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Photograph: (thesootr)
मध्य प्रदेश सरकार ने भोपाल और इंदौर के बीच यात्रा को आसान और तेज बनाने के लिए एक हाईस्पीड एक्सप्रेस-वे का निर्माण शुरू किया है। यह एक्सप्रेस-वे 148 किलोमीटर लंबा होगा और इससे दोनों शहरों के बीच यात्रा की दूरी में लगभग 50 किलोमीटर की कमी आएगी। इस एक्सप्रेस-वे के बनने से यात्रा का समय साढ़े तीन घंटे से घटकर केवल 2 घंटे रह जाएगा।
हाईस्पीड एक्सप्रेस-वे की योजना
इस हाईस्पीड एक्सप्रेस-वे की योजना में NHAI (National Highways Authority of India) द्वारा डेवलप किया जाएगा और इसे भारत माला हाईवे के तहत विकसित किया जाएगा। एक्सप्रेस-वे का रूट पहले ही फाइनल हो चुका है और इसमें भोपाल से लेकर इंदौर के एमआर 10 तक का रास्ता शामिल होगा। इस रास्ते से तीन जिलों भोपाल, सीहोर और देवास की सात तहसीलें जोड़ी जाएंगी।
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क्यों आवश्यक था यह एक्सप्रेस-वे?...
1. मौजूदा हाईवे पर ट्रैफिक का दबाव
मौजूदा हाईवे पर रोजाना 30,000 से ज्यादा वाहन गुजरते हैं, जिससे ट्रैफिक दबाव बढ़ रहा था और दुर्घटनाएं बढ़ रही थीं। इसके कारण नए भोपाल-इंदौर हाईस्पीड एक्सप्रेस वे की आवश्यकता महसूस हुई।
2. जाम की समस्या
मेहतवाड़ा, डोडी, सीहोर और कुबेरेश्वर धाम जैसे स्थानों पर लगातार जाम की समस्या रहती है, जो यात्रा के समय को बढ़ा देती है।
3. कस्बों में रुकावट
भोपाल-इंदौर हाईवे पर कई कस्बे हैं जिनमें ट्रैफिक रुकावट होती है, जैसे सीहोर, आष्टा और सोनकच्छ के कस्बे, जहां टू-व्हीलर और ट्रैक्टर का आवागमन अधिक रहता है।
एक्सप्रेस-वे के फायदे...1. औद्योगिक विकासएक्सप्रेस-वे के बनने से पीथमपुर और मंडीदीप के बीच की दूरी 50 किलोमीटर कम हो जाएगी, जिससे दोनों शहरों के बीच औद्योगिक विकास को बढ़ावा मिलेगा। 2. रोजगार के अवसरइस एक्सप्रेस-वे के निर्माण से नए औद्योगिक क्षेत्र बनेंगे, जिससे रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे। 3. बेहतर कनेक्टिविटीयह एक्सप्रेस-वे पीथमपुर, मंडीदीप और अन्य औद्योगिक क्षेत्रों को भोपाल और इंदौर से बेहतर तरीके से जोड़ने में मदद करेगा। |
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एक्सप्रेस-वे के निर्माण में भूमि अधिग्रहण
प्रस्तावित एक्सप्रेस-वे के लिए 1100 हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण किया जाएगा, जिसमें सरकारी और वन भूमि शामिल है। हालांकि, कुछ निजी भूमि भी इस परियोजना के दायरे में आएगी, लेकिन यह भूमि का एक छोटा हिस्सा होगा। भूमि अधिग्रहण के लिए मध्यप्रदेश सरकार प्रक्रिया को शुरू करेगी और इसके लिए मुआवजा केंद्र सरकार द्वारा प्रदान किया जाएगा।