इंदौर के हुकुमचंद मिल क्षेत्र की हरियाली बचाने पर लगी जनहित याचिका, शहरी वन घोषित करने की मांग

हुकुमचंद मिल क्षेत्र, जो लगभग तीन दशक से प्राकृतिक जंगल में तब्दील हो चुका है, अब व्यावसायिक परियोजनाओं की भेंट चढ़ने की कगार पर है। नागरिक समाज और पर्यावरण कार्यकर्ता इस क्षेत्र की रक्षा के लिए गंभीर हैं।

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Sanjay Gupta
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शहर के मध्य हुकुमचंद मिल की हरियाली बचाने के लिए लगातार चल रहे आंदोलन के बीच इंदौर हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर हो गई है। इस मामले में बुधवार (10 सितंबर) को हाईकोर्ट डबल बेंच में सुनवाई हुई और आदेश सुरक्षित रख लिया गया है।

याचिका किनके द्वारा लगाई गई

यह याचिका अधिवक्ता अभिनव धनोतकर के माध्यम से पर्यावरणविद् डॉ. ओमप्रकाश जोशी और सामाजिक कार्यकर्ता अजय लागू द्वारा दायर की गई है। इसमें मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव नगरीय प्रशासन, प्रमुख सचिव आवास, हाउसिंग बोर्ड, संभागायुक्त इंदौर, कलेक्टर, नगर निगम और मप्र प्रदूषण बोर्ड को पार्टी बनाया गया है।

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याचिका में क्या कहा गया है

हुकुमचंद मिल की 42 एकड़ भूमि पर पनपे प्राकृतिक जंगल को बचाने के लिए दो वरिष्ठ नागरिकों ने मध्यप्रदेश हाईकोर्ट इंदौर खंडपीठ में जनहित याचिका दायर की है। याचिका में कहा गया है कि इस क्षेत्र में लगभग 25,000 से 30,000 पेड़ पिछले तीन दशकों में प्राकृतिक रूप से विकसित हुए हैं, जिन्हें अब काटकर व्यावसायिक और आवासीय टावर बनाने की योजना बनाई गई है।

हुकुमचंद मिल 1992 में बंद होने के बाद से परित्यक्त पड़ी थी। 30 वर्षों में यह भूमि एक घने वन में बदल गई, जहाँ विभिन्न प्रकार के पेड़, पक्षी और जीव-जंतु आज निवास कर रहे हैं। इसे इंदौर का "लंग्स" यानी फेफड़ा कहा जा सकता है, जो प्रदूषण और बढ़ते तापमान के बीच शहर को ऑक्सीजन और ठंडक प्रदान करता है।

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यहां पर पेड़ काटकर होटल, मॉल बनेंगे

याचिकाकर्ताओं का आरोप है कि मध्यप्रदेश हाउसिंग एंड इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट बोर्ड ने इस भूमि को व्यावसायिक इस्तेमाल हेतु नीलाम करने और यहां मॉल, होटल और आवासीय टावर बनाने के लिए कई टेंडर और विज्ञापन जारी किए। इतना ही नहीं, 25 फरवरी 2025 को भोपाल में निवेशकों की बैठक भी आयोजित की गई।

याचिका में यह भी उल्लेख है कि नगर निगम के उद्यान विभाग ने स्पष्ट किया है कि पेड़ काटने के लिए कोई अनुमति नहीं दी गई है। इसके बावजूद, बिना अनुमति के जंगल उजाड़ने की कार्रवाई शुरू की गई।

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याचिका में वन संरक्षित करने की मांग

याचिकाकर्ताओं ने मांग की है कि इस क्षेत्र को संरक्षित शहरी वन घोषित किया जाए। पेड़ों की कटाई और जंगल की तबाही पर तुरंत रोक लगाई जाए और विकास कार्य केवल पर्यावरणीय मंजूरी और वृक्ष संरक्षण उपायों के बाद ही किए जाएं।

याचिका में यह भी तर्क दिया गया है कि इंदौर पहले से ही गंभीर वायु प्रदूषण और हीटवेव जैसी समस्याओं से जूझ रहा है। यदि शहर के बीचोंबीच का यह एकमात्र बड़ा हरित क्षेत्र नष्ट हो गया, तो आने वाली पीढ़ियों को अपूरणीय क्षति होगी।

बीते कई दिनों से इंदौर हुकुमचंद मिल मामला छाया हुआ है। हुकुमचंद मिल केस में हाईकोर्ट का फैसला सुरक्षित है। ऐसे में प्रदेशभर में इंदौर हुकुमचंद मिल प्रोजेक्ट पर भी चर्चा जारी है। 

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