बढ़ाने की मांग कर रहे थे उन्हें फिर उम्मीद हो जाती है कि तारीख बढ़ सकती है। लेकिन इसमें 'द सूत्र' साफ करना चाहता है कि इस मामले में हाईकोर्ट ने अभी तक अन्य उम्मीदवारों को मेन्स में बैठने संबंधी आदेश जारी नहीं किया और न ही तीन प्रश्नों के आयोग द्वारा चुने गए उत्तर को सही या गलत ठहराया है, सिर्फ अभी याचिकाकर्ता को ही बैठने के लिए पात्र घोषित किया है। वहीं हाईकोर्ट के किसी भी आदेश को लेकर आयोग के पास भी रिव्यू पिटीशन लगाने का अधिकार रहता है। ऐसे में मेन्स के बढ़ने की संभावना फिलहाल बिल्कुल नहीं है, यह समय पर ही होगी। जब तक हाईकोर्ट इन तीन प्रश्नों को लेकर आर्डर जारी नहीं करता है और रिजल्ट संशोधित कर जारी करने का आदेश नहीं दे देता है, तब तक 11 मार्च से ही मेन्स शुरू होना तय है। 

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यह जारी हुआ है आदेश में

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हाईकोर्ट ने 22 फरवरी को सभी पक्षों को सुनने के बाद कहा था आयोग आंखों में धूल झोंकने का काम कर रहा है। अब औपचारिक आदेश में कहा गया है कि सचिव विशेषज्ञ कमेटी के कमेंट साथ में लेकर आएं। हाईकोर्ट में पेश रिपोर्ट में इसमें कमेंट नहीं है। जो रिपोर्ट है इसमें ग्रीन मफलर वाले सवाल पर तो विशेषज्ञ कमेटी के हस्ताक्षर है, लेकिन अन्य दो सवाल (एमेच्योर कबड्डी संघ का मुख्यालय संबंधी सवाल और प्रेस की स्वतंत्रता किस साल में हुई) इसे लेकर कोई कमेंट नहीं है न ही कमेटी सदस्य के नाम है और ना ही तारीख है। 

आयोग तथ्यों को नहीं छिपा सकता है

हाईकोर्ट ने कहा कि आयोग हाईकोर्ट के सामने तथ्यों को नहीं छिपा सकता है, उन्हें विशेषज्ञ कमेटी के नाम, डेजिगनेशन, विशेषज्ञ का स्टेटस और उनकी विशेषज्ञता का अनुभव और क्वालीफिकेशन किस फील्ड से है यह तो बताना होगा। इसमें से कुछ भी इसमें पुटअप नहीं किया गया है। इसलिए सचिव इन सभी मूल दस्तावेजों के साथ आएं और बताएं कि विशेषज्ञों की क्वालीफिकेशन क्या है, इसे लेकर क्या नियम, कानून है, एक्सपर्ट कमेटी को लेकर क्या संविधान है और कितने विशेषज्ञ इन कामों के लिए जोड़े हुए हैं। इसके साथ ही एमेच्योर कबड्‌डी संघ के बायलाज को लेकर भी आएं कि इसका मुख्यालय किस तरह तय होता है। अगली सुनवाई 12 मार्च को होगी। याचिकाकर्ता उम्मीदवार को तो हाईकोर्ट ने तत्काल मेन्स के लिए फार्म भराने के आर्डर दे दिए हैं। हालांकि, कुछ और उम्मीदवार अब हाईकोर्ट में इसी अधार पर याचिका लगा रहे हैं। 

इस तरह थी कटऑफ लिस्ट

  • मूल रिजल्ट यानि 87 फीसदी पद मेंः अनारक्षित के लिए 162 अंक, ओबीसी के लिए 158, एसटी के लिए 142 व एससी के लिए 150, ईडब्ल्यूएस के लिए 158 अंक।  
  • प्रोवीजनल रिजल्ट यानि 13 फीसदी पद के लिएः अनारक्षित के लिए 158 व ओबीसी के लिए 156 अंक
  • क्या होगा प्रश्न की मान्यता पर हाईकोर्ट के फैसले सेः हाईकोर्ट यदि तीन प्रशनों पर कोई फैसला लेता है तो फिर कटऑफ लिस्ट में भी बदलाव होगा और फिर इसी आधार पर मेन्स के लिए पास होने वाले और बाहर होने वाले उम्मीदवारों की सूची में भी बदलाव हो सकता है। या फिर एक रास्ता है कि रिजल्ट में बार्डर पर अटके उम्मीदवार इन्हीं तीन प्रश्नों को लेकर हाईकोर्ट जाएं और वह भी अंतरिम राहत की मांग करें। 

इन तीन सवालों पर उठा विवाद...

  1. एक सवाल था कि ग्रीन मफलर शब्द किससे जुड़ा है, जिसमें सहीं उत्तर इन्वाइज पाल्यूशन था, लेकिन आयोग ने बाद में इसमें इन्वाइज के साथ एयर पाल्यूशन को भी सही मान लिया यानि दो विकल्प को सही माना, जबकि एक ही विकल्प सही था।
  2. दूसरा सवाल था कि कबड्‌डी महासंघ का हैडऑफिस कहां है, आयोग ने इसका पहले सही जवाब जयपुर माना था, लेकिन बाद में आपत्ति के बाद दिल्ली सही माना। हाईकोर्ट में तर्क पेश किए गए कि सही जवाब जयपुर ही है। हाईकोर्ट ने भी आयोग से मांगा कि किस आधार पर यह बदलाव किया तो वह जवाब नहीं दे सके। हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि यह नहीं होता है कि जिस राज्य का महासंघ में प्रेसीडेंट बने वहां हैडआफिस हो जाए। 
  3. तीसरा सवाल था कि किस साल में लार्ड विलियम बैंटिंग द्वारा प्रेस को फ्रीडम दी। इसमें सही आंसर आयोग ने 1835 दिया, लेकिन इस प्रश्न की फ्रेमिंग ही गलत थी, इसमें बैंटिंक की जगह मैटकाफ है। आयोग ने इस प्रश्न को गलत नहीं माना और साल के आधार पर कि साल 1835 सही विकल्प है, उसे सही विकल्प माना। जबकि प्रश्न फ्रेमिंग गलत होने से प्रश्न को डिलीट होना था। इस पर हाईकोर्ट ने बेहद कड़ी टिप्पणी की और उनके द्वारा पेश बुक्स आदि पर नाराजगी जाहिर की और कहा कि कैसे भी करके आयोग अपने फैसले को सहीं साबित करना चाहता है।
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