इंदौर हाईकोर्ट से सीधी भर्ती से आए 2015 बैच के सब इंस्पेक्टर को इंस्पेक्टर प्रभार देने वाले आदेश पर रोक

हाईकोर्ट के दिए इस आदेश का एक साल में भी पालन नहीं हुआ और वरिष्ठता सूची सही नहीं बनी। वहीं 6 मई को फिर पुलिस मुख्यालय ने प्रभार देने का आदेश जारी कर दिया।

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Sanjay Gupta
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Indore High Court stays order
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MP NEWS: इंदौर हाईकोर्ट ने 6 मई 2025 को पुलिस मुख्यालय द्वारा जारी एक आदेश पर रोक लगा दी है। इस आदेश के जरिए साल 2015 के सूबेदारों, उप निरीक्षक (सब इंस्पेक्टर) को उच्च पद पर कार्य़वाहक प्रभार देने के आदेश जारी किए थे। अब इस आदेश पर हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है। याचिका के निराकृत होने तक यह रोक लग गई है।

इसलिए लगाई गई रोक 

मध्य प्रदेश में पदोन्नति का मुद्दा उठने के बाद शासन ने साल 2021 से उच्च पद पर प्रभार देने की प्रक्रिया शुरू की, इसके तहत पुलिस मुख्यालय ने 2021 में यह प्रक्रिया शुरू की। लेकिन इस मामले में एक एसआई ने इसे वरिष्ठता सूची 2020 मध्य प्रदेश सिविल सेवा नियम, 1961 के नियम 8,10,12 तथा मध्य प्रदेश पुलिस नियम, 1997 के विपरीत बताते हुए याचिका दायर कर दी। इसमें पुलिस मुख्यालय के आदेश को चुनौती दी गई। 

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फरवरी 2024 में कोर्ट ने दिए थे आदेश

इस याचिका पर फरवरी 2024 में आदेश भी दिया था कि पुलिस मुख्यालय द्वारा जारी आदेश कानून की दृष्टि में मान्य नहीं किया जा सकता है। इसके बाद मुख्यालय का 2021 का आदेश निरस्त हो गया। साथ ही नियम अनुसार 3 माह में फिर वरिष्ठता सूची जारी करने का आदेश शासन को दिया था।

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एक साल बाद भी आदेश का पालन नहीं हुआ

हाईकोर्ट के दिए इस आदेश का एक साल में भी पालन नहीं हुआ और वरिष्ठता सूची सही नहीं बनी। वहीं 6 मई को फिर पुलिस मुख्यालय ने प्रभार देने का आदेश जारी कर दिया। इस पर फिर अवमानना याचिका लगी और पदोन्नति में एसआई को लेकर हुए कोर्ट आदेश का पालन नहीं होने की बात कही गई। इस पर जस्टिस विजय कुमार शुक्ला ने सुनवाई करते हुए पुलिस मुख्यालय के इस आदेश और प्रक्रिया पर मामले के निराकरण होने तक रोक लगा दी। चार सप्ताह में शासन और डीजीपी को जवाब देना है। 

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यह नियम के चलते उलझी प्रक्रिया 

पदोन्नति से बने एसआई लंबी सेवा के बाद पदोन्नत होते हैं और जो उच्च पद पर पदोन्नति होती है इसमें 50 फीसदी हिस्सा इन लंबी सेवा वालों के लिए होता है तो 50 फीसदी सीधी भर्ती के लिए होता है। साथ ही पदोन्नति से आए एसआई को को इंस्पेक्टर पर पदोन्नति की पात्रता चार साल में आती है। वहीं सीधी भर्ती के लिए यह 6 साल में आती है। याचिका में यह मुद्दा भी है कि नियमों के विपरीत सीनियरिटी की गणना कर पुलिस मुख्यालय द्वारा सीधी भर्ती को ही प्राथमिकता दी गई। इसमें उनकी परिवीक्षाधीन अवधि (जो चयन होने के बाद दो साल होती है) को वरिष्ठता में जोड़ दिया। इस कारण सीधी भर्ती के अपात्र एसआई को भी इंस्पेक्टर का उच्च कार्यवाहक प्रभार दिया गया। सीधी भर्ती से व्यापमं (ईएसबी) से भर्ती होती है और फिर दो साल की परिवीक्षा अवधि होती है। इसके बाद एसआई नियुक्ति मान्य होती है। वहीं पुलिस मुख्यालय ने परिवीक्षा अवधि को भी वरिष्ठता में जोड़ दिया।

 

 

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