हाईराइज मल्टी की ओर बढ़ रहा इंदौर, फायर सेफ्टी में पूरी तरह नाकाम

इंदौर में हाईराइज बिल्डिंग्स और बड़ी इमारतों के बढ़ने से आग की घटनाएं बढ़ रही हैं। शहर में फायर ब्रिगेड स्टेशन की कमी और ट्रैफिक समस्या के कारण समय पर नियंत्रण पाना मुश्किल हो रहा है। कई इलाकों में फायर ब्रिगेड स्टेशन की आवश्यकता है।

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Rahul Dave
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INDORE. इंदौर शहर में हाईराइज मल्टियां तेजी से बन रही है। वर्तमान में करीब सौ से अधिक हाईराइज बिल्डिंग (Highrise Buildings)  हैं। साथ ही यहां इंडस्ट्रीज, होटल व बड़ी इमारतें अधिक होने के कारण आग की घटनाएं भी अधिक होती हैं। जैसे-जैसे शहर फैल रहा है, उसे उसके मुताबिक फायर सेफ्टी की भी आवश्यकता है।

इसमें इंदौर पूरी तरह नाकाम दिखाई देता है। शहर में वर्षों से अलग-अलग स्थानों पर फायर ब्रिगेड स्टेशन की जरूरत महसूस हो रही है। कई दावों के बावजूद इसे पूरा नहीं किया जा रहा है।

शहर के मध्य क्षेत्र को छोड़कर बायपास, तेजाजी नगर, जैसे इलाकों में आग की सूचना मिलने के बाद फायर ब्रिगेड देर से पहुंचती है। तब तक सब कुछ खाक हो चुका होता है। ट्रैफिक में से निकलकर मौके पर समय पर पहुंचना भी फायर ब्रिगेड के लिए एक बड़ी चुनौती साबित होती है। 

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2500 से ज्यादा मल्टीस्टोरी

इंदौर में 2500 से ज्यादा मल्टीस्टोरी हैं। इनमें 150 से ज्यादा हाईराइज इमारतें हैं, जो 15 मीटर से ऊंची हैं। वहीं अनेक हाईराइज मल्टियों का निर्माण चल रहा है। चिंता की बात यह है कि हाईराइज इमारतों में आग बुझाने के लिए फायर ब्रिगेड के पास केवल एक हाईड्रोलिक गाड़ी है। वह भी खराब है।

किस क्षेत्र में कितनी हाईराइज बिल्डिंग 

विजय नगर व आसपास के क्षेत्र में 52, बायपास व उससे लगे इलाकों में 24, सुपर कॉरिडोर व उज्जैन रोड पर 27, शहर के मध्य क्षेत्र, 25, अन्नपूर्णा, केसरबाग क्षेत्र में 22 हाईराइज बिल्डिंग है। 

35 लाख की आबादी पर केवल 5 स्टेशन 

फायर सेफ्टी एक्ट के तहत ढाई लाख की आबादी पर एक स्टेशन होना चाहिए। शहर में करीब 35 लाख की आबादी पर सिर्फ 5 स्टेशन हैं। 50 हजार की आबादी पर 1 दमकल होना चाहिए। यानी 35 लाख की आबादी पर करीब 70 दमकल चाहिए, लेकिन फिलहाल केवल 29 हैं।

वर्तमान में यहां है फायर स्टेशन

शहर में लक्ष्मीबाई नगर फायर स्टेशन के पास 7 गाड़ियां हैं। गांधी हॉल स्टेशन में 8 गाड़ियां हैं। मोती तबेला स्टेशन में 8 गाड़ियां हैं। सांवेर रोड स्टेशन में 3 गाड़ियां हैं। जीएनटी मार्केट स्टेशन पर 3 गाड़ियां हैं। शहर के फैलने के साथ फायर सेफ्टी इंतजाम नहीं हो रहे हैं।

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पांच नए स्टेशन बनना तय हुआ था 

तत्कालीन कलेक्टर आशीष सिंह के कार्यकाल में शहर में पांच नए फायर स्टेशन बनाने का निर्णय लिया गया था। ये स्टेशन स्कीम 78, देवगुराडिया, राऊ, धार रोड और आईएसबीटी कुमेड़ी में प्रस्तावित हैं। यह निर्णय जिला आपदा प्रबंधन समिति की बैठक में लिया गया था। हालांकि, अभी तक इस पर अमल नहीं हो सका है।

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यहां हो रही नए स्टेशन की मांग 

बायपास क्षेत्र की कॉलोनियों के लिए मांगलिया व बिचौली मर्दाना में स्टेशन की मांग बरसों से हो रही। वहीं मांगलिया-शिप्रा, तेजाजी नगर, गधा टेकरी इलाके में भी नए स्टेशन की जरूरत है। 

गांधी हाल स्टेशन नहीं बन सका 

गांधी हाल में बने फायर स्टेशन को स्मार्ट सिटी के तहत स्मार्ट बनाने के लिए तीन मंजिला बिल्डिंग का निर्माण किया जाना था। 2018 में नक्शा भी तैयार हो गया था। इसे देश का पहला स्मार्ट स्टेशन बनाने की तैयारी थी। लेकिन अब तक यह काम नहीं हुआ है। 

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पहला फायर स्टेशन 1905 में बना था 

शहर में सबसे पहला फायर स्टेशन मोती तबेला में 1905 में बना था। संसाधन कम और आग बुझाने वाले स्थान पर पहुंचने में समय अधिक लगने लगा तो गांधी हाल में 1964 में बनाया गया। टिंबर मार्केट में 1992 और लक्ष्मीबाई नगर में 1997 में बनाया गया। सांवेर की तरफ सबसे ज्यादा इंडस्ट्रीज हैं। यहां सालों से फायर स्टेशन की मांग चल रही थी। पूरी नहीं हुई तो उद्योग एसोसिएशन ने 2018 में अस्थाई निर्माण कराया।

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क्या बोले फायर सेफ्टी ऑफिसर

वहीं अपर आयुक्त और फायर सेफ्टी ऑफिसर रोहित सिसोनिया ने कहा है कि ये बहुत गंभीर मामला है। हमारा विभाग हर स्तर पर काम कर रहा है। इसके परिणाम भी इस हफ्ते सामने आएंगे। दो जगहों पर भूमि पूजन किया जाएगा। वहीं विभाग हाईटेक फायर की गाड़ियां भी खरीद रहा है। 

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