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राजस्व बोर्ड के सदस्य व सीनियर आईएएस संजीव कुमार झा और आईएएस ललित दाहिमा को संभागायुक्त कार्यालय इंदौर के बाहर चौकीदार द्वारा रोके जाने का खुलासा 'द सूत्र' ने मंगलवार को किया था। अब इसमें एक और खुलासा हुआ है कि इस बात का गुस्सा दोनों ही अधिकारियों ने कलेक्टर इंदौर आशीष सिंह की अपील पर निकाल दिया। इसके चलते 20 करोड़ से ज्यादा की सरकारी जमीन खतरे में आ गई है।
5 घंटे तक खड़े रहे अधिकारी
मंगलवार को एसडीएम राउ गोपाल वर्मा, तहसीलदार व अन्य अधिकारियों के साथ बोर्ड में लगे एक केस को लेकर स्टे की मांग के साथ गए थे। यह केस लिस्टेड नहीं था लेकिन सरकारी जमीन से जुड़ा हुआ मामला है। इसकी अपील भी काफी पहले कलेक्टर आशीष सिंह एसडीएम राउ को बोलकर लगवा चुके हैं। एसडीएम ने इस मामले में बोर्ड के अधिकारियों से 5 घंटे तक अपील की कि वह इस मामले को दो मिनट के लिए कृपया सुन लें, यह अर्जेंट मैटर है और इसमें स्टे दे दिया जाए। नहीं तो जमीन हाथ से निकल जाएगी। लेकिन इस मामले में शाम होने तक मामला टालते रहे और आखिर में दो टूक कह दिया कि यह केस लिस्टेड नहीं है, आप तो इसे हाईकोर्ट में देख लीजिए।
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यह है वह केस जिसमें आईएएस जमुना भिड़े का था आदेश
यह जमीन रंगवासा की है। तत्कालीन अपर आयुक्त व आईएएस जमुना भिड़े सरकारी जमीन दूसरों के नाम दिए जाने के संबंध में आदेश करके गई थी। इस केस में भी 'द सूत्र' के खुलासे के बाद कलेक्टर आशीष सिंह ने एसडीएम राउ को बोलकर राजस्व बोर्ड में अगस्त-सितंबर 2024 में अपील लगवाई थी। तभी से इसमें स्टे की मांग की जा रही है।
सरकारी जमीन बेचने की मंजूरी दे दी थी अपर आयुक्त ने
रंगवासा राउ तहसील की सरकारी जमीन 1968-69 में गणेश सामूहिक कृषि संस्थान को खेती के लिए यह जमीन दी गई थी। इसके बाद संस्थान ने 2003-04 में 18 सदस्यों के बीच में जमीन का बंटवारा कर लिया और इसे तहसीलदार से रजिस्टर्ड करा लिया। इसके बाद पांच सदस्यों ने समूह बनाकर तत्कालीन कलेक्टर इलैया राजाटी के समय इस जमीन की बिक्री मंजूरी मांगी। पट्टे पर दी गई जमीन पर बिक्री के लिए भू राजस्व संहिता धारा 165 (7) के तहत कलेक्टर की मंजूरी जरूरी होती है। लेकिन कलेक्टर ने इस मंजूरी को खारिज कर दिया। इसके बाद ये फाइल अपर आयुक्त जमुना भिड़े की कोर्ट में लगी। जिसमें से दो को उन्होंने खारिज किया और तीन फाइल को मंजूरी दे दी। बाद में एक को खुद की संज्ञान लेकर मंजूरी निरस्त कर दी और दो फाइल जिसमें एक हेक्टेयर जमीन और सात पक्षकार थे, उसकी मंजूरी बनी रहने दी।
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कलेक्टर के आदेश को गलत बताया था
भिड़े ने इस आदेश में कहा है कि अधीनस्थ कोर्ट (कलेक्टर) का आदेश गलत है, इसमें कहा गया है कि जमीन बिकने पर भूमिहीन हो जाएंगे। जबकि वह इस जमीन को बेचकर अन्य जमीन खरीदेंगे और यह जमीन पथरीली है और यहां खेती नहीं हो सकती है। पक्षकारों को जीवन भरण पोषण में समस्या आ रही है। बेचने की मंजूरी दी जाती है, बशर्ते पक्षकार चेक से राशि ले और इस राशि से अन्य जगह पर तीन माह के भीतर जमीन ले।
कलेक्टर के संज्ञान में आया आदेश, दिए अपील के आदेश
यह आदेश भिड़े ने 5 जनवरी 2024 को जारी किया (इसी दिन इंदौर कलेक्टर बदले थे और आशीष सिंह ने रात को ज्वाइन किया था)। केस की समीक्षा के दौरान यह मामला कलेक्टर के सामने आया। कलेक्टर ने पट्टों की शर्तों को देखने के बाद इस मामले में विधिक सलाह ली। विधिक सलाह में आया कि जमीन सरकारी है और यदि पट्टे पर जरूरत नहीं रह गई है तो शासन को यह जमीन वापस होना चाहिए। यह शासकीय जमीन है। इसके बाद कलेक्टर ने अब जमुना भिड़े के आदेश के खिलाफ राजस्व बोर्ड में अपील करने के आदेश दे दिए।
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यह कर रहे हैं जमीन पर खेल
वहीं किसानों से जमीन का सौदा करने के बाद यहाँ पर राहुल तंवर, हेमचंद मितले, शिवा गारी, राजेश ठाकुर व अन्य द्वारा मिलीभगत कर अवैध तौर पर प्लाट काटकर जमीन बेची जा रही है। यह पूरी जमीन 18 पट्टाधारकों के पास है। जानकारी के अनुसार यह कुल जमीन 87 एकड़ के करीब है जो 1968-69 में गणेश सामूहिक कृषि संस्थान को खेती के लिए दी थी। इसके बाद संस्थान ने यह जमीन आपस में बांटकर 2003-04 में तहसीलदार से बटांकन करा लिया। इसके बाद फिर 2023 में इन्होंने जमीन बेचने का खेल शुरू किया और कलेक्टर के पास आवेदन लगाए।
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